रांची की आक्रोश रैली से सांसदों-विधायकों को दूर रखेगा कुड़मी समाज
कुड़मी विकास मोर्चा, कुड़मी सेना टोटेमिक और कुड़मी आंदोलनकारी मंच ने 27 जनवरी को आक्रोश महारैली निकालने का निर्णय लिया है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। कुड़मी समाज अपने हक की लड़ाई से सांसदों व विधायकों को दूर रखकर खास संदेश देने की कोशिश करेगा। कुड़मी विकास मोर्चा, कुड़मी सेना टोटेमिक और कुड़मी आंदोलनकारी मंच ने संयुक्त रुप से अगले वर्ष 27 जनवरी को रांची के मोरहाबादी मैदान में आक्रोश महारैली निकालने का निर्णय लिया है। इसमें सांसद-विधायक को आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में तीनों संगठनों के प्रमुखों ने बताया कि रांची की आक्रोश रैली कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने, कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने और सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर निकाली जाएगी।
10 लाख लोगों को शामिल होने का दावा
कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने दावा किया कि रांची की महारैली में लगभग 10 लाख कुड़मी शामिल होंगे। कुड़मी सेना टोटेमिक के अध्यक्ष लालटू महतो ने बताया कि महारैली के लिए गांव-गांव में जन जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। कुड़मी आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष फणिभूषण महतो ने बताया कि उक्त जनसभा करने का उद्देश्य लोगों को एक मंच पर लाकर उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी देना है।
सांसद -विधायक खो चुके विश्वास
इस रैली की खास बात यह होगी कि इससे सांसद-विधायकों को दूर रखा जाएगा। उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। कुड़मी विकास मोर्चा, कुड़मी सेना टोटेमिक और कुड़मी आंदोलनकारी मंच ने कहा कि कुड़मी सांसद और विधायक समाज का विश्वास खो चुके हैं। सांसद और विधायकों के नकारात्मक कार्यो के कारण समाज के लोग काफी आक्रोशित हैं। इसलिए उन्हें इससे दूर रखा जाएगा।
ये रहे मौजूद
प्रेस वार्ता में सुमित महतो, चंदन महतो, भरत महतो, राजू महतो, विराट महतो, मनिन्दर महतो, नारायण महतो, निलेश महतो आदि समेत कई लोग उपस्थित थे।