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Positive India : लॉकडाउन से बदल गई लोगों की जीवन शैली, सुखद अहसास दे रहे ये बदलाव

Positive India. जी हां वैश्विक महामारी कोरोना ने हम सभी के जीवन को प्रभावित किया है। इससे कई बदलाव आए हैं। हालां‍कि ये बदलाव सुखद संंदेश दे रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 05 May 2020 02:59 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 02:59 PM (IST)
Positive India : लॉकडाउन से बदल गई लोगों की जीवन शैली, सुखद अहसास दे रहे ये बदलाव
Positive India : लॉकडाउन से बदल गई लोगों की जीवन शैली, सुखद अहसास दे रहे ये बदलाव

जमशेदपुर, जेएनएन।  Positive India जब हमें मजबूरीवश कम से कम चीजों में अपना काम चलाना पड़ता है तो कहते हैं, मजबूरी का नाम महात्मा गांधी। जी हां, वैश्विक महामारी कोरोना ने हम सभी के जीवन को प्रभावित किया है। इससे कई बदलाव आए हैं। हालां‍कि ये बदलाव सुखद संंदेश दे रहे हैं।  

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लॉकडाउन के कारण आज जब सारे बाजार, मॉल, आनलाइन खरीददारी बंद है, घर में सामान का आना-जाना बंद है, अपना काम खुद करना पड़ रहा है, मजबूरी में ही सही, हमने अपनी आवश्यकता को सीमित किया है। वह बाजार जो उपभोक्ताओं के कारण अपनी भव्यता पर इतराता था, उसकी इतराहट अभी कम हुई है। कोरोना समय ने हमें मौका दिया है कि हम अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं के साथ कैसे जीयें। अपनी जीवन पद्धति में बदलाव लाएं। हर घर, हर परिवार में यह बदलाव अब देखने को मिल रहा है। कभी फाइव स्टार सैलून में बाल कटवाने वाले लोग आज घर में ही एक दूसरे का बाल काट रहे हैं। जुबिली पार्क का लजीज डोसा या साकची का गरमागरम गोलगप्पा अब घर में ही बन रहा है। हेल्दी केक से लेकर मोमो तक लोग घरों में बनाकर परिवार के साथ बैठकर खा रहे हैं।

सास-ससुर की सालगिरह पर बनाया हेल्दी केक

अभी 23 अप्रैल को हमारे सास-ससुर के जन्मदिन पर हेल्दी केक बनाया। इसी दिन हमारे देवर अमन का जन्मदिन भी था। हमारे इस प्रयास को परिवार के लोगों ने काफी सराहा भी। सभी मेरी प्रतिभा के कायल हो गए। हालांकि मुझे बेकरी का आइटम बनाने का शुरू से ही शौक रहा है, लेकिन लॉकडाउन के पहले तक अपना शौक पूरा करने का समय ही नहीं मिल पाता था। आज समय ही समय है। पति अमित सोंथालिया के साथ-साथ ससुर श्याम सुंदर सोंथालिया व सास सुशीला ने मेरे प्रयास की सराहना की। इस हौसलाअफजाई से प्रोत्साहन मिला और मैं अब हर दिन कोई न कोई स्ट्रीट फूड घर में ही बना लेती हूं।

-आंचल सोंथालिया, रामनगर, कदमा

लॉकडाउन ने बाल काटना भी सिखा दिया

धन्य हो लॉकडाउन, जिसने बाल काटना भी सिखा दिया। पिछले एक महीने से कंपनी बंद, बाजार बंद, स्कूल बंद। मेरे बेटा हर्ष का बाल काफी बढ़ गए थे। रोज मैं सलून की खोज में बाहर निकलता, लेकिन हर दिन निराशा हाथ लगती। बस क्या था, अपना हाथ जगन्नाथ। उठाया कैंची और अपने बेटे हर्ष का बाल काट दिया। शुरुआत में तो डर लग रहा था कि बेटा कहीं गुस्सा नहीं करे। लेकिन जब उसने खुद को आइना में देखा तो कहा-पापा आपको तो हेयर ड्रेसर होना चाहिए। मैं भी शरमा गया।

