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Gangs of Jamshedpur : कभी चाकू-भुजाली से होता था गैंगवार,अब कार्बाइन और एके-47 लहरा रहे Jamshedpur News

Gangs of Jamshedpur. समय के साथ जमशेदपुर शहर में अपराध का स्वरूप बदलता गया । कभी चाकू-भुजाली से गैंगवार होता था। अब कार्बाइन और एके-47 लहरा रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 02:06 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 02:06 PM (IST)
Gangs of Jamshedpur : कभी चाकू-भुजाली से होता था गैंगवार,अब कार्बाइन और एके-47 लहरा रहे Jamshedpur News
Gangs of Jamshedpur : कभी चाकू-भुजाली से होता था गैंगवार,अब कार्बाइन और एके-47 लहरा रहे Jamshedpur News

जमशेदपुर, जासं।  लौहनगरी ! जिसकी पहचान मिनी मुंबई के रूप में की जाती है। यहां समय के साथ अपराध का स्वरूप बदलता रहा है। दो-तीन दशक पूर्व शहर में अपराधी गिरोह के तौर तरीके से आज के गैंग के तरीके बिल्कुल अलग हैं। 70 के दशक में चाकू-भुजाली, फरसा, तलवार, गुप्ती, देशी कट्टे और बम अपराधियों के प्रमुख हथियार हुआ करते थे, आज इनकी जगह सिक्सर, नाइन एमएम पिस्तौल, ऑटोमेटिक पिस्टल, कारबाइन और एके-47 ने ले ली है। अब खुलेआम इन अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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शहर के इतिहास में हमेशा से अपराधियों के गिरोह का बोलबाला रहा है। वर्चस्व को गैंगवार भी होते रहे हैं। संयुक्त बिहार में रेलवे ठेकेदारी, टाटा स्टील की स्क्रैप नीलामी, लोडिंग, अनलोडिंग, डंपिग यार्ड, शराब ठेकेदारी, सड़क निर्माण, बालू, माइंस और सरकारी ठेका पाने के लिए गोलियां चलती थी। आम लोग, कारोबारी, व्यवसायी, बिल्डर और ठेकेदार इससे प्रभावित नहीं होते थे। 80 से 90 के दशक में बिहार के बाहुबली रहे शहाबुद्दीन, रामा सिंंह  और उत्तर प्रदेश के माफिया ब्रजेश सिंंह और रांची के अनिल शर्मा जैसे लोगों का जुड़ाव यहां के स्थानीय  गिरोह से होने की बात सामने आती रही है। साकची निवासी सोणे सिंंह  की हत्या में ब्रजेश सिंंह  का नाम सामने आया था तो वहीं बम मारकर करनडीह में झामुमो नेता लखाई हासंदा, कदमा में आजसू नेता बुच्चू घोष समेत तीन की बम और गोली मारकर हत्या कर दी थी।

गरमनाला गैंग और हिदायत गिरोह के बीच होता था टकराव

बिष्टुपुर के गरमनाला गिरोह में साहेब सिंंह , वीरेंद्र सिंंह  उर्फ दाढ़ी बाबा के गैंग में जमशेदपुर के कोने-कोने के अपराधियों से लेकर आदित्यपुर के अपराधियों का जुड़ाव था। इस गिरोह का टकराव हमेशा से जुगसलाई के हिदायत खान गिरोह से वर्चस्व को लेकर हुआ करता था। दोनों गिरोह के बीच टाटा स्टील कंपनी परिसर तक गोलियां 90 के दशक में चली थी। स्क्रैप कारोबार और ठेकेदारी को लेकर गिरोह आमने-सामने होते थे। बिष्टुपुर के नटराज सिनेमा के सामने दोनों गिरोह के बीच हुई गोलीबारी में जुगसलाई निवासी सिट्टे और बर्मामाइंस निवासी दारा शर्मा मारे गए थे।  जिले के तत्कालीन एसपी रहे परवेज हयात के कार्यकाल में बिहार के रोहतास में साहेब सिंंह  पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। करीबी सूर्या पटेल किसी तरह बच निकला था। वहीं वीरेंद्र सिंंह  उत्तर प्रदेश मेे जेल से कोर्ट में पेशी के दौरान गैंगवार के शिकार हुआ। मानगो के स्क्रैप कारोबारी शंकर सिंंह  और सुनिल सिंंह की हत्या गरमनाला गिरोह से संपर्क रखने के कारण कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट पर अपराधियों ने कर दी थी।

