Move to Jagran APP

Deepawali 2019: यहां की काली पूजा होती खास, दूर-दूर से पहुंचते श्रद्धालु ; पंडालों की खूबसूरती के कहने ही क्‍या

Kali Puja. जमशेदपुर में कई स्‍थानों पर मां काली की पूजा खास होती है। यहांं दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। आइए जानिए कहां कब और किस विधि से होगी पूजा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 01:08 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 01:08 PM (IST)
Deepawali 2019: यहां की काली पूजा होती खास, दूर-दूर से पहुंचते श्रद्धालु ; पंडालों की खूबसूरती के कहने ही क्‍या
Deepawali 2019: यहां की काली पूजा होती खास, दूर-दूर से पहुंचते श्रद्धालु ; पंडालों की खूबसूरती के कहने ही क्‍या

जमशेदपुर, जेएनएन। झारखंड के जमशेदपुर शहर में कई जगहों पर काली पूजा खास होती है। पूजा में शामिल होने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। जमशेदपुर में सार्वजनिक पूजा के आयोजन भी खास ही होते हैं। यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत पंडालों में मां काली विराजती है।

loksabha election banner

तंत्र और मंत्र विधि से होगी मां काली की पूजा

काली बाड़ी, बेल्डीह में मां काली की पूजा तंत्र और मंत्र दोनों विधि से की जाएगी। काली पूजा को लेकर मंदिर में व्यापक तैयारी की गई है। पूजा के दौरान दूर-दराज से श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। कार्तिक आमवस्या पर हर वर्ष धूमधाम के साथ माता की पूजा की जाती है। बताया जाता है कि यहां पहले बेल्डीह गांव हुआ करता था। यहां काली पूजा में दूर-दराज के कई साधक एकत्रित होते थे। बेल्डीह काली मंदिर का निर्माण दो दिसंबर 1932 को किया गया था। उसी दिन मंदिर में मां की भव्य प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा हुआ था। मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी मनु भट्टाचार्य ने बताया कि मंदिर में सबसे पहले काली पूजा का आयोजन भूपति चरण भट्टाचार्य, युग वशिष्टदेव जी ने की थी। उनके बाद ब्रह्मानंद भट्टाचार्य, शिवानंद कापतीर्थ और अब कृष्णानंद भट्टाचार्य द्वारा किया जाता है।

आभूषणों से सजी मां की होगी विशेष पूजा

टेल्‍को सबुज कल्‍याण संघ का काली पूजा पंडाल।

फदलोगोड़ा, पारडीह स्थित श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में आमवस्या की रात वनदेवी मां काली की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया है। शाम में कलश स्थापना के बाद पूजा-अर्चना शुरू होगी। पूजा के पूर्व माता का भव्य शृंगार किया जाएगा। मध्य रात्रि मां की विशेष पूजा होगी। यहां पूजा-अर्चना के दौरान बलि चढ़ाने की प्रथा नहीं है। काली पूजा पर मंदिर में श्रद्धालुओं के बीच भोग का वितरण किया जाता है। अमावस पूजा के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं।

यहां काली पूजा में दी जाती बलि

कदमा के उलियान स्थित सार्वजनिन काली पूजा कमेटी में काली पूजा के दौरान बलि देने की प्रथा है। यहां वर्ष 1934 से मां काली की पूजा की जाती है। मां काली से मांगे गए मन्नत पूरा होने पर श्रद्धालु काली पूजा के दौरान स्वर्णरेखा नदी से दंडी देते हुए मंदिर तक आते हैं। मंदिर में अमावस की रात पूरे विधान से मां काली की पूजा की जाती है। पूजा के बाद यहां 51 बकरों के अलावा मुर्गा व बतख की बलि दी जाती है। पूजा कमेटी के अध्यक्ष मनोज महतो, पप्पू और महासचिव कुंतल महतो हैं।

न्‍यू रोज कल्‍ब का पूजा पंडाल। 

तंत्र और मंत्र विधि से होगी मां की पूजा

सोनारी के वृंदावन गार्डेन अपार्टमेंट के निकट स्थित श्रीश्री आषाढ़ी काली मंदिर में कार्तिक अमावस पर मां काली की विशेष पूजा होगी। वर्ष 1989 में बने भव्य मंदिर में यहां प्रतिवर्ष माता की पूजा विधि विधान से होती है। मंदिर में मां काली की पूजा तंत्र-मंत्र विधि से की जाती है। यहां लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और माता अपने भक्तों के सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी करते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित बापी मुखर्जी ने बताया कि मंदिर में शहर के अलावा दूर-दराज से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।

न्‍यू आजाद संघ का पूजा पंडाल।

फागु बाबा श्मशान में मध्य रात्रि होगी पूजा

मेरीन ड्राइव कदमा स्थित संत फागुराम बाबा श्मशान घाट में मध्य रात्रि मां काली की पूजा होगी। घाट समिति के ट्रस्टी पंडित किशोर चटर्जी ने बताया कि मां काली की पूजा रात 10 से आरंभ होगा जो मध्य रात 12 बजे तक चलेगी। मध्य रात्रि मां की विशेष पूजा होगी। उन्होंने बताया कि पूजा अनुष्ठान पंडित जयंतो बनर्जी की अगुवाई में होगा। पूजा-अर्चना के बाद सोमवार भोर तीन बजे से भोग वितरण होगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.