सीताराम शास्त्री को पुण्यतिथि पर झारखंडी समाज ने दी श्रद्धांजलि
कई संगठनों व संस्थाओं ने सादगी के प्रतीक सीताराम शास्त्री को अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
जासं, जमशेदपुर : सीताराम शास्त्री के कुछ पहलुओं को याद करना, सहेजना, संजोना उपयोगी ही नहीं अर्थवान भी है। वे झारखंडी मूल के नहीं थे लेकिन, झारखंडी समाज, जीवन, संसाधन और झारखंड के भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में उनका लगाव, चेतना और संवेदना किसी भी आम और महान झारखंडी से कम नहीं थी। शनिवार को पुण्यतिथि पर झारखंडी समाज के अलावा कई संगठनों व संस्थाओं ने सादगी के प्रतीक सीताराम शास्त्री को अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। सीताराम शास्त्री की स्मृति में शनिवार को जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी ने डिमना बांध प्रभावित गांव कुटीमाकली में 56 परिवारों के बीच आम के पौधे वितरित किए। ग्रामीण व उपस्थित कार्यकर्ताओं ने सीताराम शास्त्री की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित की। मौके पर अरविद अंजुम ने कहा कि सीताराम शास्त्री झारखंड के उन चुनिदा बुद्धिजीवियों में शामिल हैं, जिन्होंने इस आंदोलन को वैचारिक आधार दिया था। कार्यक्रम में जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के कुमार दिलीप, विश्वनाथ आजाद, अमर सेंगेल, देवेंद्र नाथ, शहजाद, वंशराज के अलावा कुटीमाकली गांव के प्रधान सब्बर सिंह तथा सोम मार्डी, रोहिन सिंह, लवकिशोर हांसदा, टिरू सिंह, सुशीला सिंह, भोलानाथ सिंह, श्यामल महतो, दिलीप सिंह, बबलू महतो आदि शामिल हुए।
वहीं झारखंड जनतांत्रिक महासभा ने शनिवार को झारखंडी बुद्धिजीवी सह आंदोलनकारी सीताराम शास्त्री की याद में बालीगुमा सुखना बस्ती में स्मृति सभा का आयोजन किया। इस अवसर पर उनकी याद में दो मिनट का मौन रखा गया और तस्वीर पर माला पहनाकर श्रद्धांजलि दी गई। मौके पर महासभा के दीपक रंजीत , सुनील हेम्ब्रम, अंकुर कुड़मी, बीरसिंह महतो, मुकुंदर, डेमका सोय, ललन प्रसाद, मदन महतो, कुमार दिलीप, सुखदेव गोराई, अनिल महतो, चंडी सिंह सरदार समेत कई लोग उपस्थित थे।