परमात्मा नाम संकीर्तन में आनंद ही आनंद
जीवन में जब परमात्मा की कृपा होती है तब कथा श्रवण का अवसर मिलता
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जीवन में जब परमात्मा की कृपा होती है तब कथा श्रवण का अवसर मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा के शब्द जहां तक भी ध्वनि माध्यम से पहुंचते हैं वहा तक पवित्रता व्याप्त हो जाती है। प्राणियों की समस्त योनियों में मनुष्य की योनि श्रेष्ठ है। क्योंकि यहां प्रभु कीर्तन का अवसर मिलता है। जुगसलाई स्थित श्रीशिव मंदिर परिसर में शनिवार से शुरू हुई सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन व्यासपीठ से भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष ने उपरोक्त बातें कही।
आचार्य मनीष ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा में परमात्मा का संकीर्तन है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने जीवन को शुद्ध करता है। परमात्मा के नाम संकीर्तन में आनंद ही आनंद है। श्रद्धा से भक्ति आगे बढ़ती है, विश्वास से तपती है और समर्पण से पकती है। लेकिन अधिकाश लोग विश्वास की श्रेणी आते आते कमजोर पड़ जाते हैं। विनम्रता से भक्ति परवान चढ़ती है और परमात्मा के मिलने का मार्ग प्रशस्त होता है। लगभग 100 से अधिक कथा का वाचन कर चुके मयंक ने कथा का महात्म्य विस्तार पूर्वक सुनाया। विधिवत रूप से कथा का क्रमिक चरण रविवार से शुरू होगा। उन्होंने बताया कि परमात्मा के कीर्तन में खर्च किए गए धन से वंश की शुद्धता बढ़ती है और बढ़ोत्तरी होती है। समय खर्च होने से परलोक शुद्धता की ओर जाता है। तन के प्रयोग से कथा को व्यवस्थित करने से पूर्व के प्रारब्ध खत्म होते है। वाणी से कीर्तन को गुंजायमान करने से अंत:करण शुद्ध होता है।
सुबह निकली शोभा यात्रा
कथा से पूर्व प्रथम दिन सुबह जुगसलाई चौक बाजार स्थित सत्यनारायण मंदिर से आयोजन स्थल अग्रसेन भवन तक श्रीमद्भागवत पुराण की शोभा यात्रा निकली। इसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। मुख्य यजमान रतन लाल अग्रवाल ने भागवत पुराण की पूजा की।