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सूर्य मंदिर में श्रीराम कथा के प्रथम दिन मुग्ध हुए श्रद्धालु

सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमेटी की ओर से श्रीराम मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह एवं सात दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ शनिवार को हुआ। कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पत्‍‌नी के संग व्यासपीठ एवं व्यास का पूजन किया। वृंदावन से आए कथा व्यास मानस मर्मज्ञ अतुल कृष्ण भारद्वाज का स्वागत किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 08:00 AM (IST)
सूर्य मंदिर में श्रीराम कथा के प्रथम दिन मुग्ध हुए श्रद्धालु
सूर्य मंदिर में श्रीराम कथा के प्रथम दिन मुग्ध हुए श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमेटी की ओर से श्रीराम मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह एवं सात दिवसीय श्रीराम कथा का शुभारंभ शनिवार को हुआ। कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पत्‍‌नी के संग व्यासपीठ एवं व्यास का पूजन किया। वृंदावन से आए कथा व्यास मानस मर्मज्ञ अतुल कृष्ण भारद्वाज का स्वागत किया गया।

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पहले दिन नाम महिमा, कथा महिमा एवं शिव-सती के प्रसंग का वर्णन हुआ। कथा में छह सदस्यीय संगीत मंडली ने मधुर भजन प्रस्तुत कर पूरे क्षेत्र को भक्तिमय कर दिया। कथा व्यास ने कहा कि गुरु का अर्थ है अपने शिष्य को अंधकारमय पथ से मुक्त कर प्रकाश की ओर अग्रसर करना। गुरु नरहरिदास की कृपा से एक साधारण बालक श्रीराम चरित मानस लिख दिया। संत तुलसी दास बालकाल में अभावों में भूखे रहते थे। लोग उन्हें घर के आगे खड़े होने से भी मना करते थे, लेकिन गुरु महिमा और श्रीराम चरित मानस की रचना करने के पश्चात बड़े-बड़े राजा व विद्वान पांव धोते थे। ये केवल गुरु महिमा के कारण संभव हो पाया।

कहा, कलियुग में नाम की बड़ी महिमा है। राम नाम ऐसा साधन है जो मानव समाज को भव सागर से पार उतार देता है। जो व्यक्ति स्वयं में सुधार करता है उसे हंस कहते हैं, जो व्यक्ति स्वयं के साथ दूसरों के जीवन में सुधार कर सद्गुणों के मार्ग पर चलाते हैं उसे परमहंस कहते हैं। शिव-सती प्रसंग का वर्णन करते हुए अतुल कृष्ण ने बताया कि सती के पिता महाराजा दक्ष प्रजापति के लिए विशाल यज्ञ करवाया, लेकिन इस यज्ञ में शिव तथा सती को निमंत्रित नहीं किया था। इससे सती ने स्वामी शिव भगवान के मना करने पर भी यज्ञ में शामिल होने चली गई। लेकिन वहा पर ब्रह्मा, विष्णु तथा सभी देवताओं को देखने के उपरात अपने स्वामी शिव का स्थान न पाकर सती क्रोधित होकर व अपमानित महसूसकर यज्ञ कुंड में अपनी आहुति दे दी। कथा समाप्ति पर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया। रविवार को शिव-पार्वती विवाह एवं श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग का वर्णन होगा।

ये थे मौजूद

श्रीराम कथा में रघुवर दास व उनकी पत्‍‌नी रुक्मणि देवी, उद्यमी राजकुमार अग्रवाल, संजीव सिंह, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कल्याणी शरण, गुरदेव सिंह राजा, कमलेश सिंह, मांतु बनर्जी, अमरजीत सिंह राजा, भूपेंद्र सिंह, राकेश सिंह, प्रोबिर चटर्जी राणा, संतोष ठाकुर, प्रेम झा, काजू साडिल, कुमार अभिषेक, च्योति अधिकारी, सरस्वती साहू, ममता कपूर, सोनिया साहू, पुष्पा पाठक आदि थे।


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