पोषण की कमी से नाटे रह गए जिले के 11,794 बच्चे
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जिले की मिट्टी में ही पोषक तत्वों की कमी है। इसके कारण बच्चो
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जिले की मिट्टी में ही पोषक तत्वों की कमी है। इसके कारण बच्चों का कद और पोषण प्रभावित हो रहा है। क्या मिट्टी की तासीर से बच्चों का कद प्रभावित हो सकता है? पूर्वी सिंहभूम में कृषि विभाग के एक सर्वे की मानें तो ऐसा बिल्कुल हो सकता है। एक आकड़े के तहत पूर्वी सिंहभूम जिले में शून्य से छह वर्ष के 11,794 बच्चे ऐसे हैं जिनके कद का उचित विकास नहीं हुआ।
कृषि विभाग के मुताबिक किसी गाव की मिट्टी में जिंक, बोरान व आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी हो तो वहा के बच्चों का शारीरिक विकास उचित नहीं हो पाता और वे अपेक्षाकृत नाटे रह जाते हैं। ऐसे गावों के बच्चों की हड्डिया भी कमजोर हो जाती है। पूर्वी सिंहभूम में कृषि विभाग की ओर कराए गए सर्वे में जिले की मिट्टी में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी पाई गई है। खास तौर से मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटास, गौण पोषक तत्वों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक व सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, जिंक, कॉपर, मैंगनीज, बोरान व क्लोरीन की कमी मिट्टी में है।
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सही विकास को पोषक आहार महत्वपूर्ण
बच्चों के सही विकास के लिए उन्हें पोषक आहार मिलना बहुत जरूरी हैं। जिले की मिट्टी में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थो में पोषक तत्वों की कमी के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। पोषक तत्वों की कमी के कारण छोटे बच्चों में कुपोषण के लक्षण दिखने लगते हैं। इससे शारीरिक व मानसिक विकास रुक जाता है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और वे जल्द बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
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नदी के किनारे वाले मिंट्टी में जिंक की कमी
फिजीशियन डॉ. बलराम झा बताते हैं कि पूर्वी सिंहभूम में तीन तरह की मिट्टी है। जंगल के पास, नदी के किनारे व निचले इलाकों की मिट्टी। इनके अलग-अलग स्वभाव हैं। जंगल के समीप वाली मिट्टी में ऑर्गेनिक, कार्बन व नाइट्रोजन कम पाए जाते हैं। नदी के किनारे वाली मिट्टी में जिंक कम रहता है, जबकि निचले इलाकों वाले क्षेत्रों में कैल्शियम की कमी पांच प्रतिशत है।
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मिंट्टी में पोषक तत्व मिलाने की सलाह
जिला कृषि पदाधिकारी कालीपदो महतो बताते हैं कि किसानों को मिट्टी में पोषक तत्व मिलाने की सलाह दी जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक की मानें तो पोषक तत्वों की कमी दूर करने के लिए किसानों को फास्फोरस के लिए डाइ अमोनिया फॉस्फेट, पोटास के लिए म्यूरेट ऑफ पोटास व नाइट्रोजन के लिए यूरिया और बोरान की कमी दूर करने के लिए बोरेक्स डालने की सलाह दी जाती है।