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जेल में बंद लड़डू मंगोतिया जुगाड़ से पहुंच गया अस्पताल के बंदी वार्ड Jamshedpur News

अच्छे-अच्छे रसूखदार जुगाड़ लगाते ही रह गए। रेलवे ठेकेदार राजेश मंगोतिया अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एमजीएम अस्पताल पहुंचने में कामयाब हो गया।

By Edited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 01:55 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 11:57 AM (IST)
जेल में बंद लड़डू मंगोतिया जुगाड़ से पहुंच गया अस्पताल के बंदी वार्ड Jamshedpur News
जेल में बंद लड़डू मंगोतिया जुगाड़ से पहुंच गया अस्पताल के बंदी वार्ड Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। अच्छे-अच्छे रसूखदार जुगाड़ लगाते ही रह गए। रेलवे ठेकेदार राजेश मंगोतिया अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर एमजीएम अस्पताल पहुंचने में कामयाब हो गया। बंदी वार्ड में तीन दिनों से बंद है। मधुमेह, घुटने और पीठ में दर्द की शिकायत जेल के चिकित्सक से की थी।

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बेहतर इलाज के लिए एमजीएम भेजे जाने की सलाह दी गई। सेवानिवृति से पहले सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद की मेहरबानी काम आ गई। वह अस्पताल पहुंच गया। ठेकेदार दो माह से अलकोर होटल में अनैतिक धंधा के आरोप में जेल बंद है। उसके खिलाफ जुगसलाई थाने में दर्ज धोखाधड़ी मामले की फाइल भी इस बीच खुल गई। इसमें उसकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। जेल में हो रही परेशानी और लंबे समय तक रहने की संभावना को भांपकर उसने अस्पताल में रहने की तरकीब निकाल ली। उससे बड़े रसूखदार होटल के मालिक राजीव दुग्गल, शरद पोद्दार और राजू भालोटिया जेल में बंद हैं।

आखिर निशाने पर क्यों गोलमुरी थानेदार गोलमुरी थाना प्रभारी रणविजय शर्मा एक बार फिर चर्चा में हैं। विभाग के वरीय अधिकारी और नेताओं के निशाने पर हैं। कारण, बंद केबल कंपनी में तैनात सुरक्षा कर्मियों पर बाहरी लोगों के साथ मिलकर जानलेवा हमला व मारपीट करने का है। कंपनी में मिलीभगत से चोरी के आरोप थानेदार पर लग रहे हैं। जांच सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट कर रहे हैं। थानेदार के कार्यकाल में ही कंपनी में विगत जनवरी में आग लग गई थी। जांच पर जांच होती रही, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं मिल पाया। कुछ दिन बाद मामला ठंडा पड़ गया। कंपनी से कीमती सामान की चोरी आधा दर्जन से अधिक बार हो चुकी है। कंपनी में आखिर क्यों चोरी हो रही, इसकी सत्यता सामने नहीं आ रही। इस मामले से पहले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने थाना प्रभारी को घेरे में लिया था, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण मामला ठंडा पड़ गया था। छापेमारी का खेल और आत्मसमर्पण जमीन कारोबारी रंजीत बेंज की हत्या का आरोपित कृणाल शर्मा पिछले छह माह से फरार था। पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी। दबाव बनाने के लिए कुर्की जब्ती की कार्रवाई भी नहीं कर पा रही थी। फरारी का इश्तेहार भी चस्पां नहीं कर रही थी। इस बीच आरोपित ने 20 जून को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। हैरानी इस बात की है कि खबर पुलिस को तीन दिन बाद मिली। अब रिमांड पर लेकर पूछताछ की औपचारिकता निभाई जा रही है। इसी तरह शराब और ड्रग्स का धंधा करने वाले भी रिकार्ड में फरार हैं, लेकिन अड्डे पर धंधा करते नजर आते हैं। पुलिस जब पहुंचती तो कुछ हाथ नहीं लगता। सब मुखबिर तंत्र के फेल होने का नतीजा है। रात में सिटी पेट्रो¨लग व टाइगर मोबाइल वाले हूटर बजाते हुए निकलते हैं। आवाज गूंजती है और औद्योगिक क्षेत्र व हाउ¨सग कॉलोनी में घूमने वाले संदिग्ध भाग जाते हैं। ऐसे कहीं कार्रवाई होती है क्या अपराध नियंत्रण के लिए जिला पुलिस जेल से छूटने वाले बदमाशों पर सीसीए (अपराध कंट्रोल एक्ट) और जिला बदर की कार्रवाई का प्रस्ताव उपायुक्त के पास भेजती है।

सूची के आधार पर कार्रवाई होती है। बीते सप्ताह चार पर तड़ीपार और दो पर सीसीए की अनुशंसा की गई। इनमें वही आरोपित शामिल हैं जिन पर पहले भी ऐसी कार्रवाई की जा चुकी है। किसी नए बदमाश का नाम सामने नहीं आया है। इस कदम से पुलिस कार्रवाई की गंभीरता का अंदाजा लगा सकते हैं। एसएसपी कार्यालय से सभी थानों से सूची मांगी जाती है और थाना स्तर पर सूची पर मंतव्य लिखकर फाइल को आगे बढ़ा दिया जाता है। उपायुक्त कार्यालय से सूची जारी हो जाती है। जिनके विरुद्ध आदेश जारी होता है उन्हें नोटिस थमा दिया जाता है। इसका जवाब देना होता है। हाल के दिनों में आपराधिक रिकार्ड खंगाले नहीं जा रहे। गुंडा लिस्ट अपडेट नहीं हो रहा।


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