नहीं थम रही टुसू की धूम, दिख रही परंपरा की झलक
लौहनगरी में झारखंड की पारंपरिक लोक संस्कृति का पर्व टुसू धूमधाम से मनाया गया।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : लौहनगरी में झारखंड की पारंपरिक लोक संस्कृति का पर्व टुसू धूम मचा रही है। शुक्रवार को भी शहर के विभिन्न स्थानों में टुसू मेला का आयोजन हुआ, जहां टुसू गीतों पर लोग मांदर और ढोल की थाप पर जमकर थिरके। शुक्रवार को भुइयांडीह, बिरसानगर संडे मार्केट, मनपीटा, गरुड़बासा समेत अन्य स्थानों में भव्य मेला का आयोजन किया गया। मेला में दूर-दराज से लोग शामिल हुए और मेला का आनंद उठाया।
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झारखंडी संस्कृति की झलक दिखी
झारखंड सास्कृतिक कला रंगमंच की ओर से शुक्रवार को भुइयाडीह दुर्गापूजा मैदान में टुसू मेले का आयोजन किया गया। मेले में झारखंडी संस्कृति की झलक दिखी। दूर-दूर से लोग टुसू व चौड़ल लेकर आए। देर शाम तक लोकनृत्य व संगीत का दौर चलता रहा। इस दौरान सर्वश्रेष्ठ टुसू व चौड़ल लाने वाले दलों को पुरस्कृत भी किया गया। पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां समेत कई लोग शामिल हुए। मौके पर दुलाल भुइया ने कहा कि यह आयोजन झारखंडी परंपरा व संस्कृति को बचाने का प्रयास है।
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मनपीटा मेला में जमकर थिरके लोग
सार्वजनिक टुसू मेला कमेटी, मनपीटा, गरुड़बासा द्वारा आयोजित झारखंडी सांस्कृतिक महापर्व टुसू मेला में हजारों लोग जुटे। मेले में पांच टुसू प्रतिमा लाए गए थे, कमेटी ने तीन भव्य और आकर्षक टुसू लाने वाले दल को पुरस्कृत किया। मेला में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए रेल पुलिस अधीक्षक डॉ. एहतेशाम वकारिब ने कहा कि टुसू रंगीन और जीवन से परिपूर्ण त्यौहार है। मेला का संचालन कृष्णा लोहार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मनोज कर्मकार ने दिया। मेला में पंचायत के मुखिया आशा देवी, पंचायत समिति सदस्य सुमित्रा देवी, समाजसेवी एसएससी सिंह, इश्तियाक अहमद जौहर, अंजनी विशु, अनूप महतो, दीपक रंजीत, जगतार सिंह, इंद्रजीत सिंह, वार्ड सदस्य लखन कर्मकार, लल्लन प्रसाद, राजेश, कमल महतो, सुरेश कर्मकार, विष्णु गोप, रमेश कर्मकार, नकुल कर्मकार, वीरेन कर्मकार समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
इसके अलावा बिरसानगर के संडे मार्केट में भी शुक्रवार को टुसू मेला का आयोजन किया गया। मेला में दूर-दराज से लोग टुसू और चौड़ल के लेकर शामिल हुए। नाचते-गाते और पारंपरिक वाद्ययंत्रों पर थिरकते लोगों का हुजूम टुसू के रंग में पूरी तरह से रंगे हुए थे। यहां भी सर्वश्रेष्ठ टुसू और चौड़ल को पुरस्कृत किया गया।