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हंगामे के बीच बिना चर्चा के संविधान संशोधन का प्रस्ताव पास

सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की 67वीं आमसभा में गु

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 01:58 AM (IST)Updated: Fri, 28 Sep 2018 01:58 AM (IST)
हंगामे के बीच बिना चर्चा के संविधान संशोधन का प्रस्ताव पास
हंगामे के बीच बिना चर्चा के संविधान संशोधन का प्रस्ताव पास

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की 67वीं आमसभा में गुरुवार को भारी हंगामे और शोर शराबे के बीच बिना चर्चा के ही चैंबर के संविधान में सात संशोधन का प्रस्ताव पास कर दिया गया। सत्ता पक्ष के लोग इन संशोधनों को उद्योग और उद्यमी हित में बता रहे हैं तो विरोधी इन संशोधनों को चैंबर जैसी संस्था को कुछ लोगों के पॉकेट की संस्था बनाने का प्रयास। इन संशोधनों का विरोध करने वालों की संख्या कम होने और समर्थन करने वालों की संख्या अधिक होने के कारण प्रस्ताव हंगामे के बीच भी पास-पास की ध्वनि के साथ पास हो गया। सुबह लगभग 11 बजे शुरू हुई आमसभा दोपहर लगभग दो बजे समाप्त हुई। हालांकि सभा के लिए दो घंटे यानि एक बजे तक का ही समय निर्धारित था, लेकिन होहल्ला व हंगामे के कारण समय एक घंटा और बढ़ गया।

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इसके पूर्व जनसंपर्क व कल्याण उप समिति के संकल्प व प्रस्ताव, व्यापार एवं वाणिज्य उप समिति के संकल्प व प्रस्ताव, वाणिज्य व व्यापार समिति के संकल्प व प्रस्ताव सदन के समक्ष प्रस्तुत किए गए और सदस्यों के साथ इस पर चर्चा भी हुई। अनेक सदस्यों ने अपने-अपने सुझाव भी दिए। इसके बाद चैंबर के मानद महासचिव विजय आनंद मूनका ने जैसे ही संशोधनों का प्रस्ताव रखा, हंगामा और हल्ला शुरू हो गया। चैंबर के सदस्य संदीप मुरारका और नंद किशोर अग्रवाल ने इन संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया तो अन्य सदस्य भी विरोध करने लगे। कुछ देर तक हल्ला-हंगामा और विरोध होता रहा। इसी बीच वयोवृद्ध सदस्य गौतम चंद्र गोलछा ने माइक संभाली और कहा कि संशोधनों से संविधान का उल्लंघन हो रहा है या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिए, लेकिन चैंबर जैसी संस्था में पार्टी पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए। सदस्य स्वार्थ की लड़ाई न लड़ें। संशोधन होने दें। आमसभा को मछली बाजार न बनाएं। चैंबर को आगे बढ़ाने की सोचें। इसके बाद हंगामे के बीच ही संशोधन का प्रस्ताव पास हो गया। अन्य सदस्यों ने भी आमसभा में हल्ला हंगामा का विरोध किया। सभा में अध्यक्ष अशोक भालोटिया, महासचिव विजय आनंद मूनका, भरत वसानी, मानव केडिया, अनिल मोदी, महेश सोंथालिया, सुरेश सोंथालिया सहित तमाम पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।

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ये मुद्दे हैं हंगामे का कारण

-बिना चर्चा के संशोधन पारित किया जाना

-संविधान में आमूलचूल परिवर्तन करना और सदन के सामने यह नहीं रखना कि किसी बिंदु पर क्या बदलाव किया जा रहा है

-सदस्यता शुल्क में अप्रत्याशित वृद्धि करना

-प्रोपराइटरशिप फर्म में केवल प्रोपराइटर ही वोट देने अथवा चुनाव में भाग लेने का अधिकारी होता है, किंतु नये बदलाव के अनुसार किसी दो अन्य प्रतिनिधि को भी भाग लेने का प्रावधान करना

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आमसभा में आए ये सुझाव

-परसुडीह बाजार समिति में पीने के पानी की व्यवस्था की जाए।

-मापतौल विभाग से लाइसेंस बनने में परेशानी हो रही है, इसको दुरुस्त किया जाए।

-आरओसी से संबंधित मामलों में पूर्व अध्यक्ष उमेश काउंटिया व वर्तमान अध्यक्ष अशोक भालोटिया के खिलाफ वारंट है, इसका जल्द से जल्द निपटारा किया जाए।

-सरकार से आदित्यपुर में 500 बेड का ईएसआइ अस्पताल बनवाने की मांग की जाए।

-आयडा में माइक्रो इंडस्ट्रीज के लिए जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को ई-बिडिंग से बाहर करने की मांग की जाए।

-एनएच-33 के निर्माण के लिए फिर से आंदोलन किया जाए।

-सोनारी एयरपोर्ट से विमान सेवा जल्द से जल्द शुरू करने की मांग की जाए।

-प्रतिभाओं का पलायन रोकने के लिए शहर में उच्च शिक्षण संस्थान खोलने की मांग सरकार से की जाए।

-मेरिन ड्राइव पर सड़क के किनारे खड़े वाहनों को हटाने की मांग की जाए।

-पिछले दिनों एनएच-33 की दुर्दशा के खिलाफ हुए आंदोलन में विदेशियों शामिल करना गलत था।

-रेलवे स्टेशन पर मल्टी लेबल पार्किंग, तीन इंट्री व तीन एक्जिट गेट बनाने की मांग की जाए।


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