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World Malariya Day 2020: टाइगर मच्छर से कांपता है कोल्हान, नक्सली भी रखते इसकी दवा Jamshedpur News

World Malariya Day 2020. एक मच्छर ऐसा भी है जो हर साल कहर बरपा रहा है। सफाये के लिए हर साल लाखों खर्च किये जाते हैं फिर भी वह बीमार कर जाता है।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2020 08:15 AM (IST)
World Malariya Day 2020: टाइगर मच्छर से कांपता है कोल्हान, नक्सली भी रखते इसकी दवा Jamshedpur News
World Malariya Day 2020: टाइगर मच्छर से कांपता है कोल्हान, नक्सली भी रखते इसकी दवा Jamshedpur News

जमशेदपुर,अमित तिवारी।  World Malariya Day 2020 टाइगर मच्छर से कांपता है कोल्हान। जी हां, सही सुना आपने। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के क्षेत्र में एक मच्छर ऐसा भी है जो हर साल कहर बरपा रहा है। उसके सफाये के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन वह सबको बीमार कर चला जाता है।

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एडिस का नाम पड़ा टाइगर मच्छर 

इस मच्छर को एडिस कहते हैं, जिसे टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है। इसे काटने से डेंगू और चिकनगुनिया दोनों होता है। पूर्वी सिंहभूम जिले में डेंगू और चिकनगुनिया हर साल सैकड़ों मरीज सामने आते है। इसमें कई लोगों की मौत भी हो जाती है। वर्ष 2017 में 457 डेंगू के मरीज मिले थे।

मलेरिया व ब्रेन मलेरिया के वाहक एनोफिलिस का भी खौफ

हालांकि, इसके साथ ही एनोफिलिस मच्छरों का भी आतंक है। जिससे मलेरिया व ब्रेन मलेरिया होता है। कोल्हान प्रमंडल मलेरिया जोन के लिए जाना जाता है। यहां हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत मलेरिया के कारण होती है। आलम यह है कि यहां नक्सली भी मलेरिया की दवाई अपने पास रखते हैं। जब वह जंगलों में जाते तो अपने साथ ले जाते है। गांव की सहिया भी दवा आसानी से उपलब्ध करा देती है। ताकि जिले को मलेरिया मुक्त बनाया जा सकें।

मलेरिया जोन में पूर्वी सिंहभूम जिले के 828 गांव

वैसे तो पूरे कोल्हान में मलेरिया का प्रकोप है लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के 828 गांव अधिक प्रभावित है। इसे देखते हुए उसे मलेरिया जोन घोषित किया गया है। ये गांव 81 उप-स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत आता है। इसमें डुमरिया, मुसाबनी, बहरागोड़ा, पटमदा, घाटशिला प्रखंड शामिल है। वहीं पश्चिमी सिंहभूम में बंदगांव, गोइलकेरा, सोनुवा, टोंटो व मनोहरपुर मलेरिया प्रभावित क्षेत्र है। जबकि सरायकेला-खारसावां में कुचाई, बड़ाबांबो, कमलपुर, सीनी व महालिमुरुप क्षेत्र में मलेरिया के अधिक मामले देखने को मिलता है।

मलेरिया बहुल क्षेत्र होने के बावजूद पूर्वी सिंहभूम में नहीं स्‍थायी कार्यालय

दुखद यह भी है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में मलेरिया विभाग का अबतक स्थायी कार्यालय नहीं है। चाईबासा (जो पश्चिमी सिंहभूम जिले में पड़ता) से पूर्वी सिंहभूम संचालित हो रहा है। पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा में 1978 में तैयार किए गए मलेरिया कार्यालय से ही पूरा कोल्हान अभी तक संचालित हो रहा है। बिष्टुपुर में सिर्फ एक अस्थायी कार्यालय बनाया गया है। जबिक पूरा कार्य चाईबासा से संचालित होता है।

वर्ष 2019 में किस प्रखंड में कितने मलेरिया के मरीज

प्रखंड                           मरीज

डुमरिया                        913

मुसाबनी                       927

बहरागोड़ा                     122

पटमदा                           50

घाटशिला                       60

घालभूमगढ़                     44

चाकुलिया                      63

पोटका                           58

जुगसलाई                       27

जमशेदपुर अर्बन               140

डेंगू-मलेरिया जोन में कोरोना होने की संभावना कम

इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने एक शोध में पाया है कि डेंगू-मलेरिया के प्रकोप वाले स्थानों से कोरोना वायरस दूर है। कोल्हान पहले से ही डेंगू-मलेरिया का जोन रहा है। शोध में बताया गया है कि जिन क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप रहा है, कोरोना वहां आसानी से पैर नहीं पसार रहा है।इसकी वजह है मलेरिया और डेंगू के इलाज के दौरान मरीज के शरीर में बनी एंटीबॉडीज। ये एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को आसानी से शरीर पर हमला नहीं करने देंती। हमला होता भी है तो शरीर में वायरस के लक्षण नजर नहीं आते और व्यक्ति बगैर विशेष प्रयास से आसानी से स्वस्थ हो जाता है।


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