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हवा में ओडीएफ, खुले में दौड़ रहे लेकर लोटे

पूरे राज्य के साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गया है। लेकिन, इस 'मखमली' सरकारी दावों से इतर हकीकत की जमीन बहुत 'खुरदरी' है। बहुत दूर नहीं, शहर से ही सटे दक्षिणी करनडीह के वार्ड नंबर पांच में बेस लाइन सर्वे में नौ लोगों के नाम शामिल होने के बावजूद अब तक शौचालय नहीं बने। इसी इलाके के झारखंड नगर और उत्तरी करनडीह में दर्जन भर अधूरे शौचालय सरकारी दावे की हवा निकाल रहे हैं। शहर से करनडीह होते हुए पोटका की ओर थोड़ा और आगे बढ़ें तो पोटका प्रखंड में हेसरा पंचायत के खापरसाई गांव में आधा दर्जन शौचालयों के लिए गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं तो कुछ की टंकियां बनाकर छोड़ दी गई हैं। ये आलम तब है जब स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिले के 11 प्रखंडों में बेस लाइन सर्वे के अनुसार निर्धारित 1,26,092 शौचालयों के निर्माण का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लेने का दावा विभाग खम ठोक कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 07:37 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 07:37 PM (IST)
हवा में ओडीएफ, खुले में दौड़ रहे लेकर लोटे
हवा में ओडीएफ, खुले में दौड़ रहे लेकर लोटे

विश्वजीत भट्ट, जमशेदपुर :

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पूरे राज्य के साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो गया है। लेकिन, इस 'मखमली' सरकारी दावों से इतर हकीकत की जमीन बहुत 'खुरदरी' है। बहुत दूर नहीं, शहर से ही सटे दक्षिणी करनडीह के वार्ड नंबर पांच में बेस लाइन सर्वे में नौ लोगों के नाम शामिल होने के बावजूद अब तक शौचालय नहीं बने। इसी इलाके के झारखंड नगर और उत्तरी करनडीह में दर्जन भर अधूरे शौचालय सरकारी दावे की हवा निकाल रहे हैं। शहर से करनडीह होते हुए पोटका की ओर थोड़ा और आगे बढ़ें तो पोटका प्रखंड में हेसरा पंचायत के खापरसाई गांव में आधा दर्जन शौचालयों के लिए गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं तो कुछ की टंकियां बनाकर छोड़ दी गई हैं। ये आलम तब है जब स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत जिले के 11 प्रखंडों में बेस लाइन सर्वे के अनुसार निर्धारित 1,26,092 शौचालयों के निर्माण का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लेने का दावा विभाग खम ठोक कर रहा है।

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घाटशिला प्रखंड की महुलिया पंचायत के धतकीडीह गांव में 40 में से 15 शौचालयों का अधूरा निर्माण कर ठेकेदार भाग गया। पाटमहुलिया गांव में ज्योत्सना सबर का शौचालय पिछले एक साल से अधूरा है। भालुकखुलिया गांव में भी दो शौचालय अधूरे हैं।

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उपयोग के लायक ही नहीं आधे से अधिक शौचालय

गावों एवं शहरों में सरकारी अनुदान लेकर लोगों ने शौचालय तो बना लिए, शौचालय के साथ फोटो खिंचवाकर सरकारी राशि भी ले ली, पर इस योजना में खूब घपले-घोटाले हुए और कागजों में ही शौचालय का निर्माण भी कर लिया गया। दरअसल सरकार द्वारा निर्धारित निर्माण राशि 12 हजार रुपए में जिस तरह के शौचालयों का निर्माण हुआ, वे उपयोग के लायक ही नहीं हैं और बनने के कुछ ही समय बाद जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ गए हैं। यूनिसेफ का भी यह मानना है कि आधे से ज्यादा शौचालय उपयोग में नहीं हैं।

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सरकारी संस्थाएं उठा रहीं सवाल

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का ही मानना है कि बेसलाइन सर्वे के अनुसार शौचालय निर्माण की उपलब्धि 99 फीसद से अधिक रही, लेकिन पूर्व में बने कुछ ऐसे शौचालय जो अब उपयोग में नहीं लाए जा रहे हैं, इस उपलब्धि पर पानी फेर रहे हैं। जिले में ऐसे लगभग 35 प्रतिशत शौचालय हैं।

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फोटो खिंचवाकर हो गयी रुपयों की लेन-देन

सरकार की ओर से एक शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रुपए दिए गए। लोगों ने किसी तरह दो से ढाई फीट का ढाचा खड़ा कर इसके सामने फोटो खिंचवाकर सरकार से राशि ले ली, इसके कुछ ही दिनों बाद ढाचा भी गिर गया। अगर सरकार किसी स्वतंत्र एजेंसी या थर्ड पार्टी से जाच कराए, तो 10 प्रतिशत शौचालय भी ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग लायक नहीं मिलेंगे।

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ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति भयावह : यूनिसेफ

यूनिसेफ में सेनिटेशन कार्य से जुड़े अधिकारियों का भी मानना है कि कागजों में लाखों शौचालय बनाए जाने का दावा तो किया गया है, पर वास्तविक स्थिति कुछ और ही है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति भयावह है। गावों में बनाए गए अधिकाश शौचालयों का कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है। इस कारण अधिकाश ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। खुले में शौच के कारण डायरिया, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों की जद में आ रहे हैं और इसके कारण लोगों की मृत्यु का आकड़ा भी बढ़ा है।

खूब हुए घपले-घोटाले, दर्ज हुई प्राथमिकी

शौचालय निर्माण में घपले-घोटाले को लेकर जिले के पोटका प्रखंड की पाच पंचायतों के मुखिया के विरुद्ध एक करोड़ 55 लाख रुपये के गबन के मामले में मानपुर पंचायत के मुखिया तरणी सेन सिंह सरदार व संबंधित ग्राम जल स्वच्छता समिति के कोषाध्यक्ष पर एफआइआर हुआ। शकरदा पंचायत के मुखिया कापरा हासदा एवं संबंधित ग्राम जल स्वच्छता समिति के कोषाध्यक्ष, कोवाली पंचायत के मुखिया सुचित्रा सरदार एवं संबंधित ग्राम जल स्वच्छता समिति के कोषाध्यक्ष, जामदा पंचायत के मुखिया सुशील सरदार व संबंधित ग्राम जल स्वच्छता समिति के कोषाध्यक्ष तथा कुलडीहा पंचायत के मुखिया लक्ष्मी चरण सिंह व संबंधित ग्राम जल स्वच्छता समिति कोषाध्यक्ष पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

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2012 में बेस लाइन सर्वे हुआ था। इसी को स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का आधार बनाया गया। इसमें दो समूह हैं। एक जिन घरों में शौचालय नहीं बने थे, इसमें एक लाख 26 हजार शौचालय बनवाए गए। दूसरा जिन घरों में शौचालय बने थे, लेकिन काम नहीं कर रहे थे। ऐसे भी लगभग 46 के आस-पास शौचालयों को फंक्शनल कराया गया। ये दोनों कार्य पूर्ण हैं। अब बचे लाभुकों की संख्या का निर्धारण किया जाएगा।

-अमित कुमार, उपायुक्त, पूर्वी


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