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Tantra ke Gan : नहीं रास आया गुजरात, झारखंड लौटकर गांव में शिक्षा का अलख जगा रहा यह युवक

Tantra ke Gan. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा के गांव के इस युवक को परदेस की आबोहवा रास नहीं आई। इंजीनियर की डिग्री लेकिन नौकरी में इतनी सैलरी नहीं कि जिंदगी की गाड़ी सही से चल सके। बस क्‍या था। स्‍वदेश लौट आए और...

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 10:32 AM (IST)
Tantra ke Gan : नहीं रास आया गुजरात, झारखंड लौटकर गांव में शिक्षा का अलख जगा रहा यह युवक
पूर्वी सिंहभूम के पटमदा के गांव के युवा वृंदावन महतो। जागरण

 जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव।  पूर्वी सिंहभूम जिले के बोड़ाम प्रखंड के बारियदा गांव के रहनेवाले युवा इंजीनियर वृंदावन महतो अपने गांव के बच्चों को शिक्षित करने के कार्य में दस वर्षों से लए हुए हैं। इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। इस युवक के कारण गांव की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है।

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कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) द्वारा आयोजित ओलंपियाड में इस युवक के यहां पढ़ने वाली भूला मध्य विद्यालय की कक्षा छह की छात्रा ऋतु गोराई ने राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया। इस युवक ने 2008 में अलकबीर पॉलिटेक्निक कालेज मानगो से इलेक्ट्रिकल में डिप्लोमा करने के बाद हरियाणा में प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण लेने के उपरांत गुजरात की एक प्राइवेट कंपनी में कुछ महीने तक नौकरी। घर एवं माता-पिता से काफी दूर रहने के की वजह उसे हमेशा अपने माता-पिता की चिंता सताती थी।

नहीं मिलते थे नौकरी में काम भर पैसे

वैसे भी गुजरात के जिस कंपनी में वे जो कार्य करते थे उसका वेतन भी उतना नहीं था। उतनी राशि गांव में रहकर भी कमाई जा सकती थी। वहां उसे मात्र 10 से 12 हजार रुपए मिलते थे। इस कारण उसने अंतत: गुजरात छोड़ने का निर्णय लिया तथा गांव आकर मामूली फीस लेकर ट्यूश्न पढ़ाने में जुट गया। वे कक्षा एक से 12वीं तक के ग्रामीण बच्चों को विज्ञान एवं अन्य विषयों की शिक्षा दे रहे हैं, ताकि अपने क्षेत्र के बच्चे प्रतिभावान हो सके। आज उनके पास 100 बच्चे ट्यूशन पढ़ने आते हैं।

मिल चुके हैं कई सम्‍मान

कोरोना काल में भी अपने हिसाब से इस युवक ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया तथा कई सामाजिक कार्य किए। कोविड-19 में इस युवक द्वारा किए गए सामाजिक कार्य एवं प्रशासनिक सहयोग के लिए जहां जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी ने उन्हें सम्मानित किया, वहीं पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सूरज कुमार ने भी इस युवक की सराहना की। वृंदावन के इस कार्य से प्रेरणा लेकर गांव के ही मेकेनिकल इंजीनियर तपन कुमार महतो तथा आइएससी की पढ़ाई कर रही संयुक्ता महतो भी उन्हें सहयोग कर रहे हैं। वे इन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करवा रहे हैं।

ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करना मूल मकसद

पूर्वी सिंहभूम जिला के बोड़ाम  स्थित अपने गांव में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते वृंदावन  महतो।

वृंदावन महतो ने बताया कि ट्यूश्न फीस के रूप में 50 से 100 रुपया तक बच्चे देते हैं। फीस देने की बाध्यता नहीं है, लेकिन बच्चे जितना हो सकता है उतना ही देते हैं। इस युवक ने कहा कि उनका मूल मकसद बच्चों को शिक्षित करना है। वे इस कार्य को भली भांति कर रहे हैं। अब इस कार्य में अन्य शिक्षित युवक जुड़ने लगे हैं। इसका और विस्तार किया जा रहा है। अब यहां के छात्रों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ प्रतियोगी पढ़ाई की भी तैयारी करवाई जा रही है।


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