केबीसी की करोड़पति संवार रहीं वंचित बच्चों का जीवन
अनामिका जब भी अपने घर की बालकनी से बच्चों को मैदान में आवारा घूमते हुए देखती थीं, तो उनका मन बेचैन हो उठता था।
जमशेदपुर(वीरेंद्र ओझा)। आमतौर पर गरीब व बेसहारा बच्चों को देखकर एकबारगी हर कोई तरसता है। बहुत हुआ तो उन्हें दो वक्त की रोटी देकर संतोष कर लेता है, जबकि अधिकांश उनकी नियति मान लेते हैं। उनका जीवन संवारने की जहमत कोई नहीं उठाता। यह काम कर रही हैं केबीसी (कौन बनेगा करोड़पति) के सीजन-9 की पहली करोड़पति अनामिका मजूमदार।
साकची के बाराद्वारी निवासी अनामिका बताती हैं कि वह जब भी अपने घर की बालकनी से इन बच्चों को मैदान में आवारा घूमते हुए देखती थीं, तो उनका मन बेचैन हो उठता था। वह सोचती थीं कि इनका जीवन कैसे संवारा जा सकता है। करीब पांच साल पहले उन्होंने कुछ बच्चों को घर में बुलाया और पढ़-लिखकर जीवन संवारने की सलाह दी। कुछ बच्चे तैयार हो गए, लेकिन उन्हें पढऩे-लिखने में मन नहीं लगा। कंप्यूटर भी सिखाना चाहा, लेकिन इसमें भी इनकी रुचि नहीं जगी। फिर उन्हें संगीत सिखाना शुरू किया।
उन्हें आश्चर्य हुआ कि ये बच्चे ना केवल इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं, बल्कि तेजी से तबला, हारमोनियम आदि सीख भी रहे हैं। तब इन्होंने इन बच्चों को धीरे-धीरे डांस-ड्रामा के लिए तैयार करना शुरू किया, जिसमें संगीत, गीत, नृत्य व अभिनय का पूरा पैकेज शामिल था। इनका अभियान तब रंग लाया, जब गत वर्ष कटक में आयोजित ग्लोबल ड्रामा फेस्टिवल में उनकी टीम को डांस ड्रामा 'कमल की कलीÓ को गोल्ड मेडल मिला। इसी टीम ने गत वर्ष बनारस में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ परफार्मिंग आट्र्स द्वारा आयोजित फेस्टिवल में 'कमल की कलीÓ का मंचन किया। इन्होंने दिल्ली में चिल्ड्रेन थियेटर फेस्टिवल में भाग लिया, जहां इन बच्चों ने 'जमशेदपुर का मटरूÓ डांस ड्रामा प्रस्तुत किया। सभी मंचन में पटकथा से संगीत निर्देशन तक सारी जिम्मेदारी वह खुद उठाती हैं। अब तक उन्होंने करीब एक हजार स्लम बच्चों को संगीत-नृत्य में प्रशिक्षित किया है। अब तो किसी कार्यक्रम के लिए उन्हें बच्चों का चयन करने में कठिनाई होती है, क्योंकि उनके पास विकल्प बहुत होते हैं।
बनाई लघु फिल्म 'मंदिर के बहानेÓ
बहुमुखी प्रतिभा की धनी अनामिका ने करीब तीन साल पहले 'ताके डुमाडुमÓ नामक संथाली वीडियो अलबम तैयार किया था। अब उन्होंने इन्हीं बच्चों को लेकर 50 मिनट की लघु फिल्म 'मंदिर के बहानेÓ बनाया है, जिसका प्रदर्शन शनिवार को बिष्टुपुर स्थित रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में किया गया। इसके लिए उन्होंने बाकायदा स्टुपिड प्रोडक्शन कंपनी भी खोल ली है। इस कार्यक्रम में 30 बच्चियों ने 'दसवीं का दमÓ डांस-ड्रामा भी किया। इसमें 10 बच्चियों ने शपथ लिया कि वे दसवीं तक की पढ़ाई पूरी करेंगे। इनमें ज्यादातर ड्रापआउट बच्चे हैं। अनामिका इन्हें नेशनल ओपन स्कूल से परीक्षा दिलाएंगी।
दो गांव को बनाएंगी साक्षर
अनामिका मजूमदार ने जमशेदपुर प्रखंड कार्यालय के दो गांव चिरूडीह और धुआं को गोद लिया है। उनका संकल्प है कि मई तक दोनों गांव को सौ फीसद साक्षर बना देंगी। इनके पठन-पाठन की सारी जिम्मेदारी वह खुद उठा रही हैं। अनामिका ने इन गांवों की करीब 500 महिलाओं का बीमा खाता भी खुलवाया है, जिसका प्रीमियम वह खुद भरती हैं।