Lockdown दो क्विंटल चावल और एक क्विंटल आलू के भरोसे चल रही थानों की सामुदायिक रसोई Jamshedpur News
जागरण पड़ताल में सिपाहियों ने रखी अपनी बात कहा- खाद्यान्न की मात्रा बढ़ाने रसोई गैस और रसोइये का भुगतान किए बगैर सामुदायिक रसोई का संचालन हो रहा मुश्किल।
By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 08:38 PM (IST)
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। शहर के सभी थानों की रसोई से इलाके के गरीब और फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को अच्छा खाना बांटा जा रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से सभी को दो क्विंटल चावल, क्विंटल आलू, 50 किलो प्याज व एक टीन तेल दिया गया है। गैस और अन्य सामान और कुक का पैसा नहीं दिए जाने से थानों को रसोई चलाने में दिक्कत हो रही है। फिर भी थाना प्रभारी किसी तरह रसोई चला रहे हैं।
थानों की सामुदायिक रसोई की पड़ताल में थाना प्रभारियों ने तो अपना मुंह बंद रखा लेकिन सिपाहियों ने सारी बात खुलकर कही। सिपाहियों ने कहा कि बिना रसोई गैस सिलेंडर के खाना कैसे बनेगा। एक- एक थाने पर 400 से 500 गरीबों को खाना देने का बोझ है। जबकि अभी तक अधिकतर स्थानों में सिर्फ दो क्विंटल चावल, एक क्विंटल आलू, 50 किलो प्याज और एक टीन तेल दिया गया है।
क्या इतने से काम चल सकता है। ऐसे में कोई कुक मुफ्त में खाना बनाने के लिए तैयार नहीं है। कुक भी पहले से ज्यादा रकम मांग रहे हैं। उनका भी कहना जायज है कि इस दौर में जब हर चीज की कीमत ज्यादा हो गई है। तो उन्हें तो भी तो अपने परिवार का पेट पालना है। सिपाहियों का कहना था कि अगर यही हाल रहा तो सामुदायिक रसोई को चलाते रखने में दिक्कत आ सकती है।
बस्ती-बस्ती जाकर भोजन के पैकेट बांट रहे बिष्टुपुर थाना प्रभारी
बिष्टुपुर थाने की रसोई से खाना बनने के बाद पैकेट बनाकर ऑटो में लोड किया गया है और थाना प्रभारी राजेश प्रकाश सिन्हा खुद निकल कर बस्तियों में जाकर गरीबों में बांट रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह 500 से 600 लोगों को दोनों वक्त रोज खाना बांट रहे हैं।
होटल महल इन में पक रहा आजाद नगर थाने का खाना
आजाद नगर में थाने के सामने ही एक स्टाल लगाकर उस पर थाने की सामुदायिक रसोई का बोर्ड लगा दिया गया है आजाद नगर का सामुदायिक खाना यहीं से सुबह शाम बंटता है। तकरीबन 300 लोगों को यहां से चावल दाल और सब्जी दी जाती है। शाम को तकरीबन 150 पैकेट अलग से बनाए जाते हैं। इन पैकेटों को थाना प्रभारी खुद अपनी गाड़ी में रख कर पारडीह से लेकर आजाद नगर के दूसरे छोर तक सड़कों पर गश्त कर सड़क किनारे भूखे बड़े लोगों को बांटते हैं।
साकची में दूसरी जगह बनवा कर बांटी जा रही खिचड़ी
साकची में खिचड़ी अन्य खाने-पीने की चीजें दूसरी जगह बनवा कर बांटी जा रही हैं। साकची में थाने पर बुलाकर किसी को खाना नहीं खिलाया जा रहा। बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों की सूची बना ली गई है। थाने के लोग खाना लेकर निकलते हैं और जरूरतमंदों के घर और उनके ठिकानों तक जाकर उन्हें खाना पहुंचा रहे हैं।
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