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फर्श पर पड़े थे मरीज, ओटी में नहीं थे डॉक्टर

दिन मंगलवार। जगह महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल। समय सुबह 9.20 बजे। अभी डॉक्टर-कर्मचारी ड्यूटी पर आ ही रहे थे कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम धमक पड़ी। डॉ. बसंल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम में से दो सदस्य सीधे इमरजेंसी में घुस गए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 01:00 AM (IST)
फर्श पर पड़े थे मरीज, ओटी में नहीं थे डॉक्टर
फर्श पर पड़े थे मरीज, ओटी में नहीं थे डॉक्टर

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : दिन मंगलवार। जगह महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल। समय सुबह 9.20 बजे। अभी डॉक्टर-कर्मचारी ड्यूटी पर आ ही रहे थे कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम धमक पड़ी। डॉ. बसंल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम में से दो सदस्य सीधे इमरजेंसी में घुस गए। घुसते ही देखा कि दो मरीज फर्श पर लेटे हुए हैं। पूछने पर बताया कि विभाग में बेड नहीं है। अस्पताल में यही स्थिति बीते चार माह से है। जांच टीम आगे बढ़ी तो देखा कि डॉक्टर रूम के बाहर मरीजों की भीड़ है। स्थिति यह थी कि उन्हें भी डॉक्टर ड्यूटी रूम में घुसने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान ड्यूटी पर डॉ. प्रभात कुमार (सर्जन) व डॉ. दुर्गा मुर्मू (फिजिशियन) मौजूद थे। बाकि के बारे में पूछा गया तो ऑन कॉल ड्यूटी पर होने की बात बताई गई, जबकि सभी संबंधित डॉक्टरों को होना अनिवार्य है।

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-- डॉक्टर नहीं दिखने पर भड़की टीम

एमसीआइ टीम इमरजेंसी विभाग के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में भी गई। वहां पर सिर्फ एक नर्स मौजूद थी। डॉक्टर नहीं थे। इसे देखकर टीम भड़क गई। पूछा कि किस डॉक्टर की ड्यूटी है। नर्स ने बताया कि डॉ. अजय कुमार की। इसके बाद टीम ने पूछा कि कहां है वे? इसपर नर्स ने जवाब दिया कि ऑन कॉल हैं। जरूरत पड़ने पर बुलाए जाते हैं। यह सुनकर टीम ने पूछा कि क्या यहां पर नियमित रूप से ऑपरेशन नहीं होते हैं तो उन्हें जवाब मिला कि नहीं। सिर्फ छोटे ऑपरेशन ही होते हैं।

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खामियों को डायरी में किया नोट

टीम ने अस्पताल की खामियों को अपनी डायरी में नोट किया। इमरजेंसी विभाग में सिर्फ 16 बेड लगाकर ही मरीजों को भर्ती किया जा सकता है। पर, यहां भीड़ इतनी अधिक है कि 38 बेड, 10 कुर्सी, चार स्ट्रेचर व फर्श पर लेटा कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यह स्थिति देखकर टीम भी चौंक गई। बेड एक दूसरे से सटे हुए थे, जिसे देख टीम ने नाराजगी जाहिर की। नियमत बेड की दूरी तीन फीट होनी चाहिए। टीम पहुंचने के बाद अस्पताल में अफता-तफरी का माहौल रहा। जैसे-तैसे तैयारी पूरी करने की कोशिश की गई पर वह आधा-अधूरी ही रही। वहीं आईसीयू के तीन वेंटिलेटर खराब पाए गए। सिर्फ एक ही काम कर रहा था। बीते कई माह से आइसीयू के वेंटिलेटर खराब पड़े हुए हैं।

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सर्जरी विभाग में बेड बढ़े पर सुविधाएं नहीं

इमरजेंसी विभाग के बाद टीम सर्जरी विभाग पहुंची। यहां पर बेड की संख्या तो बढ़ा ली गई थी पर सुविधाओं का अभाव था। पिछली बार जब टीम निरीक्षण करने आई थी तो सर्जरी विभाग में 102 बेड ही थे। उसे बढ़ाकर 120 बेड करने का निर्देश दिया था। इसबार इतनी संख्या में बेड मौजूद थे। सभी बेड पर मरीज भर्ती थे। वहीं नये भवन में दो ऑपरेशन थियेटर भी शिफ्ट कर दिया गया है।

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सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सही ढंग से नहीं कर रहा काम

अस्पताल में सेंट्रल रजिस्ट्रेशन भी सही ढंग से काम नहीं कर रहा है। हालांकि, टीम को भरोसा दिलाया गया कि सुचारू रूप से जल्द ही काम करने लगेगा। इसकी कवायद तेज कर दी गई है। सेंट्रल रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ मेडिकल रिकार्ड डिपार्टमेंट (एमआरडी) भी काम करने लगा है। इसके माध्यम से सभी मरीजों का बेड हेड टोकन (बीएचटी) रिकार्ड किया जा रहा है। ताकि मरीजों का डाटा कभी भी ढूंढा जा सके। वहीं डिजिटल एक्सरे मशीन को भी बना लिया गया है। पिछले बार यह मशीन खराब पड़ा था।

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28 फीसद वरीय रेजीडेंट डॉक्टरों की कमी

कॉलेज व अस्पताल में डॉक्टरों की कमी अब भी बरकरार है। पिछले बार भी यह समस्या सामने आई है। इसकी भरपाई के लिए सरकार ने प्रयास भी किया लेकिन उसके बावजूद वरीय रेजीडेंट चिकित्सकों के पद खाली रह गये। इसके साथ ही नर्स व कर्मचारियों की संख्या भी कम है।

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25 सिंतबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

एमसीआइ की टीम ने एमजीएम कॉलेज में एमबीबीएस की 50 सीट घटा दी थी। इस पर सरकार ने आपत्ति दर्ज करायी थी और उसके खिलाफ में सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी देते हुए सुधार दे लिए तीन माह का समय दिया था। अब एमसीआइ की टीम ने उन्हीं खामियों को चिन्हित कर रही है कि अबतक कितने पूरे किये गए। एमसीआई ने कुल 28 खामियां गिनाई थी। इसमें 24 पूरा कर लिया गया है। बाकि चार भी अंतिम चरण में है। 25 सिंतबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

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एमजीएम अस्पताल में काश ऐसा रोज होता..

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल में मंगलवार सुबह दस बजे का नजारा देख हर कोई कह रहा था, काश अस्पताल में ऐसा रोज होता। सुबह दस बजे बाह्य रोग विभाग, ओपीडी, में चकाचक व्यवस्था थी। चिकित्सकों के हर कक्ष में तैनात चिकित्सक, इलाज कराने के लिए कतारबद्ध मरीज, चिकित्सकों के कक्ष के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मी पूरी व्यवस्था को नियंत्रण में रखे हुए थे। दूर दराज से इलाज कराने पहुंचे मरीज बहुत ही सहज रूप से अपना इलाज करा रहे थे। ऐसे में मरीजों का कहना था कि काश अस्पताल में ऐसा रोज होता।


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