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भूमि अधिग्रहण में देरी ने कराई एनएच-33 की दुर्दशा

भूमि अधिग्रहण में होनेवाली लेटलतीफी की वजह से भी राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा हुई। इसका निर्माण बाधित हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 12:40 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 12:40 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण में देरी ने कराई एनएच-33 की दुर्दशा
भूमि अधिग्रहण में देरी ने कराई एनएच-33 की दुर्दशा

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : भूमि अधिग्रहण में होनेवाली लेटलतीफी की वजह से भी राष्ट्रीय राजमार्ग-33 की दुर्दशा हुई है। एनएच-33 की बदहाली के लिए मधुकॉन के अलावा एनएचएआइ के अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।

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प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते भूमि अधिग्रहण में देर हुई और इस वजह से एनएच-33 के चौड़ीकरण में देर होती चली गई। काम शुरू नहीं हो पाने से गढ्डों की संख्या बढ़ती गई और अब जमशेदपुर में ये सड़क तालाब जैसी बन गई। इस पर चलना दुश्वार है। आए दिन हादसों में लोगों की जान जा रही है लेकिन, कोई देखने-सुनने वाला नहीं है। शहर में मोनो रेल और स्वर्णरेखा नदी में जहाज चलाने की बात करने वाले जनप्रतिनिधि और अधिकारी एनएच-33 पर चुप्पी साध कर बैठे हुए हैं।

2013 से ही जर्जर एनएच-33 को लेकर जनता शोर मचाने लगी थी। इसके बाद भी पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला समेत अन्य जिलों के प्रशासनिक अधिकारी भूमि अधिग्रहण में लापरवाही बरतते रहे। भूमि अधिग्रहण का काम कछुआ की रफ्तार से चलता रहा। एनएच पर काम नहीं होने से सड़क जानलेवा हो गई। फिर भी अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। हालात ये हैं कि अब भी एनएच-33 पर भूमि अधिग्रहण के पेच फंसे हुए हैं। एनएच-33 का निर्माण 2012 में शुरू हो गया था। मधुकॉन को इसका ठेका मिला था। लेकिन, भूमि अधिग्रहण का काम 2015-16 तक चलता रहा। इसके चलते भी निर्माण कार्य रफ्तार नहीं पकड़ सका।

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बोड़ाम व केवाली गांव में अब भी अधिग्रहण नहीं

एनएच-33 अब भी बोड़ाम और कोवाली मौजा में 2.301 हेक्टेयर वन भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव सरकार को नहीं भेजा गया है। इस वजह से वन विभाग ने अब तक एनओसी नहीं दी है। सरकार को प्रस्ताव देने में कोताही बरती जा रही है। ये प्रस्ताव एनएचएआइ को सरकार को देना है। इसी तरह, जमशेदपुर में पारडीह कालीमंदिर से डिमना चौक तक भूमि अधिग्रहण अब तक नहीं हो पाया है। जबकि, इस इलाके में भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव सरकार को गया था। सरकार ने एनएचएआइ से 49 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा था। लेकिन, एनएचएआइ ने अब तक मुआवजा नहीं दिया। यही नहीं, बुंडू और तमाड़ में भी निजी इमारतों के 0.79 डेसीमल जमीन का अधिग्रहण मुआवजा का भुगतान नहीं होने से नहीं हो पाया है। रांची के करीब भी 2.52 किमी पथांश पर 11 गांव में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी चल ही रही है।

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बालीगुमा में भी 2.64 हेक्टेयर भूमि पर है पेच

डिमना चौक से आगे बालीगुमा के पास दलमा अभ्यारण्य की 2.64 हेक्टेयर जमीन अब तक वन विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिल पाया है। इस वजह से एनएचएआइ को हस्तांतरित नहीं हो पाई है। जमीन हस्तांतरित नहीं होने से इस क्षेत्र में चौड़ीकरण नहीं हो पाया है। इसके चलते भी योजना में देर हुई है।


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