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Dhoni Retirement: पल दो पल नहीं, युगों तक याद रखी जाएगी माही की कहानी

MS Dhoni माही की कहानी तो युगो-युगों तक याद रखी जाएगी। धौनी भारत ही नहीं विश्व के एक मात्र कप्तान हैं जिन्होंने टी-20 विश्वकप एकदनी क्रिकेट व टेस्ट क्रिकेट का विश्वकप जीता।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 09:34 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 08:49 AM (IST)
Dhoni Retirement: पल दो पल नहीं, युगों तक याद रखी जाएगी माही की कहानी
Dhoni Retirement: पल दो पल नहीं, युगों तक याद रखी जाएगी माही की कहानी

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Dhoni Retirement मैदान हो या मैदान के बाहर, क्रिकेट का कोहिनूर अपने फैसले से हर किसी को चौंकाने के लिए जाने जाते हैं। इस बार भी धौनी ने अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर सभी को अचंभित कर दिया। इंस्टाग्राम में फिल्म कभी-कभी का मशहूर गाना मैं पल दो पल का शायर हूं... गाने के साथ रिटायरमेंट की घोषणा क्या की, विश्व क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया।

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गाने की एक पंक्ति, तुमसे पहले कितने आए और आकर चले गए। हां धौनी, यह सही है। लेकिन यह भी बात है, क्रिकेट का कोहिनूर बार-बार पैदा भी नहीं होता। माही की कहानी तो युगो-युगों तक याद रखी जाएगी। धौनी भारत ही नहीं, विश्व के एक मात्र कप्तान हैं जिन्होंने टी-20 विश्वकप, एकदनी क्रिकेट व टेस्ट क्रिकेट का विश्वकप जीता। गैर पारंपरिक शैली में कप्तानी और मैच को अंजाम तक ले जाने की कला के साथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास के कई सुनहरे अध्याय लिखने वाले 39 वर्ष के धोनी के इस फैसले के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हो गया।

माही की कर्मभूमि रहा है जमशेदपुर 

भले ही महेंद्र सिंह धौनी की जन्मभूमि रांची हो, लेकिन उनकी कर्मभूमि जमशेदपुर ही है। उन्होंने कीनन स्टेडियम से ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की उड़ान भरी। अंडर-19 से लेकर रणजी ट्रॉफी तक लगातार झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का सम्मान हासिल किया। 

जब आइस पैक लगाकर कीनन में की थी बल्लेबाजी

12 अप्रैल 2006। स्थान कीनन स्टेडियम। पहली बार धौनी अपनी कर्मभूमि कीनन स्टेडियम में कोई अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले थे। स्टेडियम में तिल रखने की जगह नहीं थी। दर्शकों का उत्साह सातवें आसमान पर था। भारत ने टॉस जीता। भारत के तत्कालीन कप्तान वीरेंद्र सहवाग ड्रेसिंग रूम में पहुंचे और सीधे महेंद्र सिंह धौनी के पास गए। बोले, तुम्हें आज मेरे साथ पारी की शुरुआत करनी है। चुनौती को अवसर में तब्दील करने में माहिर धौनी ने तुरंत ही हामी भर दी और पैड बांधने लगे। सहवाग के साथ पहली बार ओपनिंग करना, वह भी होम ग्राउंड में,  किसी भी खिलाड़ी पर यह अतिरिक्त दबाव हो सकता था। लेकिन वह धौनी ही थे, जिन्होंने इस अवसर को हाथ से जाने नहीं दिया। सहवाग चार रन के  निजी स्कोर पर पैवेलियन लौट गए। धौनी के ऊपर पारी आगे बढ़ाने के साथ-साथ विकेट बचाने का भी दबाव था। इसके बावजूद उन्होंने स्वभाविक खेल खेला और 96 रन बनाए। अप्रैल के महीने में सूरज पूरी जवानी पर था। गर्मी ऐसी कि हर ओवर में गला तर करने की जरूरत होती थी। धौनी 55 रन के स्कोर तक पहुंचे ही थे कि उनकी पीठ की मांसपेशियां खींच गई। तुंरत ही फिजियो को बुलाया और पीठ में आइस बांधने का इशारा किया। फिजियो ने ऐसा ही किया। इसके बाद धौनी ने 96 रन की पारी खेल कर्मभूमि कीनन को इस्तकबाल किया। 

पहली बार अंडर-19 में धौनी को मिली थी निराशा

पहली बार धौनी अंडर-19 टीम का चयन ट्रायल देने जमशेदपुर पहुंचे थे तो चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किया। धौनी तनिक भी निराश नहीं हुए और लगातार प्रयास जारी रखा। अगले ही सीजन में उन्हें टीम में शामिल कर लिया गया।

