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राम जेठमलानी ने बिना फीस लिए लड़ा था जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का केस Jamshedpur News

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का जमशेदपुर से भी गहरा नाता रहा है। वे यहां 1985 में आए तो थे ही जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का केस भी लड़ा था।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 01:22 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:16 AM (IST)
राम जेठमलानी ने बिना फीस लिए लड़ा था जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का केस Jamshedpur News
राम जेठमलानी ने बिना फीस लिए लड़ा था जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का केस Jamshedpur News

जमशेदपुर (वीरेंद्र ओझा)। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का जमशेदपुर से भी गहरा नाता रहा है। वे यहां 1985 में आए तो थे ही, जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का केस भी लड़ा था। इससे बड़ी बात कि उन्होंने इसके लिए फीस नहीं ली। उस केस के याचिकाकर्ता व मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा बताते हैं कि यह 1988 की बात है।

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उन्होंने जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की मांग के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पटना हाईकोर्ट से नगर निगम बनाने के पक्ष में फैसला आया तो टाटा स्टील इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। यह सुनते ही उनके हाथ-पांव फूल गए थे, क्योंकि इतना पता था कि सुप्रीम कोर्ट के वकील लाखों रुपये फीस लेते हैं। इसके बावजूद किसी ने उन्हें राम जेठमलानी से मिलने की सलाह दी। उस व्यक्ति ने बताया था कि राम जेठमलानी यदि केस की मेरिट से प्रभावित हो गए तो आपका काम बन जाएगा। उनसे मिलना भी बड़ा मुश्किल काम था। खैर एक दिन उनसे भेंट हो गई और उनसे बात रखने का मौका भी मिल गया। जब मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास आपको फीस देने के पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने झट से अपनी पुत्री रानी जेठमलानी से मिलने की सलाह दी। मैं रानी जेठमलानी के घर गया, तब तक शायद उन्हें राम जेठमलानी का फोन आ गया था। वह बिना फीस केस लडऩे के लिए तैयार हो गईं।

हालांकि उन्होंने कहा कि आपसे फीस नहीं लूंगी, लेकिन टाइपिंग और साइक्लोस्टाइल के पैसे आप दे देंगे, तो बेहतर होगा। मैंने करीब 10 हजार रुपये उन्हें दिए। रानी जेठमलानी की ओर से कोर्ट में जो फाइल दाखिल की गई, उसके वकीलों के पैनल में पहला नाम राम जेठमलानी का था। उनके बाद अधिवक्ताओं की सूची में रानी जेठमलानी व संजीव कुमार का नाम था।  बाद में इसमें अधिवक्ता आरके गर्ग भी जुड़ गए। ज्यादातर बहस भी इन्होंने ही की। करीब एक साल तक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ गया, जिसमें पटना हाईकोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह अपने फैसले को अमल में कराए।

इसके बाद पटना हाईकोर्ट के आदेश पर बिहार सरकार के नगर विकास विभाग ने अधिसूचना जारी की, जिसमें नगर निगम गठन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था। यह अलग बात है कि जमशेदपुर में अब तक नगर निगम नहीं बन सका, लेकिन राम जेठमलानी ने मुझे जो सहयोग किया, उसे ताउम्र नहीं भूल सकता। उनके निधन का मुझे काफी अफसोस है। 

मिलानी में दिया था राजीव सरकार के खिलाफ भाषण

राम जेठमलानी ने 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी सरकार के खिलाफ आक्रामक भूमिका में थे। उसी दौरान वे जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित मिलानी हॉल में आयोजित एक सेमिनार में आए थे। भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष व अधिवक्ता देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यह सेमिनार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कराया था। उस वक्त विद्यार्थी परिषद के नगर सचिव रहे देवेंद्र सिंह बताते हैं कि जेठमलानी जी ने सेमिनार में राजीव सरकार के खिलाफ जोरदार भाषण दिया था।

उस वक्त वे राजीव गांधी से रोज पांच सवाल पूछते थे। भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के एक सिपहसालार ने उनके द्वारा पूछे गए सवालों पर कहा है कि 'कुत्ते भौंकते रहते हैं.., मैं उस व्यक्ति से कहना चाहता हूं कि कुत्ते चोर को देखकर ही भौंकते हैं, यह याद रखना चाहिए। इस पर हॉल में खूब तालियां बजी थीं। उस वक्त विद्यार्थी परिषद कांग्रेस के खिलाफ जगह-जगह सेमिनार कर रही थी। राम जेठमलानी यहां से रांची गए थे। वहां भी इसी तरह का सेमिनार विद्यार्थी परिषद ने कराया था। 


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