Covid 19 : कोविड घर की उम्र हुई 75 दिन...न थके, न रुके, बस चलते जाना है
Covid 19. जमशेदपुर के एमजीएम के वायरोलॉजी लैब में अबतक 12000 लोगों की जांच हुई है। 11 मार्च को यहां झारखंड का पहला कोविड जांच सेंटर शुरू हुआ था।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। Covid 19 न थके, न रुके, बस चलते जाना है। ये हौसला, हिम्मत व जज्बा झारखंड के पहले कोविड-19 जांच घर में काम करने वाले कर्मचारियों की है। रविवार को महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब का 75 दिन पूरा हो गया।
संडे हो या मंडे रोजाना 17 से 18 घंटे काम चल रहा है। यानी 1275 घंटे में प्रदेश के करीब 12000 लोगों की जांच पूरी हुई है। सुबह आठ से रात 12 बजे तक जांच रिपोर्ट तैयार हो रही है। परिवार से ज्यादा कर्मचारियों का समय लैब में ही बीत रहा है, इसलिए वायरोलॉजी लैब का नाम बदलकर कोविड घर रख दिया गया है। राज्य में सबसे पहले कोविड जांच घर की शुरुआत 11 मार्च को एमजीएम में हुई। इसके बाद रांची रिम्स व धनबाद में शुरू हुई। एमजीएम में पहले दिन 30 नमूने की जांच हुई थी, जो बढ़कर अब 580 तक पहुंच गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने झारखंड में एमजीएम को ही क्वालिटी कंट्रोल लैब बनाया है।
छह कर्मचारी व एक मशीन से शुरू हुई थी कोविड घर
कोविड जांच घर की शुरुआत छह कर्मचारी व एक पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) मशीन से हुई थी। लेकिन, अब बढ़कर तीन पीसीआर मशीन व 35 कर्मचारी हो गए है। इसमें डॉक्टर, साइंटिस्ट, टेक्नीशियन, डाटा ऑपरेटर सभी शामिल है। महिला-पुरुष की संख्या करीब-करीब एक समान है। माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. रीता चौहान कहती है कि सबसे खास बात यह है कि सभी कर्मचारी समय से पूर्व ही ड्यूटी पर चले आते है। कर्मचारियों की ईमानदारी को मैं सलाम करता हूं।
सात चरणों में हो रही जांच
- पहला चरण : सुबह आठ बजे नमूना बॉक्स खोलकर अलग-अलग किया जाता है। इसके बाद टैगिंग की जाती है।
- दूसरा चरण : सुबह नौ बजे नमूना को आरएनए एक्सट्रेशिन के जरिए किया जाता है। इसमें कोशिकाओं का परीक्षण मशीन से होता है।
- तीसरा चरण : 11 बजे से नमूना की मास्टर मास्टर मिक्सिंग और लोडिंग शुरू होती है। इसके बाद जांच शुरू होती है।
- चौथा चरण : 12.30 बजे से एक बजे के बीच पीसीआर प्रक्रिया। इसमें डीएनए जांच होती है। दो से तीन घंटे लग जाते है। जांच शाम करीब 4 बजे तक चलती है।
- पांचवा चरण : पिछले चार चरणों की जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। अब तक की जांच में रिजल्ट निगेटिव आता है तो जांच रोक दी जाती है।
- छठा चरण : पॉजिटिव केस को कंफर्मेशन टेस्ट किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को भेजा जाता है।
- सातवां चरण : आइसीएमआर से जांच रिपोर्ट आने के बाद उन्हें कंपाइल कर सूचीबद्ध किया जाता है।
इनकी सुनें
- डर के आगे जीत है। हमारे सभी कर्मचारी हौसला से भरपूर है और कोरोना को हराकर ही दम लेंगे। यह गर्व की बात है कि राज्य में सबसे पहले जांच के लिए एमजीएम का चयन हुआ।
- डॉ. रीता चौहान, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी।
- जब हम इस पेशा में आए हैं तो डर किस बात की। सबकी जान की रक्षा करना हमारी जिम्मेवारी बनती है। बॉर्डर पर सेना अगर अपनी जान के बारे में सोचेगा तो दुश्मन हावी हो जाएंगे।
- डॉ. प्रीति मोहन, माइक्रोबायोलॉजिस्ट।
- 75 दिन काम करने के बाद अब डर भाग गया है। खुशी की बात है कि बिना किसी परेशानी का हमने 75 दिन पूरा कर लिया है। पूरी सेफ्टी के साथ हमारे लैब में काम हो रहा है।
- डॉ. प्याली गुप्ता, नोडल पदाधिकारी, वायरोलॉजी लैब।
- घर वालों की हमारी चिंता बढ़ गई है लेकिन मुझे तो सभी का चिंता करनी है। मैं सुबह आठ बजे आती हूं तो रात 12 बजे घर जाती हूं। पूरी मजबूती के साथ कोरोना को हराने की लड़ाई लड़ रही हूं।
- डॉ. शना इरफान, साइंटिस्ट।