अस्पताल के लायक नहीं एमजीएम का भवन, देश में नहीं देखा ऐसा ओटी Jamshedpur News
दिल्ली हॉस्पिटल मैनेजमेंट कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. शरणजीत सिंह के नेतृत्व में एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची टीम यहां की हालत देख हैरान रह गई।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर शुक्रवार को दिल्ली हॉस्पिटल मैनेजमेंट कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. शरणजीत सिंह के नेतृत्व में एक टीम महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल जांच करने पहुंची।
टीम ने पूरे अस्पताल का निरीक्षण किया। इमरजेंसी की व्यवस्था देखकर टीम चौंक गई। टीम के अनुसार, इमरजेंसी के आसपास पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, ब्लड बैैंक, आईसीयू, एनेस्थेसिया विभाग होनी चाहिए। लेकिन यहां नहीं है। ओपीडी में रोजाना एक हजार से अधिक मरीज व उनके परिजन इलाज कराने को पहुंचते है लेकिन उनके लिए कहीं भी शौचालय नहीं बनाया गया है। ऐसे में वह कहां जाएंगे? सोचने की जरूरत है।
हड़डी रोग विभाग में मकड़ी के जाले से हुआ सामना
इसके बाद टीम हड्डी रोग विभाग में गई। वार्ड में मकड़ी का जाल देखकर टीम के सदस्यों ने उसकी फोटो अपने मोबाइल में कैद की। इसके बाद जब ऑपरेशन थियेटर (ओटी) के अंदर गई तो उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यहां ऑपरेशन भी होता है। वार्ड की ओटी दिख रहा था। वहीं एक टेबल भी नहीं था कि उसपर चढ़कर मरीज स्ट्रेचर पर चढ़ व उतर सके। लाइट भी खराब थी।
वहीं भवन के दीवार में दरारें पड़ी हुई थी। चिकित्सक व मैनपावर का भी घोर अभाव है। इसे देखकर टीम हैरान रहीं। उन्होंने कहा कि देश के कई मेडिकल कॉलेज में वह निरीक्षण करने के लिए गए लेकिन ऐसा ओटी कहीं नहीं देखा। इसके बाद वे मेडिसीन, महिला एवं प्रसूति विभाग का भी जायजा लिया। कंडम घोषित भवन को भी देखा।
बोले टीम लीडर - बेतरतीब बने भवन में नहीं उपलब्ध कराई जा सकती बेहतर चिकित्सा सुविधा
पूरे अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद डॉ. शरणजीत सिंह ने कहा कि एमजीएम का भवन अस्पताल लायक नहीं है। जहां-तहां भवन खड़ा कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध नहीं करायी जा सकती है। उन्होंने ब्लड बैैंक के बगल में कंडम घोषित किए गए भवन को तोड़कर नए सिरे से पांच मंजिला बनाने को कहा। ताकि उसमें मानक के अनुसार पूरे इमरजेंसी विभाग को शिफ्ट किया जा सकें। पार्किंग से लेकर सभी तरह की जांच व इलाज की सुविधा होगी।
50 साल पुराने मॉडल का लग रहा भवन
टीम ने कहा कि भवन देखकर लगता है कि 50 साल पूराने मॉडल का अस्पताल है। समय के सात न तो यहां सुविधा है और न ही भवन। जैसे-तैसे अस्पताल को चलाया जा रहा है। जगह-जगह पर शौचालय व पानी गिराया जा रहा है, जिससे संक्रमण फैलने की खतरा काफी अधिक रहता है।
निरीक्षण के बाद टीम के सदस्यों ने एक बैठक भी की। इस अवसर पर एमजीएम अधीक्षक डॉ. संजय कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री के प्रतिनिधि राजेश बहादुर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
डॉ. केपी दुबे के नेतृत्व में जांच करने पहुंची तीन सदस्यीय टीम
महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुधार की कवायद तेज हो गई है। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के निर्देश पर अबतक चार अलग-अलग टीमें जांच कर चुकी है। शुक्रवार को टाटा मुख्य अस्पताल के चीफ (इंडोर सर्विसेस) डॉ. केपी दूबे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम स्थिति से अवगत हुई। इस दौरान आईसीयू व इमरजेंसी पर विशेष रूप से फोकस रहा।
आइसीयू की स्थिति बदतर
आईसीयू की स्थिति काफी बदतर है। सुविधा कुछ भी नहीं, सिर्फ नाम के लिए आईसीयू है। यहां तक की 24 घंटे डॉक्टर भी मौजूद नहीं रहते। उपकरण व आधारभूत संरचना की बात तो छोड़ ही दीजिए। आईसीयू में वेटिंलेटर, एयर कंडीशन (एसी), डॉक्टर, नर्स, दवा, उपकरण का घोर अभाव है। देखकर नहीं लगता कि यह मेडिकल कॉलेज का आईसीयू है। वहीं इमरजेंसी में मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से कुर्सी, स्ट्रेचर पर रखकर इलाज किया जा रहा था। गंदगी की वजह से संक्रमण फैलना का खतरा अधिक बताया गया। हालांकि, टीम ने मीडिया से बातचीत करने से इंकार किया।
वह अपनी रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य मंत्री को सौंपेगी। सूूत्रों के अनुसार, एमजीएम को बेहतर ढंग से संचालित करने में टीएमएच की मदद ली जा सकती है। उसी उद्देश्य के साथ एक टीम अस्पताल की व्यवस्था को देखने पहुंची थी। ताकि उसके अनुसार आगे की रणनीति तैयार किया जा सके। इससे पूर्व भी टीएमएच से सहयोग लेने की बात सामने आ चुकी है लेकिन किसी कारण से वह बात आगे नहीं बढ़ सकी। इस अवसर पर अधीक्षक डॉ. संजय कुमार, उपाधीक्षक डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री का प्रतिनिधि राजेश बहादुर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।