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छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधे हैं हर बीमारी के इलाज, जानिए किस पौधे से ठीक होती कौन सी बीमारी

Health news. जनजातीय सम्‍मेलन में छत्तीसगढ़ के वैद्य संघ से भी कुछ युवा आए हैं और अपने साथ लाएं है कई तरह की बीमारियों को ठीक करने वाले औषधीय पौधे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 09:00 AM (IST)
छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधे हैं हर बीमारी के इलाज, जानिए किस पौधे से ठीक होती कौन सी बीमारी
छत्तीसगढ़ के औषधीय पौधे हैं हर बीमारी के इलाज, जानिए किस पौधे से ठीक होती कौन सी बीमारी

जमशेदपुर, जासं। झारखंड के जमशेदपुर में जनजातीय सम्मेलन संवाद में देश भर के वैद्य अपनी जड़ी बूटियों के साथ आए हैं। यहां छत्तीसगढ़ के वैद्य संघ से भी कुछ युवा आए हैं और अपने साथ लाएं है कई तरह की बीमारियों को ठीक करने वाले औषधीय पौधे।

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उनका दावा है कि यदि उनके कहे अनुसार इन पौधों को दवाई के रूप में सेवन करें तो उनकी किसी भी तरह की बीमारी छूमंतर हो जाएगी। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से आए मात्र 25 वर्ष के वैद्य संतोष कुमार यादव बताते हैं कि उनके यहां कई तरह के औषधीय पौधे हैं जिनकी कीमत मात्र दस से 50 रुपये तक है।

इन बीमारियों के लिए ये हैं औषधीय पौधे

अडूषा : दमा, खांसी व एलर्जी

सतावर : महिलाओं की शारीरिक कमजोरी

कालमेघ : मधुमेह, मलेरिया बुखार

पत्थर चूर्ण : पथरी

गुड़मार : मधुमेह

निरगुड़ी : वात रोग

पिपली : सर्दी जुकाम

ब्राह्मïी : बुद्धि बढ़ाना

मडूप पाणि : दस्त व

मस्तिष्क संबंधी बीमारी

स्टिविया : मधुमेह (इसकी एक पत्ती चीनी से 15 गुणा मीठी है)

नब्ज जांचकर वैद्य कर रहे हर बीमारी का इलाज

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से एक वैद्य आए हैं जिनका नाम है शुक्ला प्रसाद धुर्वे। टेक्नोलॉजी के दौर में ये आज भी मरीजों की जांच नब्ज देखकर करते हैं। धुर्वे का दावा है कि उनकी कई जड़ी बूटियां हिमालय से मंगाए गए हैं। यहां वे पथरी, सटिका, गठिया, बवासीर, पिलिया, गैस, खुजली, दाद, खून की कमी सहित बुद्धि बढ़ोत्तरी की दवा लेकर आए हैं। धुर्वे कहते हैं कि उनकी सभी जड़ी बूटी प्राकृतिक है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। वे बताते हैं कि उनकी दवाएं अश्वगंधा, सतावर, विदारी कंद, तेलिया कंद, गिलॉय, अर्जुन, अशोक, हरर्रा, बहेड़ा, आंवला, बाह्म्णी, आपामारा, रक्त मंडला से तैयार किया है।

देश भर से जुटे है वैद्य, हर बीमारी की दवा इनके पास

जनजातीय सम्मेलन में लगभग 20 स्टॉल लगाए गए हैं। यहां पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया के दिवाकर हेम्ब्रम और बुकाए मुर्मू आए हैं जो अपने साथ कमर दर्द, पेट दर्द, दस्त, मलेरिया, टाइफाइड, जोंडिस की दवा लाए हैं। इसके अलावे यहां छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, मेघालय, महाराष्ट्र से भी वैद्य अपने साथ कई तरह की बीमारियों के लिए जड़ी बूटियां लेकर आए हैं।

ओडिशा : यहां के जिला डोंगसना जो कोल्हा व बलांगीर के सोहरा जनजाति से हैं अपने साथ पेट दर्द, गैस, वात, जोड़ों के दर्द, बालों के झडऩे की आयुर्वेदिक दवा लाए हैं।

गुजरात : पावागढ़ के जीवन विकास केंद्र से विनेष अपनी टीम के साथ आए हैं जो यहां गैस, एसिडिटी, मधुमेह, थैलीसिमिया, जोड़ों के दर्द, लकुवा, पत्थरी, बालों के झडऩे, रक्त चाप, मलेरिया की दवा बेच रहे हैं।

त्रिपुरा : यहां किशोर चंद्र अपने साथ गैस, टॉन्सिल व त्वचा संबंधी रोगों की दवा लाए हैं। वहीं उनके एक अन्य साथी पथरी, सफेद दाग, गैस, टीबी, धातु दोष, महिलाओं की मासिक समस्या, पाइल्स, दांतों के दर्द, मधुमेह, विटामिन बी की कमी व पेट दर्द की दवा अपने साथ लाए हैं।

राजस्थान : हेम सिंह अपने साथ बच्चों के लिए बुद्धि वद्र्धक चूर्ण, धातु पौष्टिक, कमजोरी व सभी बीमारियों के लिए कारगर नाशक चूर्ण साथ लाए हैं।

लद्दाख : कांचोक थिस्लेम अपने साथ यहां मधुमेह, रक्तचाप, पेट संबंधी बीमारी, खांसी, नस की समस्या व जोड़ों में दर्द की दवा लाए हैं। वे बताते हैं कि लद्दाख में 90 प्रतिशत आबादी आयुर्वेद से ही अपना इलाज कराती है।  


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