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बाहा पाता के दूसरे दिन पारंपरिक नृत्यों पर झूमा संताल समाज

तालसा में बाहा पाता के दूसरे दिन शनिवार को पारंपरिक नृत्यों ने धूम मचाया। इसके साथ ही आर्केस्ट्रा में गीत-संगीत पर लोग देर शाम तक झूमते रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 07:59 AM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 07:59 AM (IST)
बाहा पाता के दूसरे दिन पारंपरिक नृत्यों पर झूमा संताल समाज
बाहा पाता के दूसरे दिन पारंपरिक नृत्यों पर झूमा संताल समाज

जासं, जमशेदपुर : तालसा में बाहा पाता के दूसरे दिन शनिवार को पारंपरिक नृत्यों ने धूम मचाया। इसके साथ ही आर्केस्ट्रा में गीत-संगीत पर लोग देर शाम तक झूमते रहे।

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आदिवासी नवयुवक क्लब तालसा की 50वीं वर्षगांठ पर क्लब व ग्राम सभा तालसा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रम में पोटका जनुमडी केनृत्य दल ने फिरकाल नाच, बोड़ाम व पोटका के दल ने धोंगेड़ व गिराय, ओडिशा के दल ने डाठा और छोटा तालसा के दल ने पारंपरिक साड़पा नृत्य प्रस्तुत किया।

पारंपरिक सांस्कृतिक नृत्यों के बेहतरीन प्रदर्शन कर नृत्य मंडली के सदस्यों ने दर्शकों का मन मोहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान जुगसलाई के तोरोप पारगाना दशमत हांसदा, दुमका, संथाल पारगाना से आए जितेंद्र सोरेन, संदीप किस्कू, राजकिशोर टुडू, बालमेन हेंब्रम, रुबीलाल किस्कू आदि उपस्थित थे। शाम को पश्चिम बंगाल के आर्केस्ट्रा ग्रुप दीदी कल्पना हांसदा और मसहूर डासर हिसी उर्वशी टुडू ने गीत-संगीत व नृत्यों से समां बांधा। बाहा पाता के तीसरे और अंतिम दिन रविवार को दोपहर से बाहा नृत्य व रात दस बजे से नाटक का मंचन होगा।

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विचार गोष्ठी में सामाजिक परंपरा पर मंथन

(फोटो : 14जेएमडी03डी)

जासं, जमशेदपुर : पारंपरिक सामाजिक स्वशासन व्यवस्था के प्रतिनिधियों की दो दिवसीय विचार गोष्ठी शनिवार को शुरू हुई। गोष्ठी में विभिन्न प्रदेशों के साथ नेपाल से भी प्रतिनिधि शामिल हुए।

मौके पर अलग-अलग क्षेत्रों से आए पारगाना बाबा ने कहा कि वर्तमान समय में लोग पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था से भटक रहे हैं। पारगाना बाबा ने कहा कि संताल समाज अन्य समाज से अतुलनीय, सरल और स्वच्छ है। संताल समाज प्रकृति का उपासक है। समाज को अपनी पारंपरिक परंपरा, स्वशासन व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए जल, जंगल व जमीन को बचाने का अपील की। माझी पारगाना व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए रविवार को भी विचार गोष्ठी होगी। विचार गोष्ठी में देश पारगाना बैजू मुर्मू, असम पोनोत पारगाना प्रत्येक राम किस्कू, नेपाल से आए मनोज बास्के, जीसु हांसदा, तोरोफ पारगाना हरिपदो मुर्मू, दशमत हांसदा, दुर्गाचरण मुर्मू, अमृत टुडू, डॉ. गुम्दा मार्डी समेत कई माझी, नायके व समाज के गणमान्य मौजूद थे।


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