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Narendra Kohli को बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग ने दी श्रद्धांजलि, ऑनलाइन शोकसभा में छायी रही जमशेदपुर की यादें

Tribute to Narendra Kohli बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की ओर से ऑनलाइन शोकसभा का आयोजन किया गया जिसमें संस्था से जुड़े शहर के साहित्यकारों ने डा. नरेंद्र कोहली को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी यादों के झरोखे में जमशेदपुर से जुड़ी स्मृति छायी रही।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 09:02 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 09:02 AM (IST)
Narendra Kohli को बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग ने दी श्रद्धांजलि, ऑनलाइन शोकसभा में छायी रही जमशेदपुर की यादें
कुछ भी शेष नहीं रहता,बस यादें रह जाती है।

जमशेदपुर, जासं। बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की ओर से ऑनलाइन शोकसभा का आयोजन किया गया, जिसमें संस्था से जुड़े शहर के साहित्यकारों ने डा. नरेंद्र कोहली को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी यादों के झरोखे में जमशेदपुर से जुड़ी स्मृति छायी रही।

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सहयोग की अध्यक्ष डा. जूही समर्पिता ने कहा कि सहयोग परिवार की यादों में डा. नरेंद्र कोहली की स्नेहिल छवि एक अभिभावक की तरह थी। आज जब वह महान व्यक्तित्व, हिंदी के अनमोल शिखर पुरुष हमारे बीच नहीं रहे, तब यह अनुभूति होती है कि हमने क्या खो दिया। हिंदी साहित्य में एक युग का अवसान हो गया। जमशेदपुर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले साहित्यिक शिविर ‘अक्षर कुंभ’ के संरक्षक, संयोजक और अभिभावक के रूप में स्वर्गीय नरेंद्र कोहली जी हमेशा याद आएंगे। अक्षर कुंभ और सहयोग उस समय एक-दूसरे के पूरक की भूमिका में थे, क्योंकि सहयोग परिवार के अधिकांश सदस्य, वहां आयोजित, कविता सत्र, कथा सत्र तथा विचार सत्रों में भाग लिया करते थे।

जमशेदपुर के साहित्यिक परिवेश का जाज्वल्यमान नक्षत्र

सहयोग के सदस्यों में डा. जूही समर्पिता, पद्मा मिश्रा, रेणुका अस्थाना विचार सत्र में भाग लेते, वहीं माधुरी मिश्रा, पद्मा मिश्रा, सुधा गोयल, निशिपाल सूरी, आनंदबाला शर्मा, डा. आशा गुप्ता, छाया प्रसाद, जयश्री शिवकुमार, सुधा अग्रवाल, कहकशां सिद्दिकी, तृप्ति श्री कथा और कहानी सत्र में भाग लेते। डा. कोहली हमें बहुत ध्यान से सुनते, और हमारी कमियों में सुधार कराते थे। एक कर्तव्यनिष्ठ, विद्वान प्रोफेसर की तरह वे मंच से बोलते और समस्त उपस्थित साहित्यकार बिल्कुल अनुशासित छात्र की तरह उन्हें सुनते थे। वह ओजस्वी वाणी आज कहीं खो गई है। एक गरिमामय, स्नेहिल, व्यक्तित्व, जो हमें मार्ग दिखाता था, असमय हमें छोड़कर चला गया।सहयोग परिवार मर्माहत है, दुखी है, उनके मित्र डा. सी भास्कर राव की आंखें नम हैं। जमशेदपुर के साहित्यिक परिवेश का जाज्वल्यमान नक्षत्र आज हमारे बीच नहीं रहा।

बस यादें रह जाती है

कुछ भी शेष नहीं रहता,बस यादें रह जाती है। आज उन्हीं यादों की धरोहर को संजोए बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग का हर सदस्य दुखी है। शोक संतप्त है। अध्यक्ष डा जूही समर्पिता कहती हैं कि पितृ‌वत आदरणीय डाक्टर नरेंद्र कोहली जी का जाना एक बरगद की छांव से वंचित हो जाना है। उनके साथ जुड़े आत्मीयता भरे रिश्तों को वे आज भी याद करती हैं। जीवन के अंतिम दिनों में (मृत्यु पूर्व) वाट्सएप पर मिले आशीर्वाद के संदेशों से अभिभूत पद्मा मिश्रा की आंखें नम हैं। अपने मार्गदर्शक, पिता तुल्य को खोकर, डा. अनिरुद्ध त्रिपाठी अशेष, गीता नूर मुदलियार, मामचंद अग्रवाल वसंत समेत सभी साहित्यकार शोक संतप्त हैं।साहित्यकारों ने इसे एक अपूरणीय क्षति बताया है।

इन्होंने भी साझा की यादें

सहयोग की वरिष्ठ सदस्या इंदिरा तिवारी शोकाकुल हैं। नरेंद्र कोहली के साथ बिताए आत्मीय पलों को याद करती हैं। डा. अरुण सज्जन अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहते हैं कि यह क्षतिपूर्ति असंभव है। सदियों तक उनकी लेखनी अक्षुण्ण रहेगी। सहयोग परिवार के साथ उनके आत्मीय संबंध थे। अब सबके पास केवल स्मृतियां शेष रह गई हैं। अक्षर कुंभ एवं सहयोग के सदस्य ललन शर्मा जी का कहना है कि कोहली जी का जाना आधुनिक तुलसी का हमसे दूर जाना है। डा. आशा गुप्ता, डा. नरेश अग्रवाल, विद्या तिवारी, डा. सरित किशोरी श्रीवास्तव, गीता दुबे, सभी मर्माहत हैं। सभी की संवेदनाएं शब्दहीन हो चुकी हैं। उनके साथ जुड़ी यादें सभी को भावविह्वल बना रही है। उनके अभिन्न मित्र डा. सी भास्कर राव व डा सूर्या राव के दुख का अंत नहीं है। जमशेदपुर ने बहुत कुछ खो दिया है। इस कमी की पूर्ति नहीं की जा सकती। संध्या सिन्हा, रेणुबाला मिश्रा, ममता सिंह, अनीता शर्मा, कल्याणी कबीर, आशा श्री, डा. मुदिता चंद्रा, डा. रागिनी भूषण आदि साहित्यकारों ने भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।


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