यहां पैसा बोलता है
अंडर-14 क्रिकेट में जेएससीए के आका के चेलों के आगे सभी की बोलती बंद हो जाती है। तभी तो जमशेदपुर अंडर-14 टीम से दो खिलाड़ियों को बाहर कर दिया जाता है और कोई विरोध नहीं होता है।
अंडर-14 क्रिकेट में जेएससीए के आका के चेलों के आगे सभी की बोलती बंद हो जाती है। तभी तो जमशेदपुर अंडर-14 टीम से दो खिलाड़ियों को बाहर कर दिया जाता है और कोई विरोध नहीं होता है। रामगढ़ के खिलाफ मैच हारने के बाद टीम से वैसे खिलाड़ी को टीम से बाहर कर दिया जाता है, जो मैदान पर उतरा ही नहीं। अब सवाल यह उठता है कि जब खिलाड़ी ने प्रदर्शन ही नहीं किया तो बेचारे को किस आधार पर बाहर कर दिया गया। यही नहीं उनकी जगह पर दो पैरवी पुत्र को शामिल कर लिया गया। जहां धुआं उठता है, वहीं आग होती ही है। पैरवी पुत्र के टीम में शामिल होने के साथ ही टीम प्रबंधन पर पैसों के लेनदेन का आरोप लगने लगे तो संयुक्त सचिव राजीव बदान टीम कंबीनेशन को मजबूत करने का बहाना बनाने लगे। राम ही बचाए झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को।
दूसरे सीजन को भी लगी कोरोना की नजर
कोरोना महामारी ने हरेक की जिदगी को प्रभावित किया है। कोरोना लहर का दूसरा चक्र जितना भयावह है उतना ही डरावना। इसी को देखते हुए जमशेदपुर में चल रहे अंतर जिला अंडर-14 क्रिकेट टूर्नामेंट को आधे में ही रद कर दिया गया। पिछले सीजन में भी खिलाड़ियों को कोरोना के कारण खेलने का मौका नहीं मिला था। राज्य भर के जूनियर जांबाज बड़े अरमान से इस सीजन में खेलने जमशेदपुर पहुंचे थे। लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने के दो-तीन बाद ही खिलाड़ियों को बोरिया बिस्तर समेटकर वापस घर जाना पड़ा। हर खिलाड़ी के चेहरे पर उदासी के भाव साफ देखा जा सकता था। सभी एक-दूसरे को ढाढ़स बंधा रहे थे। पहले ही एक साल कोरोना ने बर्बाद कर दिया। अब दूसरे साल पर भी उसकी नजर लग गई। प्रकृति के आगे सब बेबस है। मैदान में पसीना बहाने वाले खिलाड़ी भी। अगले साल वह अंडर-14 खेल नहीं पाएंगे, इसी का रंज है उन्हें।
ऑनलाइन फुटबॉल ही सीख लो
कोरोना काल में सब कुछ बंद है। स्टेडियम व जिम बंद। खिलाड़ी एक कमरे में कैद। जमशेदपुर एफसी के स्टाफ को सूझ नहीं रहा क्या करे। तभी किसी ने आइडिया दिया, चलो आनलाइन फुटबॉल ही बच्चों को सिखा दो। बच्चों को तो मानो लॉटरी लग गई, उधर, जमशेदपुर एफसी के स्टाफ को भी काम मिल गया। हरेक मंगलवार को यह आयोजन किया जाना है। बच्चे भी उत्साह के साथ इसमें भाग ले रहे हैं। जमशेदपुर एफसी के सहायक कोच सैंडी स्टीवार्ट ने इंटरनेट मीडिया पर साधारण ड्रिल के साथ लंबी पास कैसे दिया जाता है, के बारे में फुटबॉल प्रेमियों को बताया। अब तो यह पता नहीं बच्चों ने इसे कितना सीखा, लेकिन इस क्लास का खूब मजा लिया। आने वाले दिनों में जमशेदपुर एफसी के कोच ओवेन कॉयल, नोएल भी जमशेदपुर के बच्चों को फुटबॉल का ककहरा सिखाते नजर आएंगे। जब आइपीएल से मन ऊब जाए तो फुटबॉल का मजा लीजिए।
आखिर क्या बला है बायो बबल
आइपीएल शुरू होते ही बायो बबल की चर्चा हर तरफ हो रही है। आखिर क्या बला है बायो बबल। बायो बबल में रहने का मतलब यह है कि खिलाड़ियों को इस दौरान टीम के सदस्य व सपोर्ट स्टाफ के अलावा किसी से मिलने की इजाजत नहीं होती है। इसका कड़ाई से पालन किया जाता है। अगर कोई टीम से जुड़ना चाहता है तो उसे क्वारंटाइन की अवधि पूरा करना होता है। आइपीएल में शामिल खिलाड़ियों के प्रमोटरों ने पूरा होटल ही बुक कर रखा है, ताकि कोई बाहरी प्रवेश न कर सके। इंडियन सुपर लीग के दौरान जमशेदपुर एफसी सहित टीम के अन्य खिलाड़ी तीन महीने तक पूरी दुनिया से कटे हुए थे। वैसा ही कुछ क्रिकेटरों को भी करना होगा। खिलाड़ियों के साथ-साथ रिजर्व खिलाड़ी व सपोर्ट स्टाफ पूरे डेढ़ महीने तक पूरी दुनिया से कटे रहेंगे। कोरोना को हराने के लिए इतना तो करना पड़ेगा।