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जानिए धान खरीद के मामले में भाजपा ने क्या कहा

झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा जारी नमी वाले धान नहीं ख़रीदने के निर्देश का भारतीय जनता पार्टी ने विरोध किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इस निर्देश को किसानों पर तानाशाही और अविवेकपूर्ण करार दिया।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 12:01 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 12:01 PM (IST)
जानिए धान खरीद के मामले में भाजपा ने क्या कहा
सरकार के नमी वाले धान की खरीदारी नहीं करने का विरोध कर रहे कुणाल षड़ंगी

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा जारी नमी वाले धान नहीं ख़रीदने के निर्देश का भारतीय जनता पार्टी ने विरोध किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इस निर्देश को किसानों पर तानाशाही और अविवेकपूर्ण करार दिया।

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कहा कि राज्य के कैबिनेट मंत्रियों में समन्वय का घोर अभाव दिखता है। धान खरीददारी को लेकर कृषि मंत्री और खाद्य आपूर्ति मंत्री के अलग-अलग मत हैं। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख कहते हैं कि सरकार धान खरीदने के लिए तैयार है, वहीं खाद्य आपूर्ति मंत्री ने विभागीय पदाधिकारियों को निर्देशित किया है कि गीले धान की खरीद पर रोक लगाई जाए। भाजपा ने सीएम हेमंत सोरेन को ''मजबूर मुख्यमंत्री'' की संज्ञा देते हुए किसान हित में अविलंब मजबूत फैसला लेने का आग्रह किया है।

कुणाल ने सरकार से सवाल किया है कि क्या राज्य सरकार किसानों की फसल इन्वेंट्री और तैयार फसल को सुरक्षित रखने के लिए वित्तीय सहयोग देगी या नहीं। किसानों को ऐसी ही उपेक्षा और बदइंतजामी से बचाने के लिए मोदी सरकार ने कृषि बिल में ठोस प्रावधान किए हैं, जिसके विरुद्ध कांग्रेस और झामुमो सरीखी पार्टियां किसानों को गुमराह कर रही हैं।

भाजपा ने मांग की है कि मुख्यमंत्री अविलंब मामले में हस्तक्षेप करते हुए कैबिनेट मंत्रियों के मध्य समन्वय स्थापित करें और केंद्र सरकार के प्रावधानों के अनुसार झारखंड में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान करने के नियम लागू करें। भाजपा में महागठबंधन सरकार को बीते विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र के वायदों को याद दिलाते हुए कहा की 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से फसल खरीदने का वादा किया गया था, लेकिन अब उन्हें मात्र 1868 रुपये भुगतान की दर निर्धारित की गई है। यह किसानों के साथ धोखा है। किसानों को उनके हक अधिकारों से अभी वंचित रखने की दिशा में सरकार ने जो कदम बढ़ाया है, वह चिंताजनक है।


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