अपडेट: अपने ही जाल में फंस गया जेएससीए
जितेन्द्र सिंह, जमशेदपुर : सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ को लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट छह महीने के अंदर
जितेंद्र सिंह, जमशेदपुर : सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें छह महीने के अंदर लागू करने का निर्देश क्या दिया, राज्य संघों में हड़कंप मच गया। झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) में तो संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकता है। इनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, कोषाध्यक्ष का पद शामिल है। अमिताभ चौधरी वर्ष 2000 से जेएससीए में अध्यक्ष पद पर जमे हुए हैं। वहीं राजेश वर्मा 2006 से सचिव पद पर विराजमान हैं। उपाध्यक्ष संजय सिंह व मनोज कुमार 2008 से इस पद पर हैं, तो डॉ. दिनेश उपाध्याय ने पहले उपाध्यक्ष, फिर कोषाध्यक्ष पद को सुशोभित किया। वर्तमान में वह उपाध्यक्ष हैं। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के अनुसार उपरोक्त सभी ऑफिस बियरर्स चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि ये सभी नौ साल से अधिक जेएससीए में किसी न किसी पद पर रह चुके हैं। ऐसे में जेएससीए सुप्रीमो अमिताभ चौधरी के समक्ष चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। वर्तमान में वह बीसीसीआइ में संयुक्त सचिव के पद पर हैं।
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संविधान संशोधन बना गले की फांस
अध्यक्ष की कुर्सी सुरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन कर झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन आज अपने ही जाल में फंस गया है। तीन वर्ष पूर्व संविधान में संशोधन कर यह नियम प्रभावी किया गया था कि वही व्यक्ति अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकता है, जो एक कार्यकाल तक ऑफिस बियरर्स रहा हो, या फिर लगातार पांच साल तक जिला संघ में अध्यक्ष या सचिव पद पर रहा हो। बोकारो के पीएन सिंह जैसे पदाधिकारी इसके लिए योग्य हो सकते थे, लेकिन जेएससीए में ऑफिस बियरर्स के पद पर वह भी रह चुके हैं। ऐसी स्थिति में जेएससीए में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है। पदाधिकारियों के लिए दोनों तरफ खाई है। एक तरफ जेएससीए का संविधान संशोधन तो दूसरी ओर लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट।
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अध्यक्ष पद के लिए प्रवीण व कुलदीप ही योग्य
झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन में संवैधानिक संकट के बीच तीन नाम हैं, जो अध्यक्ष बनने की योग्यता रखते हैं। इनमें पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार व कुलदीप सिंह शामिल हैं। अमिताभ चौधरी के कुर्सी छोड़ने की हालत में लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार उपाध्यक्ष संजय सिंह व मनोज कुमार पहले ही अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो चुके हैं। पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीण सिंह व कुलदीप सिंह अमिताभ चौधरी के 'गुड बुक' में नहीं हैं। ऐसे में जेएससीए के लिए नया अध्यक्ष चुनना आसान नहीं होगा।
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सचिव के लिए असीम, जयराम व रणधीर ही योग्य
जेएससीए संविधान के अनुसार वही व्यक्ति सचिव बन सकता है, जो ऑफिस बियरर रहा हो या फिर सहायक सचिव। असीम सिंह लगातार तीसरी बार सहायक सचिव बने हैं, वहीं जयराम रमेश व रणधीर बिस्वास पूर्व में सहायक सचिव रह चुके हैं। असीम सिंह के लिए राहत की बात यह है कि लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट में परिभाषित पद में सहायक सचिव का उल्लेख नहीं है। इसमें सिर्फ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव व कोषाध्यक्ष का ही उल्लेख है। वैसे भी जेएससीए में सहायक सचिव का पद मनोनीत होता है, जो लोढ़ा कमेटी के दायरे में नहीं आता है।
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दूसरे खेल संगठनों के पदाधिकारी भी अयोग्य
जेएससीए के रिपोर्ट के अनुसार किसी भी राज्य संघ या फिर भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड में वही ऑफिस बियरर्स बन सकता है, जिसकी उम्र 70 साल से अधिक न हो। भारत का नागरिक हो, पागल या दिवालिया घोषित नहीं हो, मंत्री या ऑफिसर नहीं हो, किसी अन्य खेल या एथलेटिक्स संघ का सदस्य नहीं हो व नौ साल से अधिक क्रिकेट संघ में किसी पद पर नहीं रहा हो।
ऐसे में झारखंड एथलेटिक्स संघ के मधुकांत पाठक जैसे लोग भी क्रिकेट संघ का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं। गौरतलब है कि जेएससीए में 27 ऐसे सदस्य हैं, जो झारखंड ओलंपिक संघ या फिर किसी दूसरे खेल संघ से भी जुड़े रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, 25 से ज्यादा पुलिस अधिकारी जेएससीए के सदस्य हैं। आने वाला समय जेएससीए के लिए लिटमस टेस्ट साबित होगा। वर्ष 2000 से 2016 के बीच संघ के पदाधिकारियों ने अपनी कुर्सी सुरक्षित करने के लिए 38 संशोधन किए, जिसका खामियाजा आज संघ को भुगतना पड़ रहा है।