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31 वर्षों से खुद प्रतिमा बनाकर कर देवी दुर्गा की आराधना कर रहे कृष्णेंदु

जब वे तीन वर्ष के थे दुर्गा की मूर्ति खेल-खेल में मिट्टी से बनाते थे जो एक गुड़िया के आकार का होता था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 06:00 AM (IST)
31 वर्षों से खुद प्रतिमा बनाकर कर देवी दुर्गा की आराधना कर रहे कृष्णेंदु
31 वर्षों से खुद प्रतिमा बनाकर कर देवी दुर्गा की आराधना कर रहे कृष्णेंदु

दिलीप कुमार, जमशेदपुर : तीन साल की उम्र में खेल-खेल में शुरू हुई पूजा अब कृष्णेंदु की जिदगी का अहम हिस्सा बन गया है। लौहनगरी स्थित बारीडीह के बागुननगर निवासी 34 वर्षीय कृष्णेंदु सेनगुप्ता पिछले 31 वर्षो से खुद मूर्ति बनाकर देवी दुर्गा की पूजा अर्चना कर रहे हैं। जब वे तीन वर्ष के थे दुर्गा की मूर्ति खेल-खेल में मिट्टी से बनाते थे, जो एक गुड़िया के आकार का होता था। आस-पास के पंडालों की मंत्रोच्चारण सुन कृष्णेंदु भी ओम दुर्गा, ओम दुर्गा का जाप कर गुड़िया की पूजा करने लगे। जब वे 12 साल के थे तो बड़ी मूर्ति बनाकर पूर्ण रूप से मां दुर्गा की आराधना करने लगे। उनकी यह श्रद्धा आज भी अनवरत जारी है। लोग भी इनकी पूजा को देखने आते हैं।

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दीघा के मूर्तिकार से सीखी मूर्ति बनाने की कला : कृष्णेंदु ने कहा, वे जब 12 साल के थे, तो दीघा के मूर्तिकार शिखर सेन और प्रबीर कुमार गिरी के संपर्क में आए। उन्हें मूर्ति बनाना नहीं आता था। दोनों मूर्तिकारों ने मां दुर्गा के प्रति उनकी भक्ति को देख उसे इस कला में निपुण बनाया। तभी से बड़ी मूर्तियां बनाने लगा। इस वर्ष, सरकारी नियमों के अनुसार कोरोना महामारी के लिए छोटी मूर्तियां बनाई गई हैं।

रामकृष्ण मिशन से सीखी पूजा की विधि :

कृष्णेंदु ब्राह्मण नहीं हैं। इस कारण पूजा का विधि-विधान भी कठिन था। इस विधि विधान को सीखने के लिए उन्होंने रामकृष्ण मिशन से संपर्क किया। रामकृष्ण मिशन के नागेश्वरानंदजी महाराज को जब सारी बातें कृष्णेंदु ने बताई तो उन्होंने कहा बिना ब्राह्मण के भी विधि-विधान से देवी की आराधना की जा सकती है। इसके बाद उन्होंने देवी की आराधना के लिए महाराज से दीक्षा ली तथा पूजा का विधि-विधान सीखा। सीखने के बाद वे पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हैं।


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