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पुरुष आयोग की माग को ले जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल दो को

पुरुषों के खिलाफ बने एकतरफा कानून के समानांतर कानून बनाने सम

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:15 PM (IST)
पुरुष आयोग की माग को ले जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल दो को
पुरुष आयोग की माग को ले जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल दो को

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : पुरुषों के खिलाफ बने एकतरफा कानून के समानांतर कानून बनाने समेत पुरुष आयोग गठित करने की माग को लेकर पुरुष आयोग राष्ट्रीय समन्वय समिति के बैनर तले दो अक्टूबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल एवं धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इस धरना प्रदर्शन में देशभर के 40 से अधिक सामाजिक संस्थाओं के 10 हजार से अधिक लोग शामिल होंगे, जो कहीं न कहीं महिलाओं द्वारा प्रताड़ित हुए हैं।

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बिष्टुपुर तुलसी भवन में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए सेव इंडियन इनोसेंट फेमिली संस्था के संरक्षक मोहनलाल अग्रवाल एवं महासचिव रामनाथ दास ने कहा कि महिलाओं के लिए बने कई कानूनों की तर्ज पर पुरुषों की सहूलियत के लिए भी समानातर कानून बनाना चाहिए। पुरुष आयोग बनाने की माग उत्तर प्रदेश के दो भाजपा सासद अंशुल वर्मा तथा हरि नारायण राजभर संसद में उठा चुके हैं। इसलिए केंद्र सरकार को तत्काल इस दिशा में कदम उठाना चाहिए। नेशनल क्राइम ब्यूरो के आकड़े के अनुसार एकतरफा कानून के कारण 1998 से लेकर सन 2015 तक लगभग 27 लाख गिरफ्तारियां हुई जिनमें 6 लाख 50 हजार महिलाओं को गिरफ्तार किया गया एवं 7,700 नाबालिक बच्चों की गिरफ्तारी हुई। यह सब गिरफ्तारी बहू एवं कुछ महिलाओं के द्वारा बदले की भावनाओं से केवल कंपलेन केस में हुई हैं। मुकदमों की प्रताड़ना से समाज में बेइज्जती महसूस कर 96 हजार से ज्यादा युवा प्रत्येक वर्ष आत्महत्या कर रहे हैं। मौके पर हर्ष कुमार सिंह, मन्नू मिश्रा, एके विश्वकर्मा, ओमप्रकाश खंडेलवाल भी मौजूद थे।

ये हैं संस्था की मागें

-पुरुष आयोग का गठन हो।

-125 सीआरपीसी मेंटेनेंस कानून को पूरी तरह समाप्त किया जाए।

-दहेज देने वालों, दहेज के झूठे आरोप लगाने वालों, बलात्कार का आरोप लगाने वालों को सश्रम 10 वर्ष की कड़ी सजा का प्रावधान हो या 50 लाख रुपये का जुर्माना हो।

-दहेज प्रताडना कानून, छेड़खानी, बलात्कार तथा घरेलू हिंसा कानून के समानातर कानून बने तथा दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जाए।

-अब तक उपरोक्त कानूनों के कारण जो आत्महत्याएं हुई हैं, उनके परिवार को एक सरकारी नौकरी अन्यथा 50 लाख रुपये तक मुआवजा दिया जाए।


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