कर्मचारियों ने किया कॉलेज बंद, छात्रों ने तोड़ा ताला
मानगो स्थित जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में प्रधान लिपिक के पद पर फिर से मनोज किशोर की नियुक्ति को लेकर पूर्व प्रधान लिपिक दीपक दास गुट के नेतृत्व में कॉलेज बंद कर दिया गया। शनिवार की सुबह आठ बजे ही दीपक गुट के कर्मचारी कॉलेज परिसर पहुंचे व संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ मिलकर कॉलेज के गेट को बंद कर दिया। सारे काउंटर परीक्षा भवन एवं कक्षाओं को ताला जड़ दिए गए।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मानगो स्थित जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में प्रधान लिपिक के पद पर फिर से मनोज किशोर की नियुक्ति को लेकर पूर्व प्रधान लिपिक दीपक दास गुट के नेतृत्व में कॉलेज बंद कर दिया गया। शनिवार की सुबह आठ बजे ही दीपक गुट के कर्मचारी कॉलेज परिसर पहुंचे व संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के साथ मिलकर कॉलेज के गेट को बंद कर दिया। सारे काउंटर, परीक्षा भवन एवं कक्षाओं को ताला जड़ दिए गए। इसके बाद कॉलेज परिसर में घूम-घूमकर कर्मचारियों ने कहा कि कॉलेज बंद रहेगा। सभी छात्र घर चले जायें।
शनिवार को इंटरनल परीक्षा थी। इस कारण कॉलेज में 500 से अधिक परीक्षार्थी कॉलेज पहुंचे थे। जब कर्मचारियों ने कहा कि कॉलेज बंद रहेगा तो छात्रों ने इसकी सूचना आजसू छात्र संगठन के कोल्हान अध्यक्ष हेमंत पाठक, रंजन दास, राजेश महतो, अभाविप के सागर ओझा, सागर राय, बापन घोष को दी। सभी छात्र नेता कॉलेज पहुंचे और इसके बाद जमकर बवाल काटा गया। इसकी सूचना छात्र नेताओं ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एके मेहता दी। डॉ. मेहता लगभग 10 बजे कॉलेज पहुंचे। उन्होंने विश्वविद्यालय के निर्देश पर स्थानीय पुलिस को इसकी सूचना दी। मानगो पुलिस लगभग 10:30 बजे तक कॉलेज पहुंची। प्राचार्य ने कर्मचारियों को गेट का ताला व कॉलेज को खोलने का अनुरोध किया। लेकन वे नहीं माने। इससे मामला और बिगड़ गया। लगभग एक घंटे तक हो हंगामा चलता रहा। अंत में प्राचार्य फिर से दोपहर के 11:45 मिनट पर दोबारा बंद तालों की चाबियों को मांगने गए। इसके बावजूद कर्मचारी नहीं मानें। फिर क्या था, छात्र प्राचार्य डॉ. एके मेहता व पुलिस के निर्देश पर पहले गेट का ताला ईट, पत्थर व लोहे की छड़ से तोड़ दिए। कक्षाओं का ताला तोड़कर छात्रों को परीक्षा के लिए बैठाया गया। दोपहर लगभग 12:30 बजे विभिन्न विषयों की आंतरिक परीक्षाएं आरंभ हुई। इस दौरान छात्र नेताओं ने कहा कि उन्हें कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है। बस छात्रों की परीक्षा बाधित नहीं होनी चाहिए। विवाद का निबटारा कोल्हान विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के जिम्मा है।