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मां है तो रौनक है,मां है तो सुरीलापन है, मां है तो बचा हुआ बचपन है..

¨हदी गीत-कविता की वरिष्ठ कवयित्री डॉ शांति सुमन के कदमा स्थित आवास पर गीत-कविता की शाम सजी। गीतकारों व कवियों ने कविता का एक अलग मौसम रच दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 06:26 PM (IST)
मां है तो रौनक है,मां है तो सुरीलापन है, मां है तो बचा हुआ बचपन है..
मां है तो रौनक है,मां है तो सुरीलापन है, मां है तो बचा हुआ बचपन है..

जेएनएन, जमशेदपुर : ¨हदी गीत-कविता की वरिष्ठ कवयित्री डॉ शांति सुमन के कदमा स्थित आवास पर गीतकारों-कवियों ने कविता का एक अलग मौसम रच दिया। गीत-कविता लोगों के मन में रच-बस गई। 'तुम्हारे बिन सब ठहरा हुआ सा लगता है' जयनंदन ने जब यह गीत सुनाया,लगा समय रुक सा गया। यह सबके लिए एक नया अनुभव था।

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'तुम नदी होते,तुम्हीं से कहा करते, बात मन की / लहर से हम माग लेते धार पर बहना और उल्टी हवाओं में पांव थिर रखना' शांति सुमन के इस सुरीले गीत ने सबको मुग्ध कर दिया ।

आशुतोष झा ने गीत में समकालीन सच को उभारा: चाय सुरकते हुए सावधान रहे,शैलेंद्र अस्थाना ने: राष्ट्रवाद मेरे लिए हाथ में उठाया पत्थर नहीं होता,राजदेव सिन्हा ने: खोज लेता है जल अपनी सतह, खोज लेती है उषा अपनी लालिमा, शयामल सुमन ने: हम आते हैं जीवन के गीत सुनाते हैं। डॉ. चेतना वर्मा ने जब यह कविता सुनाई तो श्रोताओं के मन में करुणा उमड़ आई: मां है तो दरवाजे पर इंतजार है, मां है तो पूरा घर संसार है, मां है तो आशीषों की बंधी डोर है, मां है तो उत्सव भरा पोरपोर है।

ज्योत्स्ना अस्थाना और माधुरी मिश्रा ने सावन गीत सुनाए। अर्पना सिंह, तरुण कुमार, अर्पिता ने समय के यथार्थ को सुनाया। प्रतिभा प्रसाद ने अराजक देशकाल की कविता सुनाई। वरुण प्रभात की कविता ने सोचने को बहुत कुछ दिया। उमा सिंह ने अपनी गजल सुनाई। डॉ. आशा गुप्ता, अनीता शर्मा और सरिता सिंह की कविताओं में मानवीय संवेदनाओं के स्वर भरे थे। शैलेंद्र अस्थाना ने ईशान के घर आने की खुशी के इस काव्योत्सव की अध्यक्षता की। वरुण प्रभात ने पूरी काव्यगोष्ठी का शालीन संचालन किया। डॉ् चेतना वर्मा ने इस काव्य संध्या पर सबको स्नेहाभार कहा। ईशान के पिता अरविंद और मां डॉ विशाखा वर्मा ने आगत अतिथियों की सुविधा का ख्याल रखा। जैसे लहरों पर कुछ फूल, कुछ पत्ते तैरते रहते हैं शांति सुमन का घर भी बहुत दूर, बहुत देर तक खुशियों की लय में मंत्रमुग्ध रहा। लोग अगले आयोजन के बारे में पूछते हुए गए।


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