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जापान में हुई आंखे चार और भारत की हो गई, जानिए पूरी कहानी

मूल रूप से जापान की रहनेवाली यूरिको अब यूरिको लोचन है और भारत में बस गई है। अब वह नोएडा में रहती है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 12:38 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 12:38 PM (IST)
जापान में हुई आंखे चार और भारत की हो गई, जानिए पूरी कहानी
जापान में हुई आंखे चार और भारत की हो गई, जानिए पूरी कहानी

जमशेदपुर [वेंकटेश्वर राव]। कहते हैं कला लोगों को जोड़ती है। इसमें सरहदों की सीमाएं मिटाने का दम है। तभी तो जापान की बेटी भारत की बहू हो गई और यही से कला का परचम पूरी दुनिया में लहरा रही है। नाम है यूरिको। मूल रूप से जापान की रहनेवाली यूरिको अब यूरिको लोचन है और भारत में बस गई है। अब वह नोएडा में रहती है।

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ऐसे हुई पहली मुलाकात

यूरिको फ‍िलवक्त झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में है। वह यहां आयोजित आर्ट ऑफ रेसीडेंसी में अपनी पेंटिंग कला का प्रदर्शन करने आई है। यूरिको बताती हैं कि बात 1985 की है। वह अपने देश में पढ़ाई कर रही थी। कोर्स था आर्ट इन एमए। उसकी दौरान उनकी मुलाकात जापान पहुंचे राजीव लोचन से हुई। उसी समय दोनों की आंखे चार हुई। उसके बाद दोस्ती आगे बढ़ी और कालक्रम में दोनों शादी के बंधन में बंध गए। राजीव लोचन नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के निदेशक रह चुके हैं। वे अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

कला के प्रति जागरूकता जरूरी

यूरिको भी अपनी चित्रकारी को लेकर भारत के विभिन्न राज्यों का भ्रमण कर चुकी है और अपनी कला को प्रदर्शित कर चुकी है। यूरिको ने बताया कि भारत में कला के विकास में काफी सारे कार्य हुए हैं। बस इसको लेकर जागरुकता लाने की जरूरत है।

संस्कृति मंत्रालय में हों कलाकर

जमशेदपुर के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में बनाए गए आर्ट ऑफ रेसीडेंसी में राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय कलाकार पहुंचे हुए हैं। अपनी चित्रकारी का प्रदर्शन करने पहुंचे अंतरराष्ट्रीय कलाकारों ने भारतीय पेंटिंग को आगे बढ़ाने की योजना पर फोकस किया है। दिल्ली के चित्रकार सीरज सक्सेना ने कहा कि कला के विकास के लिए भारत सरकार को काफी कुछ करने की जरूरत है। संस्कृति मंत्रलय में कलाकारों का होना आवश्यक है। अधिकारियों के भरोसे कला विकसित नहीं हो सकती। इसमें रुचि पैदा करने के लिए अच्छे कलाकारों की टीम का गठन किया जाना चाहिए।

ताईवान के संग्रहालय में कलेक्शन

सेरेमिक कला के माहिर नीरज को कई अवार्ड प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनकी कला घर, कार्यालय, लांज, बगीचा और चौराहा में लगायी जाने वाली कला है। इसकी काफी डिमांड है। वे स्कूल से ही इससे जुड़े हुए हैं और इसी को अपना करियर बनाए हुए है। कमाई के सवाल पर कहा कि इतना कमा लेते हैं कि घर परिवार व कार तथा अन्य जरूरतें पूरी हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि ताईवान के सेरेमिक संग्राहलय में उनकी कई पेंटिंग का कलेक्शन है।

स्कूली स्तर से लागू हो पेंटिंग

अमूर्त कला के माहिर कलाकार अखिलेश वर्मा का मानना है कि पेंटिंग में बच्चों का रुझान बढ़ाने के लिए इसे स्कूली स्तर से लागू किए जाने की जरूरत है। यह मन को शांति देती है। इससे आत्महत्या जैसी वारदातें रुक सकती हैं। भारत में पेंटिंग की गति को आगे बढ़ने में बाधा का मुख्य कारण इसके समीक्षक का न होना है। आजादी के बाद से अब तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया।

जीवन संबंधों पर चित्रकारी

अविनाश ने बताया कि उन्हें जीवन संबंधों पर चित्रकारी बनाने में बहुत मजा आता है। वे 76 के दशक से चित्रकारी कर रहे हैं। उन्हें इंडोनेशिया के लोग काफी पसंद हैं। वहां के लोगों में कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की वे चित्रकारी को सीखे इससे आपको शांति मिलेगी। हमें लोगों में चित्रंकन में रुचि पैदा करने की आवश्यकता है।


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