बंद कुंडी के पीछे दफन हो गए जिंदगी के अरमान
विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : कोई भी उस कमरे में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था जिसमें
विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : कोई भी उस कमरे में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था जिसमें एक मां की वेदना चीत्कार रही थी। आखिर लाडले को क्या पड़ी थी जो जरा सी बात पर इतना खफा हो गया कि अपनी जिंदगी ही खत्म कर डाली। अभी तो उसे बहुत कुछ देखना-समझना था। जिंदगी में एक मां ने जो तमाम अरमान पाल रखे थे, उसे पूरा करना था। लाडला पढ़ाई करे, जिंदगी में कुछ बन सके, अपने पैरों पर खड़ा हो, यह कौन मां नहीं चाहती। यही तो कहा था कि पढ़ाई ठीक से करो। बाहर वाले कमरे में अमृत की नानी ने याद करते हुए कहा, अभी एक दिन पहले ही तो वह नानी घर आया था। खूब खेला-कूदा। ऐसी भी क्या बात हुई जो सबको रोता-बिलखता छोड़ गया।
कदमा के विद्यासागर पथ स्थित नटराज क्लासिक अपार्टमेंट की तीसरी मंजिल का वह फ्लैट सोमवार को सुबह से ही गमजदा लोगों की भीड़ से भरा रहा। डीएवी पब्लिक स्कूल बिष्टुपुर में सातवीं कक्षा के छात्र 13 वर्षीय अमृत आनंद ने कमरे में पर्दे के पैलमेट से दुपट्टे का फंदा लगाकर अपनी जान दे दी।
खुदकशी की वजह यही बताई गई कि रविवार की रात को पढ़ाई करने को लेकर उसकी मां ने डांट दिया था। मां पूनम सिंह बिष्टुपुर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत है। अमृत भी उसी स्कूल में सातवीं कक्षा का छात्र था।
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रात को ही लगा लिया था फंदा
अमृत के शव को देखकर यही अनुमान लगाया जा रहा था कि उसने रात को कमरा बंद करने के बाद ही फंदे से लटक कर अपनी जान दे दी। उसकी बड़ी बहन चित्रा कदमा स्थित डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल में 12वीं में पढ़ाई कर रही है। भाई के नहीं रहने की बात पर उसे यकीन नहीं हो रहा था। किसी तरह उसने पूरी घटना बताई। रात करीब साढ़े आठ बज रहे थे। मां पूनम सिंह बेटे अमृत से पढ़ाई करने के लिए कह रही थी। वह इधर-उधर भाग रहा था। इसी भागदौड़ के बीच अमृत ने अपने कमरे में घुस गया। मां ने भी गुस्से में आकर दरवाजे की कुंडी यह कहते हुए बाहर से लगा दी, तुम अंदर ही रहो।
सोमवार की सुबह जब अमृत के रूम के दरवाजा नहीं खुला। मां को स्कूल के लिए निकलना था। बेटी से यह कहते हुए कि वह अपने भाई को जगा दे, वह स्कूल के लिए निकल गई। सोमवार की सुबह साढ़े आठ बजे तक दरवाजा नहीं खुलने पर बहन ने जब भाई के रूम का दरवाजा खोलने का प्रयास किया तो नहीं खुला। वह पड़ोस के लोगों को बुला लाई। काफी आवाज देने पर भी अंदर से कोई जवाब नहीं आ रहा था। लोगों की मदद से दरवाजा खोलने पर अंदर खिड़की से दुपट्टे का फंदा लगाए अमृत लटका था। यह दूश्य देखते ही हर कोई सन्न रह गया। स्कूल फोन कर मांग को यह कहकर बुलाया गया कि अमृत की तबीयत खराब है। नाना-नानी को खबर की गई। पूनम सिंह डीएवी स्कूल से निकलकर घर पहुंची तो वह सन्न होकर गिर पड़ी।
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दो साल पहले ही पिता की हो चुकी मौत
अमृत के पिता मनोज सिंह की मौत करीब दो साल पहले हाजीपुर में हो गई थी। उस समय वे गोपालगंज में नौकरी कर रहे थे। हाजीपुर में हार्ट अटैक के चलते उनकी मौत हुई। कदमा स्थित फ्लैट में मां, बेटा और बेटी साथ में रहते थे। उसके बाद से ही पूनम सिंह ने डीएवी पब्लिक स्कूल में लैब टेक्निशियन के रूप में काम करना शुरू किया और अपने परिवार को संभाला।
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प्राचार्या ने बंधाया ढांढस, जुटे शिक्षक व कर्मचारी
ग्रीष्मावकाश के चलते इनदिनों कक्षाएं नहीं चल रही हैं लेकिन डीएवी पब्लिक स्कूल का कार्यालय नियमित रूप से खुलता है। स्कूल में घटना की जानकारी मिलते ही स्कूल परिवार के सदस्य कदमा स्थित नटराज क्लासिक अपार्टमेंट पहुंच गए। प्राचार्या प्रज्ञा सिंह भी पहुंची और अमृत की मां पूनम सिंह और शोक में डूबे परिवार को ढांढस बंधाया। वहां मौजूद स्कूल के राजेश पांडेय व अन्य सहयोगियों को जरूरी हिदायत दी और किसी तरह की जरूरत पर मदद के लिए कहा। घटना के बाद नटराज क्लासिक अपार्टमेंट में शोक की लहर है। स्कूल के सभी शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी भी अपार्टमेंट पहुंचे। सभी लोग इस बात से हतप्रभ है इतनी छोटी सी बात पर कोई छात्र कैसे आत्महत्या कर सकता है। अमृत अपनी मां के साथ ही स्कूल जाता था। कई बार छुट्टी के समय कार्यालय में कर्मचारियों के बीच बैठकर घर जाने के लिए अपनी मां का इंतजार करता था। सबकी जुबां पर सवाल वही, आखिर अमृत ने ऐसा क्यों किया?