Jharkhand Cabinet Expansion:कोल्हान से चंपई, बन्ना और जोबा को मंत्री की कुर्सी, ये रहा सफरनामा
Jharkhand Cabinet Expansion. हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में कोल्हान से हिस्सेदारी की तस्वीर साफ हो गई है। चंपई सोरेन जोबा मांझी और बन्ना गुप्ता को मंत्री की कुर्सी मिलेगी।
जमशेदपुर, जेएनएन। Jharkhand Cabinet Expansion हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में कोल्हान से हिस्सेदारी की तस्वीर साफ हो गई है। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की झोली में सभी 14 सीटें डालने वाले कोल्हान को तीन मंत्री पद मिले हैं। जिन्हें मंत्री की कुर्सी मिलनेवाली है उनमें झामुमो के चंपई सोरेन और जोबा मांझी और कांग्रेस के बन्ना गुप्ता शामिल हैं।
तीनों अनुभवी हैं और पूर्व में मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं। चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले की सरायकेला सीट से पांचवीं बार जीते हैं। बन्ना गुप्ता कांग्रेस से जमशेदपुर पश्चिमी सीट से दूसरी बार जीते हैं। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने तीनों के साथ ही कुल सात विधायकों को राज्य का मंत्री और मंत्रिपरिषद सदस्य नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया है।
संयुक्त बिहार में राबड़ी सरकार में पहली बार मंत्री बनी थी जोबा
14 अक्टूबर 1994 में पति देवेंद्र माझी की हत्या के बाद जोबा माझी राजनीति मेंउतरी थीं। वर्ष 1995 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी जोबा माझी ने पहली जीत सहानुभूति लहर पर सवार होकर दर्ज की थी। इसके बाद राबड़ी देवी की सरकार में पहली बार दिसंबर 1998 में आवास राज्यमंत्री बनीं। झारखंड अलग होने के बाद बनी पहली भाजपा की अगुवाई वाली बाबूलाल मरांडी की सरकार में जोबा कैबिनेट मंत्री बनीं। उन्हें समाज कल्याण महिला व बाल विकास तथा पर्यटन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्ष 2005 में वह फिर कल्याण, समाज कल्याण, महिला व बाल विकास एवं आवास मंत्री बनीं। चौथी बार चुनाव मैदान में उतरी जोबा वर्ष 2009 का चुनाव हार गई। इसके बाद झामुमो में शामिल होकर वर्ष 2014 के चुनाव में उतरी व जीत हासिल की। चुनाव पूर्व उन्होंने अपने पति देवेंद्र माझी द्वारा गठित पार्टी झरखंड मुक्ति मोर्चा डेमोक्रेटिक का विलय झामुमो में कर दिया था। अब वह चौथी बार मंत्री बनी हैं। उनके पति स्वर्गीय देवेंद्र माझी सिंहभूम के कद्दावर आदिवासी नेताओं में शुमार किए जाते हैं। वे 1980 में चक्रधरपुर और 1985 में मनोहरपुर से विधायक रहे थे।
सरायकेला से छठी बार विधायक चुने गए हैं चंपई, गुरुजी के विश्वस्त
अलग झारखंड आंदोलन के सिपाही रहे सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के जिलिंगजोड़ा के निवासी चंपई सोरेन झामुमो के अगुवा व पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के विश्वासपात्र माने जाते हैं। पहली बार चंपई बतौर निर्दलीय प्रत्याशी सरायकेला के चुनावी अखाड़े में उतरे थे और पहले ही प्रयास में बाजी मार ली थी। उन्होंने तब के सिंहभूम के सांसद कृष्णा मार्डी के पत्नी मोती मार्डी को हराया था। झारखंड टाईगर के नाम से सुपरिचित चंपई और सरायकेला सीट एक-दूसरे के पूरक बन गए। सरायकेला झामुमो का अभेद्य दुर्ग बन गया। एक चुनाव को छोड़कर पांच चुनाव जीतने वाले चंपई सोरेन की खासियत सर्वसुलभ होना है। वर्ष 2014 में उनकी राह रोकने में भाजपा के गणेश महाली ने पूरा दम लगाया, लेकिन कड़े मुकाबले में चंपई ग्यारह सौ मतों से विधानसभा की राह आगे बढ़ गए। वर्ष 2019 के चुनाव में भी भाजपा ने गणेश महाली को चंपई सोरेन की राह रोकने के लिए उतारा, लेकिन इस बार भी गणेश सफल नहीं हो पाए। चंपई सोरेन ने सोलह हजार मतों के अंतर से हराकर लगातार चौथी जीत दर्ज की। चंपई सोरेन वर्ष 1999 में सिंहभूम और पिछले लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर से झामुमो के प्रत्याशी भी रहे। हालांकि, जीत नहीं पाए।
2009 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू से शिकस्त खा गए थे चंपई
सरायकेला सीट से 1991 से जीत का सफर शुरू करने वाले चंपई की हैट्रिक 2009 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने रोक दी थी। उसके बाद से उनके जीत का सफर फिर आगे बढ़ चला। जिलिंगजोड़ा में एक दिसंबर को 1956 को पैदा हुए चंपई के पिता का नाम सिमल सोरेन और माता का नाम मादो सोरेन था। उनकी पारिवारिक पृष्टभूमि खेती है। मैट्रिक तक पढ़े चंपई की सात संताने हैं।