डॉ अजय कुमार के कार्यकाल में सख्‍ती

तत्कालीन एसपी डॉ.अजय कुमार ने हिदायत और गरमनाला गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। हिदायत गिरोह के कई सदस्यों को जेल भेजा था। कई मुठभेड़ में मार दिए गए। कोलकाता से हिदायत खान पकड़ा गया था। गिरोह के सदस्यों ने जमानत के बाद अपनी-अपनी राह बदल ली थी। गरमनाला गिरोह का सोनू सिंंह अंतिम किला था। उसकी हत्या 2006 में नौसिखुओ ने कर दी। इसके बाद गिरोह पूरा समाप्त हो गया। 

प्रदीप मिश्रा, आनंद राव और जनार्दन चौबे की कर दी गई थी हत्या

1989 में युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जुगसलाई निवासी प्रदीप मिश्रा, परसुडीह लोको कॉलोनी के आनंद राव और जनार्दन चौबे की हत्या जुगसलाई में कर दी गई थी। यह शहर के इतिहास का सबसे बड़ा गैंगवार था। हत्याकांड में बिहार के रामा सिंंह , पूर्व सांसद शहाबुद्दीन, कल्लू सिंंह, पारस सिंंह समेत चार अन्य आरोपित थे। सभी आरोपितोंं की सुनवाई एक साथ चल रही थी। शहाबुद्दीन के मामले को अलग कर दिया गया था। हत्याकांड के सभी आरोपित साक्ष्य अभाव में बरी कर दिए गए। 28 साल तक यह मामला चला। हत्या में एके-47 का उपयोग होने की बात सामने आई थी।

80-90 के दशक में ये गैंग थे शहर में सक्रिय 

टेल्को में सुधापाल और गिरीश गैंग के बीच होता था टकराव

सिदगोड़ा, टेल्को, बिरसानगर इलाके में सुधापाल और गिरीश सिंंह  गैंंग के बीच टकराव हुआ करता था। इस गैंग में एक से बढ़कर एक अपराधी शामिल थे। गिरीश गैंग ने सुधापाल के करीबी बालचंद्र यादव की हत्या कर दी थी तो गिरीश को टेल्को में ही सुधापाल गिरोह ने मार डाला था। 1984 में सुधापाल जिले के तत्कालीन एसपी रहे ज्योति सिन्हा के कार्यकाल में एमजीएम थाना क्षेत्र राष्ट्रीय राजकीय मार्ग पीपला में मुठभेड़ में मारा गया था। 

 बागबेड़ा मेंं सक्रिय था संजय ओझा, भीम महाली और उत्पल का गैंग

बागबेड़ा थाना क्षेत्र में कई ऐसे अपराधी थे जो गरमनाला और हिदायत गिरोह से जुड़े हुए थे। संजय ओझा को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। बादल, अरूण सिंंह  टाइगर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। बागबेड़ा हरहरगुटु निवासी भीम महाली का जमशेदपुर समेत पूरे कोल्हान के पुराने अपराधियों से संपर्क था। पुलिस के बगल से वह वेश बदल निकल जाता था। पकड़ा नहीं जाता था। 2008 में उसकी अस्वाभाविक मौत हो गई। बागबेड़ा में उत्पल और पप्पू मिश्रा की भी अपराध में सक्रियता थी। उत्पल मारा गया।

राजेश कच्छप और परमजीत का भी था गिरोह

राजेश कच्छप, परमजीत सिंंह  और संतोष गुप्ता का भी गैंग सक्रिय था। राजेश कच्छप की बीमारी से मौत हो गई। परमजीत सिंंह जेल में मारा गया। संतोष गुप्ता अपराध से अलग हो गया। गिरोह के गुर्गों की कुछ सक्रियता है। राजेश कच्छप गिरोह की सक्रियता परसुडीह, सुंदरनगर, बारीडीह इलाके में थे। सीतारामडेरा के भालूबासा में अनवर और शकील का गिरोह सक्रिय था। सिदगोड़ा में बम लोहार, चालस की गतिवधि थी।


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