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Tata Steel की नई टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ जमशेदपुर ट्रेलर ऑनर यूनियन ने की ये मांग, जानिए

New Tender process of Tata Steel माल ढुलाइ के लिए टाटा स्टील की नई टेंडर प्रक्रिया जमशेदपुर ट्रेलर आनर यूनियन को रास नहीं आ रही है। यूनियन नेतृत्व कहना है कि यदि टाटा स्टील प्रबंधन उनकी मांगों पर अपना पक्ष स्पष्ट करे नहीं तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 03:31 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 03:31 PM (IST)
Tata Steel की नई टेंडर प्रक्रिया के खिलाफ जमशेदपुर ट्रेलर ऑनर यूनियन ने की ये मांग, जानिए
जमशेदपुर ट्रेलर ऑनर यूनियन ने मांग टाटा स्टील प्रबंधन के समक्ष रखी है।

जमशेदपुर, जासं। टाटा स्टील ने भारी वाहनों से माल ढुलाई को लेकर टेंडर निकाला है। लेकिन इस टेंडर की कुछ शर्तों को लेकर जमशेदपुर लोकल ट्रेलर ऑनर यूनियन में नाराजगी है। शनिवार को ट्यूब डिविजन के समीप स्थित यूनियन कार्यालय में जय किशोर सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। जिसके बाद यूनियन नेतृत्व ने 11 बिंदुओं की अपनी नई मांग टाटा स्टील प्रबंधन के समक्ष रखी है।

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साथ ही कंपनी प्रबंधन से अपील की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान वोकल टू लोकल के तहत बाहरी वाहन मालिकों के बजाए स्थानीय वाहन मालिकों को प्राथमिकता दी जाए। यूनियन में लगभग 50 सदस्य हैं जिनके पास 400 से अधिक ट्रेलर व भारी वाहन है लेकिन टाटा स्टील प्रबंधन द्वारा जारी ट्रेंडर की नई प्रक्रिया से उनके समक्ष बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है। यूनियन नेतृत्व कहना है कि यदि टाटा स्टील प्रबंधन उनकी मांगों पर अपना पक्ष स्पष्ट करे नहीं तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे। यूनियन टाटा स्टील प्रबंधन के साथ शांतिपूर्वक वार्ता की पक्षधर है। बैठक में महमूद खान, विकास सिंह, रंजन सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।

ये है ट्रेलर मालिकों की 11 मांगे

1. नए टेंडर में मार्केट शब्द को जोड़ा जाए ताकि स्थानीय वाहन मालिकों को पूर्व की तरह मौका मिल सके।

2. सीआरएम के लिए 290 रुपये प्रति टन और गम्हरिया के लिए 350 रुपये प्रति टन भाड़ा तय किया जाए।

3. भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत 15 वर्ष तक की गाड़ियों को मान्य किया जाए।

4. 10 वर्ष वाले वाहनों का उपयोग संलग्न वाहन के रूप में किया जाए।

5. प्रत्येक वाहन को 30 दिन का कार्य दिवस उपलब्ध कराया जाए। जिन गाड़ियों में माल लोड है और किन्ही कारणों से गाड़ी को अनलोड नहीं किया जाए तो उसका खर्च भी कंपनी प्रबंधन वहन करे।

6. कंपनी प्रबंधन द्वारा तय नियमों के तहत छोटी-छोटी गलतियों के लिए भारी जुर्माने का प्रावधान है। इसमें 50 प्रतिशत तक की कटौती की जाए। जैसे सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 25 हजार रुपये और सेफ्टी मानकों का अनुपालन नहीं करने पर दो से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान था।

7. स्थानीय वाहन मालिकों को काम दिया जाए और बाहरी लोगों का दिए जाने वाले काम का आवंटन बंद किया जाए।

8. लोकल स्तर पर माल ढुलाई स्थानीय वाहन मालिकों से कराया जाए। इसमें प्रबंधन के अधिकारियों के रिश्तेदारों को शामिल नहीं किया जाए।

9. 21 टन माल के एवज में कंपनी प्रबंधन 26 टन की गारंटी सुनिश्चित करे।

10. यूनियन को तीसरा पक्ष बनाकर उन्हें बैठकों में वाहन मालिकों

के हितों पर होने वाले किसी भी मामले में शामिल किया जाए।

11. वाहन मालिकों को वर्तमान में एक से दो माह में वेतन का भुगतान किया जाता है। इसे घटाकर 10 दिन किया जाए।


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