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प्रीपेड मीटर लगने के बाद रुक जाएगी बिजली चोरी

बिजली बोर्ड को घाटे से उबारने के लिए प्रीपेड मीटर जरूरी है। यूनियन मुख्यमंत्री बोर्ड के सचिव व प्रबंधक को ज्ञापन देकर मांग कर चुकी है। कई बार आश्वासन भी मिला लेकिन पहल नहीं हुई। जल्द ही इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 06:25 AM (IST)
प्रीपेड मीटर लगने के बाद रुक जाएगी बिजली चोरी
प्रीपेड मीटर लगने के बाद रुक जाएगी बिजली चोरी

मनोज सिंह, जमशेदपुर : बिजली चोरी के कारण बिजली विभाग की सेहत झारखंड में खराब हो गई है। इसे सुधारने के लिए सभी जिलों में प्रीपेड मीटर लगाने की मांग उठने लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने शासन के दौरान दिल्ली की तर्ज पर प्रीपेड मीटर लगाने की बात कही थी। पर, योजना जमीन पर नहीं उतर पाई। एकबार फिर इसे अमलीजामा पहनाने की मांग झारखंड राज्य बिजली कामगार यूनियन करने लगा है।

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सरकारी अनुदान के बावजूद बीमार विद्युत बोर्ड घाटे में चल रहा है। विभाग का अरबों रुपया सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों तथा उपभोक्ताओं पर बकाया है। अगर सरकार झारखंड में प्रीपेड मीटर लगवा दे तो सभी को फायदा होगा। उपभोक्ताओं को बिजली बिल जमा करने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। ऊर्जा की चोरी रुक जाएगी। लोग उतनी ही बिजली खपत करेंगे, जितने रुपये का रिचार्ज करेंगे। सरकारी और गैर सरकारी दफ्तर बकाया नहीं रख पाएंगे।

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झारखंड में 56 बिजली डिवीजन

में 4000 से अधिक ऊर्जा मित्र

झारखंड के 56 बिजली डिवीजन में चार हजार से अधिक ऊर्जा मित्र काम कर रहे हैं। इनका काम है घरों में जाकर मीटर की रीडिंग लेना। झारखंड में लगभग 65 लाख से अधिक घर हैं। बड़े उपभोक्ताओं के यहां मीटर रीडिंग के लिए जूनियर इंजीनियर जाते हैं। प्रीपेड मीटर लग जाए तो इससे छुटकारा मिल सकता है। बिजली जमा करने के लिए सरकार ने साढ़े तीन लाख रुपये प्रतिमाह के हिसाब से एटीपी मशीन राज्य में लगा रखा है। यह खर्च भी बच जाएगी। वर्तमान में जो बिजली मीटर लगे हैं उन्हें बदलना पड़ेगा। बिजली आपूर्ति व वितरण में होने वाली क्षति में कमी आएगी। बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति बेहतर होगी। कागजी बिल व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

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कंट्रोल रूम से जुड़े रहेंगे प्रीपेड मीटर

प्रीपेड मीटर की खासियत यह होगी कि यह कंट्रोल रूप से जुड़े रहेंगे। जिसकी पूरी जानकारी कंट्रोल रूम में होगी। कंट्रोल रूम में रीडिंग दर्ज होगी। सबकुछ सॉफ्टवेयर के जरिए संभव होगा। यदि मीटर से छेड़छाड़ हुई तो साफ्टवेयर उसे पकड़ लेगा। कोई उपभोक्ता ससमय बिजली बिल नहीं भरेगा तो स्वत: कनेक्शन कट जाएगा।

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कोट

बिजली बोर्ड को घाटे से उबारने के लिए प्रीपेड मीटर जरूरी है। यूनियन मुख्यमंत्री, बोर्ड के सचिव व प्रबंधक को ज्ञापन देकर मांग कर चुकी है। कई बार आश्वासन भी मिला, लेकिन पहल नहीं हुई। जल्द ही इस संबंध में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेगा।

- रामकृष्णा सिंह, महासचिव, झारखंड राज्य बिजली कामगार यूनियन


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