कोल्हान में 400 ग्राम से दो किलो तक के पैदा हो रहे बच्चे
कोल्हान प्रमंडल में कुपोषण काल बनकर जच्चा-बच्चा को निगल रहा है।
अमित तिवारी, जमशेदपुर : कोल्हान प्रमंडल में कुपोषण काल बनकर जच्चा-बच्चा को निगल रहा है। जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में जन्म लेनेवाले करीब 55 फीसद नवजात का वजन सामान्य से कम पाया गया है। इसमें 400 ग्राम से दो किलो तक के नवजात शामिल हैं। 30 फीसद का वजन दो से ढाई किलो तक पाया गया है। मात्र 15 फीसद नवजात का वजन सामान्य है। एमजीएम अस्पताल में हर माह करीब 50 से 60 बच्चों की मौत हो जाती है। इसकी वजह कुपोषण और दम घुटने की शिकायत है। स्वास्थ्य विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद गर्भवती स्वास्थ्य केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले में तो करीब 25 फीसद प्रसव अब भी घरों में ही हो रहा है। वहीं नेशनल हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार जिले में 49 फीसद लोग कुपोषण के शिकार हैं। कोल्हान प्रमंडल में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिले आते हैं।
गर्भवती को नहीं मिल रहा पोषाहार
पटमदा की गायत्री सोरन व उनका बच्चा एमजीएम के महिला एवं प्रसूति रोग विभाग में भर्ती है। दोनों बेहद कमजोर हैं। गायत्री बताती हैं कि उन्हें गर्भवती के दौरान कोई भी सुविधा नहीं मिली। आंगनबाड़ी केंद्र से पोषाहार मिला न सेहत की जांच हुई। वार्ड में एक दर्जन से अधिक जच्चा-बच्चा भर्ती हैं। सबकी कहानी गायत्री सोरेन से मिलती जुलती है। सरकार का नियम कहता है कि ऐसी गर्भवती को जननी शिशु स्वास्थ्य योजना के तहत सभी सुविधाएं मुहैया करानी हैं। मसलन गर्भवती को अस्पताल में प्रसव कराने से घर ले जाने तक की जिम्मेदारी सरकार की है। साथ ही दवा, खून और प्रोत्साहन राशि भी देनी है।
छह वार्मर पर भर्ती हैं 25 बच्चे, संक्रमण का खतरा
शिशु रोग विभाग के एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में कुल चार वार्मर लगे हैं। यानी सिर्फ चार नवजात ही भर्ती किए जा सकते हैं। लेकिन, स्थिति चौंकाने वाली है। एक वार्मर पर चार-पांच नवजात भर्ती हैं। इससे बच्चों में संक्रमण की आशंका बनी हुई है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
एमजीएम अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अंजनी भूषण ने बताया कि 37 से 40 सप्ताह तक यानी गर्भ में पूरा समय व्यतीत करनेवाले नवजात का आदर्श वजन 2.7 किलो से 4.1 किलो तक होना चाहिए। जिस नवजात का वजन जन्म के समय 2.5 किलो या इससे कम रहता है, उसे कुपोषित माना जाता है।