जीयो और जीने दो का सिद्धांत भूल रहे लोग
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर वैष्णव समाज की ओर शनिवार से बिष्टुपुर स्थित गुजराती सनात
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर वैष्णव समाज की ओर शनिवार से बिष्टुपुर स्थित गुजराती सनातन समाज में शुरू हुए श्रीनाथ चरित्रामृत कथा में पहले दिन वैष्णवाचार्य ब्रजराजकुमार ने जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्व और संस्कारों के अवमूल्यन से उत्पन्न वर्तमान जीवनशैली को रेखाकित किया। उन्होंने बताया कि आज के भौतिकतावादी परिवेश में रहते हुए महसूस हो रहा है कि सभी बस जीने को मजबूर हैं। लोगों की चिंतन शैली में परिवर्तन आ गया है। इससे व्यवहार भी परिवर्तित हो गया है। लोग पहले जीयो और जीने दो के सिद्धात का अनुसरण करते थे, आजकल जीयो और दूसरे को मरने दो की तर्ज पर चल रहे हैं। विश्वास को भक्ति का आधार स्तंभ बताते हुए उन्होंने बताया कि प्रार्थना, भक्ति और भगवान से जुड़ने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। दृष्टिकोण पर ही निर्भर है कि हम क्या देखते हैं और कैसा देखते हैं जबकि दृष्टिभ्रम से हम केवल वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं। संपन्नता के शिखर पर आने के बाद नैतिक मूल्यों में गिरावट आ जाती है और संस्कार समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने जीवन की आध्यात्मिक उन्नति के सूक्ष्म मार्ग व संगीतमय उपाय बताए। इसके पूर्व आयोजन स्थल से विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुईं।
आज श्रीनाथ प्राकट्य उत्सव
कार्यक्रम में रविवार को श्रीनाथ प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। इसमें अशोक भाई देवचंद भाई पाटडिया परिवार, हर्षद भाई कांतिलाल शाह परिवार व रमनीक भाई रतिलाल वसानी परिवार यजमान की भूमिका निभाएगा।