नदी नहीं, कृत्रिम तालाब में हुआ ज्वांरा पूजा का विसर्जन Jamshedpur News
शोभायात्रा पर रोक लगने के बाद समिति ने मंदिर के पीछे रातो-रात दस गुणा पांच फीट का कृत्रिम तालाब तैयार किया। सुबह छह बजे 55 अखंड ज्योत व भोजली को विसर्जित किया।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। सोनारी के उपकार संघ द्वारा इस वर्ष में नवरात्र ज्वांरा पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन हर वर्ष की भांति इस वर्ष ज्वांरा विसर्जन स्वर्णरेखा नदी के बजाए मंदिर के पीछे पूजा कमेटी द्वारा बनाए गए कृत्रिम तालाब में हुआ।
देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन है। ऐसे में स्थानीय थाने से पूजा समिति को विसर्जन के लिए शोभा यात्रा निकालने पर रोक लगा दी। इसके बाद समिति के सदस्यों ने मंदिर के पीछे रातो-रात दस गुणा पांच फीट लंबा व चौड़ा कृत्रिम तालाब तैयार किया। महानवमी की सुबह छह बजे 55 अखंड ज्योत व भोजली को बिना किसी जसगीत के शांतिपूर्वक पूजा समिति ने विसर्जन कर दिया। वहीं, शाम में मंदिर प्रांगण में नौ कन्या पूजा हुई। इस दौरान शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए मां दुर्गा के नवरूप का प्रतीक मानते हुए नौ कन्या को भोजन कराया गया। इसके बाद उन्हें कपड़े, कॉपी-पेंसिल देकर विदाई दी गई। वहीं, समिति की ओर से शुक्रवार दशमी के दिन 200 किलोग्राम खिचड़ी का भोग तैयार किया जाएगा।
सामूहिक वितरण के बजाए इस वर्ष सभी बस्तीवासियों के घर-घर जाकर भोग का वितरण किया जाएगा। आयोजन को सफल बनाने में समिति के अध्यक्ष बसंत साहू, हेमंत साहू, सुदामा निषाद, सतपाल साहू, कन्हैया साहू, उमा शंकर शर्मा की सक्रिय भूमिका रही।