बीमा कर्मचारी संघ की दोबारा अध्यक्ष बनीं पूरबी
बीमा कर्मचारी संघ का दो दिवसीय 46वा वार्षिक सम्मेलन रविवार को बिष्टुपुर स्थित हिदुस्तान बिल्डिंग में संपन्न हो गया। इस सम्मेलन में सत्र 2019-20 के लिए कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया जिसमें एक बार फिर पूरबी घोष को अध्यक्ष चुना गया। इनके साथ महासचिव अमित माइती व कोषाध्यक्ष सुकांतो शर्मा चुने गए।
जासं, जमशेदपुर : बीमा कर्मचारी संघ का दो दिवसीय 46वा वार्षिक सम्मेलन रविवार को बिष्टुपुर स्थित हिदुस्तान बिल्डिंग में संपन्न हो गया। इस सम्मेलन में सत्र 2019-20 के लिए कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया गया, जिसमें एक बार फिर पूरबी घोष को अध्यक्ष चुना गया। इनके साथ महासचिव अमित माइती व कोषाध्यक्ष सुकांतो शर्मा चुने गए।
इससे पूर्व प्रतिनिधि सत्र को संबोधित करते हुए पूर्व-मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष प्रदीप मुखर्जी ने कहा कि आज राष्ट्रीयता को धर्म के साथ जोड़ दिया गया है और यह राष्ट्रीयता अमानवीयता की ओर बढ़ रही है। उन्होंने एलआइसी में वेतन पुनरीक्षण के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि इसे एलआइसी की क्षमता के अनुसार होना चाहिए। एक बार फिर उन्होंने एलआइसी की प्रगति में कर्मचारियों के योगदान की चर्चा करते हुए संगठन में एकता और समर्पण की भावना पर जोर दिया। संयुक्त सचिव वीरचंद सिंह ने कहा कि पूंजीपति वर्ग द्वारा यह कोशिश की जाती है कि जनता को राजनैतिक दुविधा में फंसाकर, जाति व धर्म में बांटकर रखा जाए ताकि उनका ध्यान वास्तविक समस्याओं से हट जाए और वे अधिक धन संग्रह करने में सफल हो सकें। सम्मेलन में करीब 140 प्रतिनिधि व पर्यवेक्षक शामिल थे, जबकि 30 वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
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पारित हुए प्रस्ताव
सम्मेलन में कई प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिसमें सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र व साधारण बीमा कंपनियों में विनिवेश का विरोध। सार्वजनिक उपक्रमों व खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के विरोध में एएआइआइइए को मान्यता प्रदान करने। एक अगस्त 2017 से देय वेतन पुनरीक्षण के मागपत्र पर समझौता करने। न्यू पेंशन स्कीम को खारिज कर सभी के लिए 1995 पेंशन स्कीम लागू करने। फैमिली पेंशन में सुधार। एलआइसी में तृतीय व चतुर्थ संवर्ग में नियुक्ति, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा व न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये करने, सीजीआइटी निर्णय को तुरंत लागू करने, ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने, कीमतों को नियंत्रित करने, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री बंद होने व कर्मचारियों की छटनी के विरोध में सरकार द्वारा इसमें हस्तक्षेप की माग शामिल हैं।