व्यवसायी बनने की सोच विकसित करें आदिवासी युवा
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्टार्टअप इंडिया के दौर ने आदिवासी युवाओं को भी व्यवसाय-व्यापार की
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्टार्टअप इंडिया के दौर ने आदिवासी युवाओं को भी व्यवसाय-व्यापार की ओर रिझाना शुरू कर दिया है। तभी तो आदिवासी समुदाय के युवाओं ने इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (एनएसआइसी) ने खुद आदिवासी युवाओं की इस इच्छा को पूरी करने की कवायद शुरू कर दी है। मंगलवार को एनएसआइसी के क्षेत्रीय प्रबंधक (कोलकाता) सुरेश करमाली की उपस्थिति में 30 आदिवासी युवाओं का विभिन्न सरकारी उपक्रमों में वेंडर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ई-मेल किया गया। इसके लिए सीतारामडेरा आदिवासी एसोसिएशन हॉल में खास तौर पर राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की ओर से आदिवासी उद्यमिता पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन में करमाली मुख्य अतिथि थे। उन्होंने यहां सरकार की ऐसी कई योजनाओं के बारे में युवाओं को जानकारी दी, जिससे उद्यमिता शुरू करने के लिए सरकार की ओर से मदद दी जाती है। यहां उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के युवा सर्वप्रथम व्यवसायिक सोच विकसित कर व्यवसाय करना शुरू करें। एनएसआइसी नये व्यवसायी को हर स्तर पर मदद प्रदान करता है। समारोह में झारखंड सरकार के पूर्व संयुक्त सचिव सीताराम बारी विशिष्ट अतिथि थे जबकि यूसिल के सुदीप्तो दास, ¨हदुस्तान कॉपर लिमिटेड के अभिषेक पारिख, एनआइटी के सुनील कुमार भगत, इंडो डेनिस टूल रूम के आनंद दयाल, टाटा पावर के पीवी राजेश, आइएसडब्ल्यूपी के मनीष कुमार व टिनप्लेट के विनय कुमार भी उपस्थित थे। अतिथियों ने सम्मेलन में कहा कि आदिवासी समाज के युवाओं में अभिनव प्रतिभा है। वे एक बार अगर कुछ करने की ठान लेते हैं तो मंजिल प्राप्त कर ही दम लेते हैं। बारी ने कहा कि समाज के अभिभावकों को आदिवासी युवाओं को कॅरियर के अनेक आयाम से परिचित कराना चाहिए। सिर्फ नौकरी करने के लिए बच्चों पर दबाव न बनाकर उन्हें व्यवसाय का विकल्प भी दिखाना चाहिए। सम्मेलन में स्वागत भाषण डॉ. बिंदु पाहन ने दिया तो मंच का संचालन प्रियंका सिरका ने किया। इस अवसर पर जयपाल सिरका, बसंत तिर्की, राजकुमार पासवान, अभय कुमार, संतोष कुमार पूर्ति, मनीष बलमुचू, राकेश उरांव, कमल कोया, नंदलाल पातर, छेदू तिर्की, रामू तिर्की, उपेंद्र बानरा, सिमोन तिरू, खेलाराम मुर्मू, वैद्यनाथ मुर्मू, श्याम टुडू, बुधराम खलखो आदि उपस्थित थे।