-मनोज कुमार, विजया गार्डेन, बारीडीह

सूट बनाना सीख रही हूं

14 फरवरी को शादी हुई और 22 मार्च को लॉकडाउन हो गया। ऐसे में घूमना तो दूर घर के ही काम में फंसी रही। मैंने और मेरे पति ने बाहर टूर जाने की प्लानिंग की थी, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका। खैर, बाद में घूमा जाएगा। मैं घर के काम काज निपटाने के बाद कपड़ों की सिलाई करने में व्यस्त हूं। मुझे कपड़ों की सिलाई करना अच्छा लगता है। इसी बहाने अपने हाथों से सूट सिलाई कर व उसमें कढ़ाई कर पहनने का आनंद ही कुछ और है। मेरे पति इंद्रजीत सिंह भी लॉकडाउन में मेरा साथ देते हैं और हम दोनों मिलकर घर का पूरा काम कर लेते हैं। 

- रुपिंदर कौर

अब मोमोज के लिए ठेला पर नहीं जाऊंगी

 

लॉकडाउन के कारण सारा समय घर में ही बीतता है। शुरुआत में बोर हो जाती थी, लेकिन अब मम्मी के साथ रसोई में नया-नया प्रयोग कर लेती हूं। घर में मोमो, पिज्जा, बर्गर बना रही हूं। जिससे पापा-मम्मी व भाई खुश हैं। लगता है लॉकडाउन खत्म होने पर भी सड़क किनारे बने पिज्जा-बर्गर में मजा नहीं आएगा जो मैं घर में बना रही हूं।

-कुसुम कुमारी, एग्रिको

बच्चों की पसंद से तैयार होता पास्ता चाऊमीन

बच्चों को स्ट्रीट फूड काफी पसंद है। लेकिन क्या करूं, लॉकडाउन में सबकुछ बंद है। बच्चे जिद करने लगते हैं। मैंने भी एक दिन ठान ही लिया कि यूट्यूब से देखकर बच्चों को कुछ खिलाती है। आज ही मैंने उन सभी के लिए चाऊमीन व पास्ता बनाया है। बच्चों के अलावा उनके पापा भी डायनिंग टेबल पर स्ट्रीट फूड का बखूबी मजा ले रहे हैं।

-मनीषा संघी, काशीडीह

घर में मिठाई बना होटल की कमी दूर कर रही प्रियंका

जब से लॉकडाउन हुआ है, शहर के सारे मिठाई दुकान बंद हो गए। मेरे घर में बेटी समृद्धि व पति डॉ. राजेश चौहान को मिठाई बेहद पसंद है। बस क्या था घर में ही गुलाब जामुन बनाने की ठान ली। मेरी बेटी समृद्धि को भी गुलाब जामुन काफी पसंद है। मंगलवार को उसे भी भी गुलाब जामुन बनाना सिखा दिया। इतना लाजवाब गुलाब जामुन तैयार हुआ कि समृद्धि ने अपनी सहेली प्रीत व अंशिका को बुलाकर उसका स्वाद चखाया।

- प्रियंका चौहान, मानगो

यूट्यूब से देख मोमोज बनाना सीख गया

लॉकडाउन के कारण स्ट्रीट फूड की दुकानें बंद हैं। वीकेंड पर घर के बाहर मस्ती करने वाले बच्चे एक माह से घर में बंद हैं। उनकी बोरियत दूर करने के लिए मंगलवार को मैं अपनी पत्नी अरुणिमा गुप्ता के साथ किचन में बेटे युवराज और उत्पल की पसंदीदा रेसिपी मोमो बनाया। पत्नी अरुणिमा ने बच्चों को सरप्राइज देने के लिए गौतम ने यूट्यूब देखकर मोमोज बनाने में मदद की है। वैसे जब से लॉकडाउन हुआ है तब से हर दिन घर पर ही कोई ने कोई डिश बनाना पड़ रहा है। 

- गौतम गुप्ता, टीचर्स कॉलोनी, मानगो

अब घर में हर दिन बन रही गोलगप्पा

मुझे गोलगप्पा बहुत पसंद है, लेकिन लॉकडाउन में यह दुर्लभ हो गया था। मैंने यूट्यूब पर गोलगप्पा की रेसिपी सीखी और अब परिवार के साथ हर दिन गोलगप्पा बनाकर खा रही है। पहले यह बहुत कठिन लगता था, जबकि ऐसा नहीं है। मैं तो लॉकडाउन के बाद भी खुद का बनाया गोलगप्पा खाना पसंद करूंगी। कम से कम ठेले की गंदगी इसमें नहीं होगी। इसे कोई भी बना सकता है। आटा व सूजी आधा-आधा लेकर उसमें एक चौथाई मैदा मिला लें। गर्म पानी और रिफाइन से आटे को गूंधकर एक घंटे बाद बेलकर छान लेना है।

