Jharkhand: झामुमो में रहते हुए भी क्यों अलग-थलग पड़ गए दुलाल
कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता रहे झारखंड सरकार के पूर्व भू-राजस्व मंत्री दुलाल भुइयां हैं तो झामुमो में लेकिन कहने भर को हैं। हाल के दिनों में उन्हें ना तो झामुमो के किसी बड़े कार्यक्रम में देखा गया ना उनके कार्यक्रम में झामुमो...
जमशेदपुर (जासं) । कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता रहे झारखंड सरकार के पूर्व भू-राजस्व मंत्री दुलाल भुइयां हैं तो झामुमो में, लेकिन कहने भर को हैं। हाल के दिनों में उन्हें ना तो झामुमो के किसी बड़े कार्यक्रम में देखा गया, ना उनके कार्यक्रम में झामुमो का कोई बड़ा नेता या कार्यकर्ता दिख रहा है। ऐसा क्यों है, यह सवाल सबके मन में उठ रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो दुलाल भुइयां ने झारखंड मजदूर यूनियन के बैनर तले जब बुधवार को उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया, तो उनके साथ झामुमो का कोई बड़ा नेता नहीं शामिल हुआ। यह तब है, जब अभी जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र में झामुमो के चार विधायक हैं।
शायद इसी का नतीजा रहा है कि उन्हें उपायुक्त से मिलने तक के लिए धरना देना पड़ा। जिला प्रशासन ने उन पर केस भी कर दिया, लेकिन अभी तक झामुमो का कोई नेता उनके समर्थन में शामिल नहीं हुआ है। इसकी वजह कई हो सकती है, लेकिन झामुमो कार्यकर्ताओं की मानें तो दुलाल ने हाल के दिनों में झामुमो से झाविमो, फिर भाजपा और कांग्रेस में जाने के बाद आम झामुमो कार्यकर्ताओ से लंबी दूरी बना ली।
वह दूरी अभी तक पटी नहीं है। वरना क्या वजह हो सकती है कि राज्य में झामुमो की सरकार रहते हुए उनकी उपेक्षा इस तरह हो रही है। यदि भीड़ की वजह से उनपर केस हुआ, तो 30 सितंबर को जब झामुमो के चारों विधायकों ने उपायुक्त कार्यालय पर किसान विधेयक व श्रम विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया तो उन पर केस नहीं हुआ। इससे यह स्पष्ट संकेत है कि जिला प्रशासन भी उन्हें तरजीह देता, क्योंकि वे पार्टी में ही उपेक्षित हो गए हैं।
बेटे के लिए मांगा था टिकट, नहीं मिला
हालिया विधानसभा चुनाव में दुलाल भुइयां ने अपने बेटे विप्लव भुइयां के लिए जुगसलाई विधानसभा से झामुमो का टिकट मांगा था, लेकिन झामुमो ने नहीं दिया। दुलाल जुगसलाई विधानसभा से तीन बार (1995, 2000 व 2005) में विधायक रह चुके थे। 2005 से 2009 तक झारखंड सरकार में भू राजस्व मंत्री भी रहे, लेकिन इसी अवधि में इन पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ ने कार्रवाई भी की थी। दुलाल को झारखंड हाईकोर्ट ने 86 लाख रुपये अतिरिक्त आय का दोषी मानकर पांच साल की सजा भी सुनाई थी। इससे पहले 2019 के ही लोकसभा चुनाव में दुलाल ने अपनी पत्नी अंजना भुइयां को पलामू लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर लड़ाया था, लेकिन अंजना को महज 10 हजार वोट ही मिले।
मंगल को हराने के लिए किया था काम
जुगसलाई विधानसभा सीट से जब झामुमो ने दुलाल के बेटे को टिकट नहीं दिया और मंगल कालिंदी को उम्मीदवार बनाया, तो इससे दुलाल काफी नाराज हुए थे। उस वक्त दुलाल ने कहा था कि मेरे बेटे को टिकट नहीं देने के बारे में कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को जवाब देना होगा। उसी समय से झामुमो ने दुलाल को उपेक्षित छोड़ दिया है। ना पार्टी से निकाल रही है, ना कोई तरजीह दे रही है।