सावधान! सामने आ रहे पुरुषों में Breast cancer के मामले, जानें इसके कारण
झारखंड के कोल्हान में पांव पसार रही बीमारी हर साल दो मामले एक दशक में 20 मरीजों की पुष्टि।
अमित तिवारी, जमशेदपुर। झारखंड से आ रही यह सूचना सचेत कर रही है। राज्य के कोल्हान संभाग में पुरुष स्तन कैंसर के हर साल औसतन दो मामले सामने आने से चिकित्सक हैरान हैं। दरअसल, पुरुषों में इस बीमारी के मामले विरले ही सामने आते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। इस इलाके में यह जानलेवा बीमारी तेजी से पांव पसार रही है।
पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो अबतक 20 मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। अधिकांश लोगों में यह बीमारी तब पकड़ में आई, जब यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी थी। बारीडीह के रहने वाले संजय सिंह (50) इन्हीं में से एक हैं। उनके पेट व छाती में हमेशा दर्द होता था। डॉक्टर को दिखाया तो वे बीमारी नहीं पकड़ सके और डेढ़ साल तक गैस की समस्या से संबंधित दवा खिलाते रहे। जब बीमारी ठीक नहीं हुई तो संजय विशेषज्ञ डॉक्टर के पास पहुंचे। संजय ने सीने में पड़ी गांठ व पेट में होने वाले दर्द की जानकारी दी। इसके बाद उनकी बायोप्सी कराई गई।
रिपोर्ट में स्तन (ब्रेस्ट) कैंसर की पुष्टि हुई। संजय को सहसा यकीन नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने अब तक महिलाओं में ही इस बीमारी के होने की बात सुनी थी। इसके बाद वे इलाज कराने मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल गए। वहां पर भी जांच में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई। इसके बाद उनकी सर्जरी की गई। स्वस्थ होने के पांच साल बाद फिर से कैंसर उभर आया। फिलहाल उनका इलाज महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है। वहां उन्हें हार्मोन थेरेपी दी जा रही है।
बहरहाल, राजधानी रांची के एक मरीज पर भी मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल की टीम रिसर्च कर रही है। उस मरीज का इलाज जमशेदपुर के ब्रह्मानंद अस्पताल के डॉ. अमित कुमार की देखरेख में भी चल रहा है। मरीज के साथ ही उसकी फैमिली हिस्ट्री पर भी रिसर्च की जा रही है। देखा जाएगा कि कहीं उनका दोषपूर्ण जीन बीआरसीए 1 एवं 2 तो नहीं है। बीआरसीए 1 व 2 वे जीन हैं, जो पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के दौरान पाए जाते हैं। ऐसे पुरुषों की कन्या संतानों में ब्रेस्ट कैंसर की संभावना 40 से 80 फीसद बढ़ जाती है।
पुरुषों को ब्रेस्ट कैंसर विरले ही होता है, एक फीसद से भी कम पुरुषों में होता है। पुरुषों के सीने में कोई गांठ या किसी तरह का परिवर्तन होता है तो वे सोच ही नहीं पाते कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। इस कारण वे चिकित्सकीय सलाह देर से लेते है।
-डॉ. अरुण कुमार, सह प्राध्यापक, रेडियोथेरेपी विभाग, एमजीएम।
इस बीमारी को लेकर मरीज व डॉक्टर, दोनों में जागरूकता की कमी है। कोल्हान में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। इस पर रिसर्च होना चाहिए ताकि स्पष्ट कारण सामने आ सके।
- डॉ. अमित कुमार, कैंसर रोग विशेषज्ञ, ब्रह्मानंद अस्पताल।
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