Move to Jagran APP

लटपट और झटपट के खेल में शायद ही कोई होता मालामाल, जानिए पूरी कहानी

गैंबलिंग का धंधा दो तरीके से संचालित हो रहा है। एक लाटरी से तो दूसरा मटका के नाम प्रचलित है। गिरोह की भाषा में लाटरी को झटपट तो मटका को लटपट कहा जाता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 01:43 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 01:43 PM (IST)
लटपट और  झटपट के खेल में शायद ही कोई होता मालामाल, जानिए पूरी कहानी
लटपट और झटपट के खेल में शायद ही कोई होता मालामाल, जानिए पूरी कहानी

जमशेदपुर(जासं)। पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर के हर व्यस्त इलाके में खाकी व खादी के संरक्षण में संचालित हो रहे ‘लटपट व झटपट’ के धंधे में हर दिन हजारों लोग कंगाल हो रहे हैं। इसमें लाखों रुपये कुछ मिनटों में लोग गंवा दे रहे हैं। धंधे की वजह से खूब अपराध रहे हैं। आइए, जानते हैं पूरा सच।

loksabha election banner

जमशेदपुर में गैंबलिंग का धंधा दो तरीके से संचालित हो रहा है। एक लाटरी से तो दूसरा मटका के नाम प्रचलित है। गिरोह की भाषा में लाटरी को झटपट तो मटका को लटपट कहा जाता है। झटपट (लाटरी) के लिए 11 रुपये की राशि लगाने वालों पर अगर किस्मत मेहरबान हुई तो 100 और लटपट (मटका) में 11 में 125 रुपये का भुगतान होता है। इसमें ज्यादातर लोग कंगाल हो रहे हैं। 

नौ बजे दिन से शुरू हो जाता गोरख धंधा 

धंधा रोजाना सुबह नौ से रात्रि नौ बजे तक चलता है। पूरा गिरोह मोबाइल पर मुंबई व कोलकाता से ऑनलाइन रहता है। लटपट व झटपट में लोगों को फांसने का अड्डा शहर के हर व्यस्त इलाके में संचालित हो रहे हैं। धंधे में इस्तेमाल होने वाले कागज का चुटका ही सबकुछ होता है।

कुछ इस तरीके से चलता है धंधा

खादी और खाकी के संरक्षण में धंधा चल रहा है। लाटरी व मटका का धंधा चलाने वाले संगठित गिरोह सबकुछ संगठित तरीके से संचालित करते हैं। लाटरी व मटका दोनों में ही दस घर होते है। जो एक से दस तक होते है। एक को एक्का, दो को दुग्गी, तीन को तिग्गी, चार को चौका, छह को छक्का, सात को सत्ता, आठ को अठ्ठा एवं नौ को नहला एवं दस को बिंदी कहकर संबोधित किया जाता है।

एक घर में दांव लगाने को लगते 11 रुपये

एक घर में दांव लगाने को 11 रुपये का भुगतान करना होता है। इसके बाद दांव लगाने वालों की मर्जी वह जितने घर में दांव लगाएगा प्रति घर 11 रुपये की हिसाब से उसे गिरोह को भुगतान करना होगा। लाटरी के लिए हर आधे घंटे पर तो मटका का दोपहर दो बजे से रात्रि दस बजे तक परिणाम सामने आते रहते हैं। अगर किस्मत ने साथ दिया तो 11 के बदले सौ मिलेंगे  तो ठन-ठन गोपाल। इसके संचालक दिनों दिन धनी व खेलने वाले कंगाल हो रहे हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.