झारखंड के नए राज्यपाल रमेश बैस से कोल्हान को काफी उम्मीदें, द्रौपदी मुर्मू को भी भुला न पाएंगे लोग
रमेश बैस द्रौपदी मुर्मू का स्थान लेंगे जो 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनाई गई थीं। कोल्हान के लोग द्रौपदी मुर्मू के सरल-सहज स्वभाव को कभी नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने यहां के लोगों की समस्या को जिस तरह सहानुभूति से सुलझाया वैसी ही उम्मीद रमेश बैस से भी है।
जमशेदपुर, जासं। झारखंड के नए राज्यपाल रमेश बैस बनाए गए हैं। इनसे कोल्हान को काफी उम्मीदें हैं। बैस फिलहाल त्रिपुरा के राज्यपाल हैं। छत्तीसगढ़ के मूल निवासी बैस रायपुर से लोकसभा सदस्य रहे हैं। छत्तीसगढ़ से लगातार सात बार सांसद पहुंचने का उन्होंने कीर्तिमान बनाया था।
दो अगस्त 1947 को जन्मे बैस केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। वे जुलाई 2019 में त्रिपुरा के राज्यपाल बनाए गए थे। बैस द्रौपदी मुर्मू का स्थान लेंगे, जो 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनाई गई थीं। कोल्हान के लोग द्रौपदी मुर्मू के सरल-सहज स्वभाव को कभी नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने यहां के लोगों की समस्या को जिस तरह सहानुभूति से सुलझाया, वैसी ही उम्मीद रमेश बैस से भी है।
हो-संताल आदिवासी अब भी मांग रहे अधिकार
कोल्हान की धरती पर मुख्यरूप से हो व संताल आदिवासी बसे हैं। ये अब भी अपना अधिकार मांग रहे हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद भी संताली भाषा के लिए अकादमी का गठन नहीं किया जा सका है। स्कूल-कालेज में संताली वह हो भाषा की पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। पाठ्य पुस्तकों और शिक्षकों की कमी है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अलावा सभी प्रमुख विभागों में भाषा विशेषज्ञ या अनुवादक की भर्ती नहीं की जा रही है। पिछले दिनों आॅल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के केंद्रीय महासचिव रवींद्रनाथ मुर्मू ने सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया था। संताली भाषा में कोविड से संबंधित सरकारी संदेश में काफी त्रुटि थी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने इस ओर कोई पहल नहीं की।