बिष्टुपुर में पी रहे थे कॉफी, तभी चयन की खबर आई

 इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तुरंत ही उन्हें रणजी ट्रॉफी में शामिल कर लिया गया। नयन मोंगिया के बाद भारत को विकेटकीपर की तलाश थी। उस समय दिनेश कार्तिक के साथ महेंद्र सिंह धौनी भारतीय टीम के लिए विकल्प के तौर पर उभरे थे। पूर्व विकेटकीपर सैयत किरमानी दिनेश कार्तिक का पक्ष ले रहे थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने महेंद्र सिंह धौनी पर विश्वास जताया था। जिस समय भारत ए में धौनी के शामिल होने की घोषणा हुई, वह बिष्टुपुर में होटल बुलेवर्ड के बगल में कैफेटेरिया में अपने दोस्त के साथ कॉफी पी रहे थे। वह कीनन से अभ्यास कर निकले ही थे और होटल राजहंस जाने के पहले कैफेटेरिया में कॉफी पी रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि आपको विश्वास था कि आपका चयन टीम में हो जाएगा। उन्होंने विश्वासपूर्ण लहजे में कहा था, बिल्कुल। मेरी ही चयन होना था। 

बालाजी का डोसा व काशी की चाय के थे शौकीन

कीनन स्टेडियम में जब भी रणजी मैच खेलते या फिर अभ्यास करने आते, धौनी दोराबजी टाटा पार्क स्थित काशी की चाय का स्वाद लेना नहीं भूलते। काशी बताते हैं, वह काफी सौम्य स्वभाव का लड़का था। कभी-कभी मुझसे भी मजाक कर लिया करता था। बालाजी होटल का डोसा हो या फिर होटल से कीनन स्टेडियम ऑटो से आना। यह इस बात का द्योतक है कि वह हमेशा से जमीन से जुड़ा लड़का रहा है। 

सीनियरों को आदर देना कोई धौनी से सीखे : काजल दास

रणजी ट्रॉफी के कोच रहे टेल्को के काजल दास के साथ धौनी ने लंबा वक्त बिताया। पुराने दिनों को याद करते हुए काजल दास ने बताया कि सीनियरों को आदर करना कोई धौनी से सीखे। उनके जैसा क्रिकेटर ना तो आजतक पैदा लिया है और ना भविष्य में लेगा। एक विकेटकीपर होने के बाद भारतीय टीम की कप्तानी करना किसी के वश की बात नहीं होती। लेकिन धौनी को यूं ही चुनौतियों के बाजीगर नहीं कहा जाता। मैदान की तरह वह ड्रेङ्क्षसग रूम में भी हमेशा कूल रहता था। उसके दिमाग में हमेशा प्लान ए के साथ प्लान बी भी तैयार रहता था। एकबारगी जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से उनके संन्यास के बारे में सुना तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन धौनी ऐसे ही निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। रिटायरमेंट के बाद भी वह क्रिकेट से जुड़े रहेंगे। 

रतन टाटा ने भी ट्वीट कर दी बधाई

टाटा समूह के चेयरमैन एमीरेट्स रतन टाटा ने भी रांची के राजकुमार महेंद्र सिंह धौनी को संन्यास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट में आपके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। गौरतलब है कि धौनी ने भारत को टी-20 विश्वकप, वनडे विश्वकप व टेस्ट विश्वकप में जीत दिलाई थी। वह पहले विकेटकीपर कप्तान है, जो सफलता की इस ऊंचाई तक सफर तय किया, जहां पहुंच पाना औरों के वश की बात नहीं।

जमशेदपुर के क्रिकेटरों ने भी माही को किया सलाम

जैसे ही माही ने संन्यास की घोषणा की, जमशेदपुर का क्रिकेट जगत स्तब्ध रह गया। लेकिन क्रिकेट का कोहिनूर धौनी मैदान के अंदर व बाहर ऐसे ही अचानक फैसले के लिए जाने जाते हैं। क्रिकटेरों ने उन्हें नायाब हीरा करार दिया।

महेंद्र सिंह धौनी ने विश्व फलक पर न सिर्फ भारत को नई ऊंचाईयां प्रदान की, बल्कि विश्व क्रिकेट को भी नया आयाम दिया। दबाव में भी नहीं घबराना कोई माही से सीखे। हम सभी उन्हें हमेशा मिस करेंगे। 

-जीतू पटेल, पूर्व रणजी क्रिकेटर

टीम इंडिया में धौनी की कमी खलेगी। लगभग एक साल से अधिक समय से भारतीय टीम के हिस्सा नहीं थे। यूं समझिए, उनके बिना मैदान सूना लगता था। लेकिन जिंदगी की यही सच्चाई है। 

-अशोक घोष, पूर्व रणजी क्रिकेटर

संन्यास के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भले ही उनका सफर खत्म हो गया हो, लेकिन मुझे विश्वास है। जिस तरह अचानक संन्यास की घोषणा कर सबको चौंका दिया, वैसे ही वह भविष्य में कुछ ऐसा निर्णय लेंगे, जिससे भारतीय क्रिकेट का भला होगा।

-शेषनाथ राय, संयोजक, पूर्व क्रिकेटर समूह

भारतीय क्रिकेट का एक युग का आज अंत हो गया। झारखंड हमेशा इस क्रिकेट का कोहिनूर का ऋणी रहेगा। आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर झारखंड की जो पहचान बनी है, उसमें इस खिलाड़ी की भूमिका को कतई नकारा नहीं जा सकता। वैसे मैं उनका हेलीकॉप्टर शॉट काफी मिस करूंगा। 

-असीम सिंह, सचिव, प. सिंहभूम जिला क्रिकेट संघ


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