Amazon Issues: लीगल मेट्रोलॉजी डायरेक्टर ने अमेजन की अपील की खारिज, जानिए क्या है मामला
Amazon Issues. केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी के निदेशक ने मेट्रोलॉजी विभाग द्वारा जारी नोटिसों के खिलाफ अमेजन की एक अपील को ठुकरा दिया है और कहा है कि विभाग अमेजन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
जमशेदपुर, जासं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी के निदेशक ने मेट्रोलॉजी विभाग द्वारा जारी नोटिसों के खिलाफ अमेजन की एक अपील को ठुकरा दिया है और कहा है कि विभाग अमेजन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 की धारा 6 (1) का उल्लंघन करते हुए अमेजन को पकड़ा है। जिसके तहत चिन्हित आवश्य घोषणा का उल्लेख ई कॉमर्स के वेबसाइट पर करना अनिवार्य है। अमेजन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कहीं भी निर्माता का पूरा नाम या पता प्रदर्शित नहीं किया गया था। जिसका उपयोग ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए किया जाता रहा है। नियम के उल्लंघन के कारण अमेजन को विभाग ने 19 नवंबर 2020 को एक नोटिस जारी किया था। इस पर कोई संज्ञान नहीं लेने पर नौ दिसंबर 2020 को एक बार फिर विभाग ने अमेजन को रिमाइंडर नोटिस भेजा था। पैकेज्ड कमोडिटीज नियम 6 के तहत निर्माता या पैकर आदि के पते को अनिवार्य रूप से उल्लेख करना है।
कैट ने किया स्वागत
कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थलिया ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि अमेजन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सभी बिक्री उनके द्वारा ही नियंत्रित की जाती है। इसलिए विक्रेताओं के विवरण का कोई उल्लेख नहीं होता है। बिक्री पहले सीधे अमेजन पर जाती है और वे तय करते हैं कि किसको बिक्री का ऑर्डर भेजा जाना है। इस तथ्य के आधार पर लगभग 80 प्रतिशत बिक्री उनके पसंदीदा विक्रेताओं के माध्यम से हो रही है और इसलिए अमेजन का ये तर्क है कि विक्रेता अपने विवरणों को स्वयं सूचीबद्ध करते हैं जो बिल्कुल बेबुनियाद है।
ये भी रखी मांग
हालांकि, कैट का मानना है कि मामूली मौद्रिक दंड का कोई महत्व नहीं है और इसलिए कैट ने दृढ़ता से मांग की है कि अमेजन और अन्य बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर सात दिनों का प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो कानून और नीतियों को लगातार अपमानित कर रहे हैं। ये एक अनुकरणीय सजा होगी। सोंथलिया ने कहा कि हालांकि यह आदेश खात्मे की कगार पर पहुच चुके देश के खुदरा क्षेत्र को बहुत बल देगा। लेकिन भारतीय कानून का उल्लंघन करने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स दिग्गज पर इतनी कम राशि की सज़ा सुनाना हमारे न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र का मजाक उड़ाने के अलावा होगा और कुछ नहीं है। सजा हमारी अर्थव्यवस्था पर उनके द्वारा की गई क्षति के बराबर होनी चाहिए और इसमें विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि राष्ट्र के कानून की अवहेलना करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।