Jamshedpur News : राज्य जीएसटी के मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय लेगा तो पूरे देश में असमानता आ जाएगी, जानें क्यों कही गई यह बात
Jamshedpur News केंद्र और राज्य सरकारों पर जीएसटी काउंसिल के बाध्यकारी नहीं होने के फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया। इसका कैट ने स्वागत किया साथ ही चिंता जताई। राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा - यह निर्णय व्यापारिक समुदाय के पक्ष में है।
जमशेदपुर,जासं : Supreme Court's decision on GST केंद्र और राज्य सरकारों पर जीएसटी काउंसिल के बाध्यकारी नहीं होने के फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया। इसका कैट ने स्वागत किया साथ ही चिंता जताई। इसपर कंफडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा - यह निर्णय व्यापारिक समुदाय के पक्ष में है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम होंगे। क्योंकि इससे जीएसटी केवल एक सिफारिश करने वाली संस्था के रूप में प्रतीत हो रही है और जीएसटी काउंसिल की वैधता पर प्रश्न चिह्न लगते दिख रहे हैं। इस निर्णय से ऐसा प्रतीत होता है कि जीएसटी परिषद जिसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों के प्रतिनिधि हैं।
सुरेश ने कहा- जीएसटी कराधान प्रणाली के संबंध में एक सर्वोच्च निकाय नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर, कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी कानून एवं नियमों पर नए सिरे से समीक्षा करने का आग्रह किया है। कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा - शीर्ष अदालत का फैसला है कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें केंद्र व राज्य सरकारों पर बाध्यकारी नहीं हैं। इससे जीएसटी के जनादेश पर नकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है। यदि प्रत्येक राज्य को जीएसटी काउंसिल की सिफारिश से मुक्त किया जाता है तो यह उन्हें अपनी पसंद के अनुसार कानून और नियम बनाने का अधिकार देगा जो निश्चित रूप से जीएसटी नियमों में असमानता और विसंगति लाएगा । साथ ही यह जीएसटी के मूल मूलभूत एक राष्ट्र- क कर के सिद्धांत के विपरीत होगा।
राज्य जीएसटी के मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय लेना शुरू कर देते हैं तो पूरे देश में असमानता
वहीं, कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल ने कहा - सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए यह कैसे उम्मीद की जाती है कि जीएसटी कानून और नियमों में पूरे देश में कराधान प्रणाली में एकरूपता बनाए रखी जाएगी। यदि राज्य जीएसटी के मुद्दों पर स्वतंत्र निर्णय लेना शुरू कर देते हैं तो पूरे देश में असमानता की स्थिति पैदा हो जाएगी। इतना ही नहीं इससे देश भर में व्यापार की मुक्त आवाजाही पर भी अंकुश लगेगा। इसका भारत में विदेशी निवेश पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि विदेशी कंपनियों ने पूरे देश में हमेशा एक ही कराधान कानून और नियमों की वकालत की है।
सोंथालिया ने कहा कि जीएसटी कानूनों में बदलाव करने की राज्य सरकार की शक्तियों से विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कर ढांचे को बढ़ावा मिलेगा। जीएसटी मूल रूप से गंतव्य आधारित उपभोग कर है। अब यह निर्णय उत्पादक राज्य सरकार को अपने फायदे के लिए अलग-अलग नीतियां बनाने का अधिकार देता है जबकि उपभोग करने वाले राज्यों को इससे नुकसान उठाना पड़ेगा।