उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं शुक्ल योग में बासंतिक नवरात्र का कलश स्थापना कल
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष में मुख्यत: दो नवरात्र होते हैं जिनमें पहला बासंतिक
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष में मुख्यत: दो नवरात्र होते हैं जिनमें पहला बासंतिक नवरात्र एवं दूसरा शारदीय नवरात्र कहलाता है। चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथिपर्यत काल को बासंतिक नवरात्र कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित रमाशंकर तिवारी ने बताया कि धर्मशास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार नवरात्र का पवित्र काल पूजा पाठ के साथ धार्मिक अनुष्ठानों एवं मंत्र, यंत्र व तंत्र सिद्धि के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तथा सिद्धिप्रद काल माना गया है। इस बार नवरात्र नवमी तिथि की हानि से आठ ही दिन का है। मां भगवती की कृपा प्राप्ति हेतु भक्त या साधक गण नवरात्र में कलश स्थापन कर माता की आराधना के क्रम में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। श्रीराम भक्त इस सिद्धिप्रद काल में श्रीरामचरित मानस का नवाह पाठ करके भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्ति एवं मनोभिलषित फल प्राप्ति हेतु प्रयासरत होते हैं। श्रद्धा, भक्ति व शुद्घ मन से की गई आराधना से अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है। इस बार बासंतिक नवरात्र रविवार 18 मार्च से प्रारंभ हो रहा है। हमारा ¨हदू नववर्ष अर्थातं विक्रम संवतं् 2075 भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्र के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। बासंतिक नवरात्र में ही भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि को हुआ था। इस नवरात्र में प्रतिपदा तिथि शनिवार 17 मार्च को संध्या 6:05 बजे से लगकर रविवार 18 मार्च को संध्या 6:08 बजे तक रहेगी। रविवार 18 मार्च को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं शुक्ल योग दिनभर है, जो कलश स्थापन व पूजन हेतु पूर्णत: अनुकूल है। इस प्रकार कलश स्थापन दिनभर किया जा सकता है। सर्वोत्तम समय प्रात: सूर्योदयोपरांत से प्रात: 7:21 बजे तक, पुन: दिवा 8:58 बजे से दिवा 10:54 बजे तक है। कलश स्थापन हेतु अभिजीत मुहूर्त दिवा 11:36 बजे से दिवा 12:24 बजे तक रहेगा। चैती छठ शुक्रवार 23 मार्च को तथा छठ का पारण शनिवार 24 मार्च को किया जाएगा। महाष्टमी व्रत व महानवमी व्रत रविवार 25 मार्च को किया जाएगा। इस बार नवमी तिथि की हानि से यह नवरात्र आठ दिनों का ही है। भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि के कर्क लग्न व पुनर्वसु नक्षत्र में अपराह्न काल में हुआ था। पुनर्वसु नक्षत्र रविवार 25 मार्च को दिवा 1:28 बजे से लगेगी, जिससे इस बार अपराह्न व्यापिनी पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्नयुक्त नवमी मिलेगी। श्रीरामनवमी व्रत एवं महावीरी ध्वजा पूजन 25 मार्च रविवार को किया जाएगा। इसी दिन हवन एवं पूर्णाहुति के उपरांत नवरात्र व्रत का पारण करना श्रेयस्कर रहेगा। नवरात्र व्रत का पारण नवमी तिथि में ही करना शास्त्रोचित है। मतांतर से पारण दशमी तिथि में सोमवार 26 मार्च को भी किया जा सकता है।