Jharkhand Politics : टाटा स्टील कंपनी गेट जाम पर विधायक संजीव सरदार ने कही ये बात
Jharkhand Politics झामुमो विधायक संजीव सरदार का कहना है कि तीनों कंपनियां मनमाना रवैया अपना रही है। टाटा स्टील को बचाने के लिए मूल वासियों ने इसी शर्त पर अपनी जमीनें दी ताकि उनका और उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके।
जमशेदपुर : झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों और कार्यकर्ताओं ने बुधवार सुबह 10:00 बजे से टाटा स्टील टाटा मोटर्स और टाटा कमिंस का एग्जाम कर दिया है। विधायकों की सबसे बड़ी नाराजगी इस बात से है कि तीनों कंपनियां जमशेदपुर में संचालित हो रही है लेकिन इनका मुख्यालय महाराष्ट्र में है। यह मुख्यालय ही सभी कर्मचारियों के भविष्य उनके ग्रेड रिवीजन बोनस सहित अन्य विषयों पर निर्णय लेती है।
स्थानीय विधायक इसी बात से नाराज है। उनकी मांग है कि सभी कंपनियों के मुख्यालय झारखंड वह जमशेदपुर में स्थापित किया जाए। हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देश भर के निवेशकों को झारखंड में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रही है। जबकि उनके विधायक अपनी मांगों को लेकर कंपनी गेट जाम कर रहे हैं ऐसे में झारखंड की छवि कैसे बेहतर होगी इस सवाल पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के पोटका विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजीव सरदार ने दैनिक जागरण से विस्तार से चर्चा की।
संजीव सरदार का कहना है कि तीनों कंपनियां मनमाना रवैया अपना रही है। टाटा स्टील को बचाने के लिए मूल वासियों ने इसी शर्त पर अपनी जमीनें दी ताकि उनका और उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके। उन्हें रोजगार मिल सके लेकिन तीनों कंपनियों ने वादाखिलाफी की। अपने मुख्यालय को महाराष्ट्र में शिफ्ट कर दिया जहां पर सभी कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य का निर्णय लिया जाता है जबकि झारखंड उन्हें कोयला पानी बिजली जमीन अपना दे रही है इसीलिए हमारी मांग है कि सभी कंपनियों का मुख्यालय झारखंड में लाया जाए ताकि जो रेवेन्यू मिले उससे झारखंड का विकास हो।
विधायक संजीव सरदार ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो आज वह कोल्हान स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं भविष्य में वह पूरे झारखंड में टाटा स्टील और उसकी सभी समूह की कंपनियों का चक्का जाम करेंगे।
मूलवासियों के बच्चों को नही मिल रही है नौकरी
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव मोहन कर्मकार का कहना है कि टाटा स्टील सहित तमाम कंपनियां को इस शर्त पर जमीन दी गई थी कि वह यहां के नागरिकों को नागरिक सुविधा देंगे। लेकिन कंपनियों की नागरिक सुविधा केवल कंपनी कमांड एरिया तक ही सीमित रह गई है। जिन मूल वासियों ने अपनी जमीन दी उनके सेवा निर्मित होने के बाद उनके बच्चों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है और बाहरी लोगों को कंपनी में नौकरी दी जा रही है ऐसे में हमारी मांग है की यहां के 75 प्रतिशत मूल वासियों को सभी स्थानीय कंपनियों में नियोजित किया जाए।
टाटा स्टील से 100 कंपनिया खड़ी हुई लेकिन झारखंड आज भी वंचित
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सचिव आस्तिक महतो का कहना है कि टाटा स्टील से ही टाटा समूह ने 100 से अधिक कंपनियां पड़ेगी लेकिन झारखंड आज भी विकास से वंचित है। कंपनी के संस्थापकों ने वादा किया था पूरे झारखंड सहित स्थानीय स्तर पर नासिर विकास होगा बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा का भी बेहतर व्यवस्था की जाएगी। लेकिन आज स्थिति जस की तस है व्यवस्था कितनी बदली यह सबके सामने हैं।
झारखंड आज तक कंपनी मालिकों को कभी भी कंपनी संचालन में रुकावट पैदा नहीं की लेकिन अब कंपनी के अधिकारी हमारी बातों को अनसुना कर रहे हैं इसलिए जनहित में हम मूकदर्शक बनकर नहीं बैठे रह सकते और हमें आगे आकर आंदोलन करने की जरूरत पड़ रही है।