- निकिता कुमारी, कदमा

घर में मिठाई बनाकर होटल की कमी दूर कर रही: जसपाल कौर

 पहले जहां मिठाई खाने का मन करता था तब होटल से मंगा लिया करती थी, लेकिन जब से घर में कैद हो गई हूं, मजबूरी में ही सही, घर में ही मिठाई बना ले रही हूं। खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने का चलन पहले से ही है।

नाश्ता की जिम्मेदारी संभाली

 

लॉकडाउन में मैंने अपने घर में चटपटा नाश्ता बनाने की जिम्मेदारी ले ली है। मेरे घर में दो छोटी बहन, मम्मी-पापा हैं। पहले बाहर से प्रतिदिन नाश्ता या चटपटा खाद्य व्यंजन होटल से मंगाया जाता था। 

-नेहा कुमारी, सोनारी

कटहल से बनाया गुलाब जामुन

मुझे गुलाब जामुन बहुत पसंद है। अब तक मैं होटल से मंगाती थी या कभी-कभार बाजार से गिट्स खरीदकर बनाती थी। यह महंगा पड़ता है। मैंने मोबाइल से रेसिपी सीखकर कटहल से गुलाब जामुन बनाया है। यह बहुत आसान है। कच्चे कटहल को अच्छी तरह उबालकर अच्छे से मसलकर गोल-गोल लोई बनाकर रिफाइन में भूरा होने तक छान लेना है। इसे चीनी की चाशनी में डुबाकर थोड़ी देर छोड़ देने से ही तैयार हो जाता है। लॉकडाउन में मैं सप्ताह में एक बार गुलाब जामुन बनाती हूं और फ्रिज में रख देती हूं।

 - अंकिता कुमारी, भालूबासा

लॉकडाउन ने पिज्जा- गोलगप्पा बनाना सिखा दिया

कोरोना वायरस ने हम सब की दिनचर्या को ही बदल दिया है। लॉकडाउन के कारण जहां हम अपने घरों में कैद हो गए हैं, लेकिन रसोईघर में तरह-तरह के व्यंजन बनाना सीखा दिया। मैं अपनी बहन ईना प्रिया के साथ मिलकर आजकल खूब स्ट्रीट फूड बना रही है। पहले जब मर्जी करता था तब बाहर जाकर पिज्जा, बर्गर या गोलगप्पा खा लेती थी, लेकिन समय ऐसा बदला कि मुझे ही पिज्जा, बर्गर व गोलगप्पा बनाना पड़ रहा है। परिवार के साथ खाने में बड़ा ही मजा आ रहा है। 

-हर्षा अमन, सोनारी

पूरा परिवार मिल बना रहा डोसा

काफी दिन हो गए स्ट्रीट फूड खाए। मंगलवार को सोचा, डोसा बनाती हूं। काफी दिनों से मेरे दोनों बच्चे हर्ष व सक्षम डोसा खाने की जिद कर रहे थे। मैंने भी उनके सामने शर्त रख डाली। तुम लोगों को भी किचन में सहायता करनी होगी। सभी तैयार हो गए। हर्ष ने प्याज काटा तो सक्षम ने आलू उबाला।

- लक्ष्मी साहू, सोनारी

घर में बने पिज्जा-बर्गर स्ट्रीट फूड को कर रहे फेल

लॉकडाउन ने घर के सारे नियम कानून को ही बदल दिया है। पहले जब कभी घर में पिज्जा-बर्गर की जरूरत होती थी, तब बाहर से मंगा लिया करते थे। अब तो होटल बंद हैं। बच्चों व परिजनों की मांग पर खुद घर में पिज्जा, बर्गर बनाती हूं। जो सामान होटल से मंगाए जाते थे, उससे कहीं ज्यादा स्वादिष्ट घर में बन रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह सुरक्षित भी है। हम सबको स्ट्रीट फूड को घर में बनाने का प्रयास करना चाहिए।

 -नीलम गुप्ता, सीतारामडेरा।


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